फुटबॉलरों के लिए हिजाब की सिफारिश
३० जनवरी २०१२इस कदम का इस्लामी राष्ट्रों ने पुरजोर विरोध किया था और इसी वजह से ईरान ने जॉर्डन के खिलाफ वर्ल्ड कप 2012 का क्वालीफाइंग मुकाबला भी नहीं खेला. खिलाड़ियों ने बिना स्कार्फ के मैच खेलने से इनकार कर दिया और जॉर्डन के हिस्से में जीत दर्ज कर दी गई.
एशियाई परिसंघ के कार्यकारी अध्यक्ष झांग जीलोंग का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल एसोसिएशन की जब 3 मार्च को लंदन में बैठक होगी, तो इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा. झांग इस वक्त फीफा के कार्यकारी समिति में भी हैं. उनका कहना है कि महिला फुटबॉल के लिए यह फैसला बेहद अहम साबित हो सकता है.
फुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय संस्था फीफा ने 2007 में हिजाब पर पाबंदी लगाने के बाद पिछले साल गर्दन गर्माने वाले कपड़े पर भी प्रतिबंध लगा दिया था. उसका कहना है कि इससे दम घुटने का अंदेशा रहता है.
पिछले साल दिसंबर में फीफा एशियाई फुटबॉल परिसंघ के उपाध्यक्ष जॉर्डन के प्रिंस अली बिन हुसैन के एक प्रस्ताव पर चर्चा पर राजी हो गई, जिसके तहत खिलाड़ियों और अधिकारियों को खास तरह का स्कार्फ पहनने की अनुमति देने का प्रस्ताव है.
झांग ने अपने बयान में कहा है, "एशिया की कई महिला फुटबॉलर स्कार्फ पहनती हैं. मैं अंतरराष्ट्रीय एसोसिएशन से गुजारिश करता हूं कि इस पर ध्यान दे कर सोचे. वह फीफा के प्रस्ताव पर विचार करे और नियमों को बदलने की कोशिश करे ताकि महिला फुटबॉलर ऐसा सुरक्षित स्कार्फ पहन सकें, जिससे उनकी गर्दन भी ढंकी रह सके."
झांग का कहना है कि बाजार में अब कई ऐसे स्कार्फ उपलब्ध हैं, जो खिलाड़ियों की सुरक्षा को ध्यान में रख कर डिजाइन किए गए हैं. उनका कहना है, "मैंने खुद ऐसे नए स्कार्फ देखे हैं, जिससे गर्दन भी ढंकी जा सकती है."
रिपोर्टः एपी, एएफपी/ए जमाल
संपादनः आभा एम