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फुकुशिमाः हाइड्रोजन धमाका रोकने के लिए नाइट्रोजन

६ अप्रैल २०११

फुकुशिमा परमाणु बिजली घर को चलाने वाली कंपनी टेपको को लगातार नई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा रहा है. अभी रेडियोधर्मी पानी के रिसाव को उन्होंने बंद किया ही कि रिएक्टर एक में हाइड्रोजन से धमाके का खतरा पैदा हो गया है.

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तस्वीर: picture alliance/abaca

पूर्वोत्तर जापान के फुकुशिमा में टोक्यो इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी (टेपको) ने कहा है कि उसे नंबर एक रिएक्टर में नाइट्रोजन पंप करनी पड़ेगी ताकि हाइड्रोजन के कारण होने वाला संभावित विस्फोट रोका जा सके. परमाणु ईंधन की छड़ें खुली होने के कारण हाइड्रोजन गैस रिएक्टर में जमा हो रही है. इसे अगर किसी तरह निष्क्रिय नहीं किया गया तो धमाका हो सकता है.

अब नाइट्रोजन की बारी

इसी कारण टेपको ने बुधवार को कहा कि वह छह हजार घन मीटर नाइट्रोजन गैस नंबर एक रिएक्टर के कंटेनमेंट वेसल में डालेगी. टेपको दो और तीन नंबर के रिएक्टर में भी यह कदम उठाने के बारे में सोच रही है. 11 मार्च को आए भूकंप और सूनामी के बाद फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र के रिएक्टरों में कई विस्फोट, आग और रेडिएशन लीक के कारण संकट पैदा हो गया है.

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फुकुशिमा परमाणु बिजली संयंत्रतस्वीर: picture alliance/dpa

बुधवार को टेपको ने घोषणा की कि क्षतिग्रस्त प्लांट से रेडियोधर्मी पानी का रिसाव बंद कर दिया गया है. कंपनी ने कहा कि रेडियोधर्मी पानी का प्रशांत महासागर में गिरना रोक दिया गया है. दो नंबर रिएक्टर से रेडियोधर्मी पानी एक दरार से रिसता हुआ समुद्र के पानी में मिल रहा था. शनिवार को यह दरार बंद करने की कोशिश विफल हो गई थी. मंगलवार को टेपको के कर्मचारियों ने छह हजार लीटर केमिकल एजेंट गड्ढे में डाला ताकि वह जम कर कड़ा हो जाए और रिसाव रुक सके.

खतरनाक प्रदूषण

सरकार ने मंगलवार को कहा कि रिएक्टरों की इमारतों के नीचे से करीब 60 हजार टन रेडियोएक्टिव पानी समुद्र में जा रहा था.

इससे पहले सोमवार को टेपको ने कुल 11,500 टन रेडियोधर्मी पानी समुद्र में डाल दिया. इस पानी में रेडियोधर्मिता सामान्य स्तर से सौ गुना ज्यादा थी. सी फूड में रेडियोधर्मी मिलावट के पहले मामले के बाद इबाराकी प्रिफेक्चर में रेडियोएक्टिव कैसियम की ज्यादा मात्रा नापी गई.

मुख्य कैबिनेट सचिव युकियो एदानो ने न्यूज कांफ्रेंस में कहा कि जिन मछली पालकों के उत्पाद रेडियोधर्मी प्रदूषण का शिकार हुए हैं उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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