फिटनेस के लिए एप्स
११ जून २०१४जॉगिंग करते समय कलाई पर लगे बैंड से पता चलता है कि कितनी शारीरिक मेहनत की है. एक सेंसर सारा डाटा स्मार्टफोन पर भेजता है. बायोट्रैकर कंपनी के संस्थापक माक्सिमिलियन गोट्सलर कहते हैं," मैं अपनी नींद का पैटर्न और कसरत नियमित देखता हूं क्योंकि ये आसान है. लेकिन मैं यह वास्तव में सेहत बेहतर करने और अच्छा महसूस करने के लिए करता हूं. अगर आपको नींद अच्छी आए, आप सही तरह से खाना खाते है और जरूरी कसरत करतें हैं तो आप अच्छा महसूस करेंगे."
घर पर ब्लड टेस्ट
बास्केटबॉल खिलाड़ी रह चुके माक्सिमिलियन ने अमेरिका में अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान की पढ़ाई की और वहीं फिटनेस मूवमेंट से भी जुड़े. अब बर्लिन के एक ऑफिस में वह अपनी हेल्थ कंपनी शुरू कर रहे हैं. आयडिया है विटामिन डी देखने के लिए आसान ब्लड टेस्ट. एक पैकेट पैंतालीस यूरो का है. ग्राहक खुद खून का नमूना ले कर लैब में भेज देते हैं और सेहतमंद जीवन के लिए टिप्स फिटनेस ऐप के जरिए दी जाती हैं.
अभी उनके पास करीब 100 ग्राहक हैं. कहते हैं, "हमारा लक्ष्य है कि हर व्यक्ति के इस्तेमाल करने लायक उपकरण बनाना ताकि सेहत बेहतर हो सके, यानी टेस्ट और मरीज को और करीब लाना. हम व्यक्ति विशेष की इच्छा मुताबिक चलने वाला सॉफ्टवेयर पेश कर रहे हैं."
बेहतर बनाएं याददाश्त
कुछ ही किलोमीटर दूर है अगली हेल्थ कंपनी. इसके संस्थापकों का कहना है कि यह दिमाग के लिए ट्रेनिंग सेंटर है. याददाश्त और एकाग्रता बढ़ाने के लिए ये तीनों गेम्स तैयार कर रहे हैं जो कंप्यूटर या स्मार्टफोन पर इस्तेमाल किए जा सकेंगे. शुरुआत मजे मजे में हुई. संस्थापक रोयान अहमदी कहते हैं, "पढ़ाई के दौरान फ्री टाइम में हम यह किया करते थे. छुट्टियों के दौरान जुट कर हमने पहला संस्करण दो हजार आठ में निकाला."
अहमदी के सहयोगी इल्या शाबानोव कहते हैं, "हमें गेम्स बनाने का एक्सपीरियेंस था और हमने सोचा कि यही हम करना चाहते हैं और सोशल मीडिया को भी इससे जोड़ना चाहते हैं." इस एक्सरसाइज से याददाश्त बेहतर की जा सकती है, यूजर को बस सही क्रम याद रखना है. कंपनी के लिए मार्केटिंग का काम कर रहे याकोब फुटोरयांस्की कहते हैं, "ये एक्सरसाइज़ उस प्रयोग पर आधारित है जो तीन सौ साल पहले किया गया था. उसमें पता चला कि इंसान एक बार में एक दो कम ज्यादा करके सात चीजें ध्यान में रख सकता है. रोचक बात यह है कि जो लोग रोज जानकारी से संबंधित काम करते हैं, वह अपने दिमाग में ज्यादा जानकारी रख सकते हैं. इसका मतलब ये है कि दिमाग को सही चुनौती और ट्रेनिंग दी जाए तो मैं अपनी क्षमता बढ़ा सकता हूं."
बुजुर्गों के लिए एप
पिछले साल इस कंपनी में काम करने वालों की संख्या छह से बढ़कर अठारह हो गई. ये ऐप एप्पल प्रमोट कर रहा है. इससे इन्हें हर दिन बीस हजार नए यूजर मिल रहे हैं. ये एक्सरसाइज बाकायदा टेस्ट की गई. शाबानोव बताते हैं कि उनकी कंपनी ने ओल्ड एज होम के साथ मिलकर काम किया जहां बुजुर्गों को हमनें टैबलेट दिया जाता जिसपर वो रोज हमारी दी हुई गेम्स करते. कंपनी ने खास तौर पर उम्रदराज लोगों के लिए एक्सरसाइज बनाई थी, जिनकी गति को कम किया गया. इन्हें काफी पसंद किया गया.
तीन लाख यूजर वाले ऐप में निवेश करने भी बहुत लोग सामने आ रहे हैं. उली कूप वेंचर कैपिटल फंड देखते हैं. उन्होंने कितना निवेश किया वे नहीं बताना चाहते. वह खास तौर से डिजिटल हेल्थ ऐप्स में निवेश करते हैं. "आप सोचिए, हेल्थ मार्केट कितना बड़ा है! बहुतों को ये नहीं मालूम. जर्मनी में हम जीडीपी का आठ फीसदी सेहत के लिए देते हैं. अमेरिका में ये करीब सोलह फीसदी है. मतलब कुछ सौ अरब. ये काफी बड़ा मार्केट है. जर्मनी के कार उद्योग से करीब दुगना." अभी तक बड़ी कंपनियां सिर्फ अमेरिका में हैं. अब जर्मनी में भी इसका फैशन धीरे धीरे आ रहा है.
रिपोर्टः आन्या किमिग/एएम
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन