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प्रदूषण के जरिए समृद्धि की राह नहीं: जयराम रमेश

१५ फ़रवरी २०११

भारत के जुझारू पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने इस बात से इंकार किया है कि उनकी पर्यावरण समर्थक नीतियां विदेशी निवेशकों को भगा रही हैं और देश के विकास में रोड़े अटका रही है.

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तस्वीर: AP

भारतीय पर्यावरण मंत्री का कहना है कि उनका देश प्रदूषण के जरिए समृद्धि की राह नहीं बना सकता. कभी कांग्रेस पार्टी के आर्थिक नीतिकार रहे जयराम रमेश की पर्यावरण नियमों को लागू करने की जिद ने उन्हें कारोबारियों का विरोधी बना दिया है. उनका कहना है कि इस बात के ठोस सबूत नहीं है कि औद्योगिक परियोजनाओं में बाधा डालने की वजह से भारत में विदेशी निवेश गिरा है.

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भारत में फैक्ट्रियों से निकल रहा कूड़ातस्वीर: AP

नई दिल्ली में विदेशी पत्रकारों की एक गोष्ठी को संबोधित करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि भारत को इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि उसका विकास पर्यावरण के हिसाब से टिकाऊ है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर 8.6 फीसदी होने का अनुमान है.

जयराम रमेश ने कहा, "भारत के लिए कठोर विकल्प चुनने का वक्त आ गया है. वह प्रदूषण के जरिए समृद्धि नहीं पा सकता." उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ देश के कानून को लागू कर रहा हूं." जयराम रमेश के मंत्री बनने से पहले पर्यावरण मंत्रालय को सिर्फ रबर स्टाम्प समझा जाता था.

हाल के महीनों में ब्रिटिश कंपनी वेदांता पर बक्साइट के खनन पर रोक, 31 मंजिले लक्जरी इमारत को तोड़ने और 3 अरब वाले लक्जरी टाउनशिप के निर्माण पर रोक के उनके फैसले ने आर्थिक जगत में हलचल मचा दी थी. दक्षिण कोरिया की पोस्को कंपनी को 12 अरब डॉलर का स्टील प्लांट लगाने की अनुमति तो दी गई है लेकिन उसके साथ दो दर्जन शर्तें जोड़ दी गई हैं.

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार 2010 में भारत में सीधा विदेशी निवेश एक साल पहले के मुकाबले 32 फीसदी गिरकर 24 अरब डॉलर रह गया. आर्थिक हल्कों में इस पर चिंता है कि रमेश द्वारा पर्यावरण कानूनों को सख्ती से लागू किए जाने के कारण अनिश्चित नियामक माहौल बन रहा जो विदेशी निवेशकों को रोक रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक ने भी हाल में कहा है कि विदेशी निवेश में गिरावट की वजह सरकार की पर्यावरण नीतियां हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एम गोपालकृष्णन

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