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ग्रीनलैंड में बर्फ के गिरने में बदलाव

१८ मई २०२१

एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि मौसम में एक विशेष बदलाव की वजह से ग्रीनलैंड में गर्मी और अंधेरा बढ़ रहा है. इसके लिए बर्फबारी में बदलाव जिम्मेदार है. ताजा बर्फ ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर से दूर गिर रही है.

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Global Ideas | Grönland Bergbau
तस्वीर: Roberto Coletti

अध्ययन में कहा गया है कि ताजा, हलके रंग की बर्फ की मात्रा कम होने से ज्यादा पुरानी और गहरे रंग की बर्फ सतह पर आ जाती है. ऐसा होने से बर्फ की चादर और ज्यादा गर्मी सोखती है और ज्यादा जल्दी पिघलती है. जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में छपे इस अध्ययन के सह-लेखक एरिक ऑस्टरबर्ग कहते हैं, "जैसे जैसे बर्फ घंटों और दिनों पुरानी होती जाती है उसकी परावर्तन (रिफ्लेक्शन) करने की क्षमता घटती जाती है और इसी वजह से ताजा बर्फ बहुत जरूरी होती है." 

ऑस्टरबर्ग डार्टमाउथ कॉलेज में पृथ्वी विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर हैं. उन्होंने और उनके सहयोगियों ने बर्फबारी में गिरावट के लिए "अटमॉस्फेयरिक ब्लॉकिंग" नाम की एक मौसमीय घटना को जिम्मेदार बताया, जिसमें कई बार बर्फ की चादरों पर हवा का ज्यादा दबाव हफ्तों तक बना रहता है. इस तरह के हालात इस इलाके में 1990 के दशक की बाद से ज्यादा देखने को मिल रहे हैं.

इनसे पश्चिमी ग्रीनलैंड के ऊपर गर्म हवा रुक जाती है, रोशनी को रोकने वाले बादलों का घनत्व कम हो जाता है और बर्फीले तूफान उत्तर की तरफ धकेल दिए जाते हैं. ऑस्टरबर्ग कहते हैं कि इसका नतीजा होता है एक "तिहरी मार. ये सब मिल कर ग्रीनलैंड के और तेजी से पिघलने में योगदान देते हैं." कुछ शोधों में इन घटनाओं का इंसानी गतिविधियों की वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन से संबंध बताया गया है, लेकिन ऑस्टरबर्ग ने कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है यह जानने के लिए और अध्ययन की जरूरत है.

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1982 से ले कर आज तक ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर करीब 2.7 डिग्री सेल्सियस गर्म हुई है.तस्वीर: Roberto Coletti

नई बर्फ बनाम पुरानी बर्फ

उन्होंने एक ईमेल में बताया, "अटमॉस्फेयरिक ब्लॉकिंग" ग्रीनलैंड के लिए कितनी जरूरी है इस बात को ध्यान में रखते हुए मुझे लगता है कि इस पर शोध जरूरी है ताकि हम भविष्य में समुद्र स्तर के बढ़ने को लेकर अपने पूर्वानुमान को और सुधार सकें." अध्ययन के सह-लेखक गेब्रियल लुईस ने इसमें यह भी जोड़ा कि तापमान के बढ़ने की वजह सिर्फ बर्फबारी में कमी होना ही नहीं है, बल्कि दूसरे किस्म की बर्फ का बाकी रह जाना भी है.

उन्होंने कहा, "एक बार बर्फ जब गिरने के बाद धूप में बर्फ की चादर पर बैठ जाती है, तब उसका आकार बदलने लगता है और समय के साथ बर्फ के दाने और बड़े होते जाते हैं."यह बर्फ नई, क्रिस्टल के आकार की बर्फ के मुकाबले और गोल और कम परावर्तन करने वाली बन जाती है. इस टीम के मुताबिक, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर की परावर्तन की क्षमता में अगर एक प्रतिशत का भी बदलाव आया तो उससे तीन सालों में 25 गीगाटन अतिरिक्त बर्फ नष्ट हो जाएगी.

इस अध्ययन में हवाला दिए गए शोध के मुताबिक 1982 से ले कर आज तक ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर करीब 2.7 डिग्री सेल्सियस गर्म हुई है और यह महाद्वीप कम से कम पिछले 450 सालों में बर्फ के पिघलने की सबसे तेज दरों का सामना कर रहा है.

सीके/एए (एएफपी)

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