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बत्तियां बुझाने के कार्यक्रम से ब्लैकआउट का संकट

चारु कार्तिकेय
४ अप्रैल २०२०

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से रविवार पांच अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट के लिए बत्तियां बुझाकर मोमबत्तियां जलाने का आग्रह किया है. सवाल उठ रहे हैं कि ऐसा करने से कहीं देश में ब्लैकआउट ना हो जाए.

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Coronavirus - Indiens Premierminister Narendra Modi
तस्वीर: picture-alliance/dpa/PTI/Twitter

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रविवार पांच अप्रैल की रात बत्तियां बुझाकर मोमबत्तियां जलाने के कार्यक्रम को लेकर गंभीर चिंताएं उभर कर आ गई हैं. सवाल उठ रहे हैं कि पूरे देश में बत्तियां एक साथ बुझा देना कहीं पावर ग्रिड के लिए हानिकारक ना हो जाए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार तीन अप्रैल को राष्ट्र के नाम जारी वीडियो संदेश में पूरे देश के लोगों को एक समय पर रोशनी दिखा कर कोरोना वायरस से लड़ाई में अपनी एकजुटता का परिचय देने को कहा था. प्रधानमंत्री ने सभी देशवासियों से अपील की कि वे रविवार पांच अप्रैल को रात नौ बजे अपने अपने घरों की बत्तियां बुझा कर अपने घर के दरवाजे पर या बालकनी में खड़े रहकर, 9 मिनट के लिए मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाएं. उनके अनुसार ऐसा करने से "प्रकाश की उस महाशक्ति का अहसास होगा, जिसमें एक ही मकसद से हम सब लड़ रहे हैं".

महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने कहा है कि संभव है कि ऐसा करने से पावर ग्रिड बंद हो जाएंगे. राउत ने समझाया कि एक बार ग्रिड बंद हो गईं तो उन्हें दुबारा शुरू करने में हफ्ता भर भी लग सकता है और ऐसे में अस्पताल और आपातकाल सेवाएं बाधित हो जाएंगी.

ऐसी भी खबरें आई हैं कि केंद्रीय और राज्यों के बिजली विभागों ने भी इस संभावना पर चिंता व्यक्त की है और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अपने अपने कर्मचारियों को कई निर्देश दिए हैं.

क्या असर हो सकता है पावर ग्रिड पर?

विशेषज्ञों का कहना है कि अचानक से पूरे देश में बत्तियों के बुझा दिए जाने पर पावर ग्रिड में डिमांड बहुत नीचे गिर जाएगी जिससे अचानक से बहुत ज्यादा वोल्टेज आ जाएगा. अधिक वोल्टेज से पावर ग्रिड ट्रिप हो सकती है और अपने आप बंद हो सकती है. एक पावर ग्रिड फिर से शुरू होने में घंटों लेती है और देश की सभी पावर ग्रिडें फिर से शुरू होने में कई दिन ले लेंगी. यानी एक तरह से कई दिनों के लिए पूरे देश में बिजली की सप्लाई रुक सकती है. अगर सिर्फ एक ग्रिड भी बंद हुई तो कई घंटों के लिए देश के एक बड़े इलाके में बिजली जा सकती है.

इस तरह का ब्लैकआउट 2012 में हुआ था जब 30 जुलाई को पूरे उत्तरी भारत में ग्रिड फेलियर की वजह से बिजली सप्लाई रुक गई थी. बिजली सेवाएं एक अगस्त को फिर से शुरू हो पाई थीं.

सरकार ने माना कि हो सकता है ब्लैकआउट?

केंद्र सरकार ने एक नई अधिसूचना जारी कर के कहा है कि जब यह बत्तियां बुझाने का अभियान पूरे देश में चल रहा होगा तब ग्रिड बैलेंसिंग की जरूरत होगी और उसके लिए नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर ने योजना बना ली है. इसके अलावा सरकार ने लोगों से कहा है कि इस दौरान सिर्फ बत्तियां बुझाएं और टीवी, फ्रिज, एसी जैसे उपकरण चलते रहने दें.

कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि अगर ठीक से बिजली के लोड का प्रबंधन हो भी जाता है तो भी संकट की इस घड़ी में एक और संकट को निमंत्रण देने की क्या जरूरत है. कई लोगों ने प्रधानमंत्री से इस अभियान को रद्द करने की अपील भी की है.

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