फिर मुश्किल बन सकते हैं बैड लोन
२६ सितम्बर २०१८एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अपनी रीजनल ऑउटलुक रिपोर्ट में साल 2018-19 के लिए भारत की वृद्धि दर को 7.3 फीसदी रखा है. वहीं अगले वित्तीय वर्ष के लिए यह वृद्धि दर 7.6 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. लेकिन एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए वृद्धि में गिरावट का अनुमान जताया गया है. फिलीपींस स्थित एडीबी ने कहा है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में साल 2018 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 6 फीसदी तक बनी रहेगी. लेकिन साल 2019 में यह खिसक कर 5.8 फीसदी पर आ सकती है.
रिपोर्ट में वित्तीय और व्यापारिक झटकों की ओर इशारा किया गया है. इसमें कहा गया है कि अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में ओवरहीटिंग के लक्षण दिखते हैं, तो फेडरल रिजर्व की ओर से बढ़ने वाली ब्याज दर मुद्रा बाजारों को प्रभावित कर सकती है. इससे बैड लोन यानी खराब कर्ज की समस्या खड़ी हो सकती है. जब कर्ज लेने वाला व्यक्ति या कोई कंपनी बैंक को इसकी अदायगी करने में नाकाम रहता है, तब वह कर्ज नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) कहलाता है. नियमों मुताबिक अगर किसी कर्ज पर 90 दिनों के भीतर कोई अदायगी नहीं होती तो उसे खराब कर्ज मतलब बैड लोन की श्रेणी में डाल दिया जाता है. लोगों की बढ़ती आमदनी के चलते लंबे समय तक बाजार में मांग और महंगाई का बढ़ना "ओवरहीटिंग" कहलाता है.
भारत भी खराब कर्ज की समस्या से जूझ रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खातों में 23 हजार करोड़ के खराब कर्ज का पता लगाया था. हाल में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकारी बैंकों के खराब कर्ज अब घट रहे हैं और अर्थव्यवस्था अच्छी वृद्धि के चरण से गुजर रही है. वित्त मंत्री ने यह भी कहा था कि बैंकों को विश्वास है कि वे अर्थव्यवस्था में तरलता (लिक्विटी) को बनाए रख पाएंगे.
चीन और अमेरिका
एडीबी ने साफ किया है कि बड़ा खतरा चीन और अमेरिका के बीच हो रहे कारोबारी विवादों से है. अमेरिका ने हाल में ही 200 अरब डॉलर के चीनी आयात पर टैक्स रेट बढ़ा दिया है, जिसके बाद चीन ने भी अमेरिका के 60 अरब डॉलर के आयात पर पेनल्टी लगा दी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कदमों से जहां चीन की वृद्धि दर में 0.5 फीसदी की कमी आ सकती है तो वहीं अमेरिका के लिए असर 0.1 फीसदी तक का हो सकता है.
एडीबी के मुताबिक इस कारोबारी तनातनी का असर इस क्षेत्र के अन्य देशों पर भी पड़ सकता है. कारोबारी खींचतान से निवेश सेंटीमेंट भी खराब होगा जिसका असर क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर दिख सकता है.
एए/एके (एपी, डीपीए)