प्राचीन रोमन शहर का नक्शा बिना खुदाई के
९ जून २०२०रिसर्चरों के बनाए नक्शे में जमीन के काफी नीचे मौजूद इमारतों का पूरा ब्यौरा देखा जा सकता है. बड़ी बात ये है कि इस प्राचीन शहर के आसपास कोई खुदाई करने की जरूरत नहीं पड़ी.
रिसर्चरों ने जो नक्शा हासिल किया है उसमें प्राचीन शहर का एक अनोखा सार्वजनिक स्मारक और एक मंदिर भी शामिल है. नई तकनीक फालेरी नोवी नाम के शहर के लिए इस्तेमाल की गई है. करीब 75 एकड़ में फैला यह शहर रोम के उत्तर में करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर है. फालेरी नोवी को ईसापूर्व सन 241 में रोमन साम्राज्य के दौर में बसाया गया था और यह मध्ययुग में ईसा बाद 700 साल तक आबाद था.
पहली बार किसी प्राचीन शहर के पूरे हिस्से का ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार यानी जीपीआर की मदद से नक्शा बनाया गया है. इस तकनीक में रिसर्चरों को खुदाई किए बिना पुरातत्विक जगहों की खोज करने का जरिया मिल जाता है. यह खुदाई की तुलना में काफी सस्ता और समय बचाने वाला भी है.
यह तकनीक रडार एंटीना का इस्तेमाल कर सतह के नीचे देख सकती है. इस तकनीक में इस्तेमाल होने वाला एंटीना जमीन में रेडियो सिग्नल भेजता है और फिर एंटीना इन सिग्नल की तरंगों के जमीन के भीतर मौजूद चीजों से टकराने के कारण पैदा हुए कंपनों को सुनता है. जीपीआर उपकरण जमीन की सतह पर गाड़ी में रख कर संबंधित इलाके के ऊपर घुमाए जाते हैं.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में क्लासिकल आर्कियोलॉजी के प्रोफेसर मार्टिन मिलेट ने बताया, "इस काम में एक आदमी को करीब तीन से चार महीने के लिए इलाके में रहना पड़ा. हम रोमन शहरों का जिस तरह अध्ययन करते और समझते हैं उसमें इससे काफी बदलाव होगा, साथ ही भविष्य के पुरातत्वशास्त्र में भी."
फालेरी नोवी प्राचीन शहर पोम्पेइ का आधा भी नहीं है. इसकी पहले थोड़ी बहुत खुदाई हुई है लेकिन ज्यादातर हिस्सा जमीन के भीतर ही दबा हुआ है. करीब 3000 की आबादी वाले इस शहर में एक विशाल स्नानागार के साथ ही बाजार की इमारतें और कम से कम 60 बड़े घर हैं. इसके साथ ही एक चौकोर मंदिर भी है जिसके खंभे शहर के दक्षिणी द्वार के करीब हैं.
उत्तरी गेट के पास एक सार्वजनिक स्मारक भी है जो अब तक मिले स्मारकों से बिलकुल अलग है. इसमें तीन तरफ खंभों वाला पोर्टिको है और एक बड़ा सा खुला चबूतरा है जिसका आकार 40 गुणा 90 मीटर है. फारेली नोवी में शहर के नीचे से गुजरने वाली पानी की पाइप लाइन भी थी जो ना सिर्फ सड़कों बल्कि दूसरे हिस्सों से होकर भी गुजरती थी. इससे पता चलता है कि शहर की योजना बनाने में खूब दिमाग लगाया गया था.
चार दिवारी से घिरा ये शहर टीबर नदी घाटी के इलाके में एक ज्वालामुखीय पठार के पास बसा था. माना जाता है कि ईसा पूर्व 241 में रोमन साम्राज्य के खिलाफ एक विद्रोह के बाद इसे बसाया गया. हाल ही में टीबर वैली प्रोजेक्ट के तहत इस शहर का सर्वे किया गया.
एनआर/एके (रॉयटर्स)
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