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फेक न्यूज पर लगाम लगाने के लिए आगे आईं कंपनियां

१० जुलाई २०१८

मंगलवार को भारत में जब कई लोगों ने अखबार खोला तो आखिरी पन्ने पर व्हाट्सऐप का फुल पेज ऐड दिखाई दिया. इसमें फेक न्यूज को पहचानने के लिए टिप्स थे. भ्रामक खबरों से परेशान यू-ट्यूब ने भी कड़े कदम उठाने का फैसला किया है. 

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तस्वीर: Getty Images/P. Singh

फेक न्यूज और सूचना पर शिकंजा कसने के लिए सोशल मीडिया साइट्स ने भी कमर कस ली है. हाल ही में सीरिया के कुछ बच्चों का एक वीडियो फैलाकर भारत में कई लोगों को भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया. बढ़ते दबाव के बीच सरकार ने व्हाट्सऐप से फेक सामग्री को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा. इसी के बाद व्हाट्सऐप ने कई अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देकर लोगों को साथ आने को कहा और फेक खबर को पहचानने के टिप्स भी दिए.

फेक न्यूज के दौर में अब हम 'वेबकूफ' बन रहे हैं

इसी तरह गूगल की वीडियो शेयरिंग साइट यू-ट्यूब फेक न्यूज पर लगाम लगाने और मीडिया संस्थाओं की मदद के लिए कई कदम उठाने जा रही है. कंपनी इसके लिए 2.5 करोड़ डॉलर का निवेश भी करेगी. यूट्यूब का कहना है कि वह समाचार स्रोतों को और विश्वसनीय बनाना चाहती है. खासतौर से ब्रेकिंग न्यूज के मामले में एहतियात बरतेगी जहां गलत सूचनाएं आसानी से फैल सकती हैं.

यूट्यूब की कोशिश है कि वीडियो सर्च करते वक्त वीडियो और उससे जुड़ी खबर का एक छोटा सा ब्योरा यूजर्स को दिखे. यह चेतावनी भी दी जाएगी कि ये खबरें बदल सकती हैं. इसका उद्देश्य फर्जी वीडियो पर रोक लगाना है जो गोलीबारी, प्राकृतिक आपदा और अन्य प्रमुख घटनाओं के मामले में तेजी से फैल सकती हैं.

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करोड़ों का निवेश करने के अलावा यू-ट्यूब कर्मचारियों की ट्रेनिंग और वीडियो प्रोडक्शन सुविधाओं में सुधार जैसे कदम भी उठाएगी. इसके अलावा कंपनी विकिपीडिया और एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका जैसे सामान्य विश्वसनीय सूत्रों के साथ विवादित वीडियो से निपटने के तरीकों का भी परीक्षण कर रही है.

वीसी/एके (एपी)

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