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प्यासा ईरान अब धंसने भी लगा है

२६ जनवरी २०१९

ईरान की राजधानी तेहरान धीरे धीरे धंस रही है. अधिकारी चेतावनी दे रहे हैं कि देश खतरे में हैं. तेल रिफाइनरियों से लेकर एयरपोर्ट तक दांव पर हैं.

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तेहरान के आस पास कई सड़कों पर दरारें पड़ चुकी हैं. बड़े बड़े गड्ढे हो चुके हैं. ईरानी राजधानी के आस पास की जमीन धंसती जा रही है. वैज्ञानिक भूजल के अंधाधुंध दोहन को इसका कारण मान रहे हैं.

30 साल लंबे सूखे के दौरान जमीन से अथाह पानी खींचा गया. अब इसकी वजह से जमीन धंसने लगी है. असर इतना बड़ा है कि सैटेलाइट की तस्वीरों और हवा से ली गई तस्वीरों में इसे साफ देखा जा सकता है. ईरान के मानचित्र विभाग के मेजरमेंट एक्सपर्ट सियावास अराबी कहते हैं, "जमीन धंसना एक विध्वसंक मामला है. इसका असर फौरी तौर पर भले ही भूकंप जैसा न हो, लेकिन आप धीरे धीरे वक्त के साथ विध्वंसक बदलाव देखेंगे."

अराबी के मुताबिक खेतों में अभी से बड़ी बड़ी दरारें दिखने लगी हैं. रिहाइशी इलाकों में इमारतें चर्राने लगी हैं, पानी और नेचुरल गैस की पाइप लाइनें भी खराब होने लगी हैं. तेहरान के आस पास के इलाके में हर साल जमीन 22 सेंटीमीटर धंस रही है. पश्चिमी ईरान में तो 60 मीटर बड़े गड्ढे तक दिखाई पड़ने लगे हैं.

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हर साल कम से कम 24 सेंटीमीटर धंस रही है जमीनतस्वीर: IRNA

राजधानी तेहरान समुद्र तल से 1,200 मीटर की ऊंचाई पर है. बीते 100 साल में यह शहर लगातार बढ़ता गया. आज तेहरान की आबादी 1.3 करोड़ है. इस जनसंख्या ने पानी की आपूर्ति पर बहुत ज्यादा दबाव डाला है. 2018 में पूरे साल भर ईरान में सिर्फ 171 मिलीमीटर बारिश हुई. पानी की कमी पूरी करने के लिए जमीन से खूब भूजल निकाला गया.

समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) से बात करते हुए अराबी ने कहा, "सतह के नीचे की जमीन में पानी और हवा मौजूद होते हैं. जब आप जमीन से पानी निकाल लेते हैं तो मिट्टी के बीच खाली जगह बच जाती है. धीरे धीरे ऊपरी दबाव के चलते जमीन धंसने लगती है और दरारें पड़ने लगती हैं."

बारिश और बर्फबारी से भूजल रिचार्ज होता है, लेकिन ईरान बीते तीन दशकों से भीषण सूखे का सामना कर रहा है. ईरान के मौसम विभाग के मुताबिक देश का 97 फीसदी हिस्सा सूखे का शिकार है. जर्मन सेंटर फॉर जियोसाइंसेस, पोट्सडाम के वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर दावा किया है कि 2003 से 2017 के बीच पश्चिमी तेहरान का सपाट इलाका 25 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष की दर से धंस रहा है.

ईरान के पर्यावरण कार्यकर्ता मोहम्मद दारविश कहते हैं, "यूरोपीय देशों में चार मिलीमीटर प्रतिवर्ष के धंसाव को संकट माना जाता है." जर्मन वैज्ञानिकों के मुताबिक तेहरान के इमाम खमेनई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नीचे की जमीन हर साल पांच सेंटीमीटर धंस रही है.

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बीते 30 साल के सूखे ने ईरान की हालत खराब कीतस्वीर: Mehr

ऑयल रिफाइनरियां ईरान की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्तंभ हैं. लेकिन वे भी धंसती जमीन पर टिकी हैं. अहम हाईवे, ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स और रेलवे लाइनें भी ऐसी जमीन पर हैं.

ईरानी मानचित्र विभाग के प्रमुख मसूद शफी के मुताबिक, "भू धंसाव की दर काफी तेज है और कई मामलों में यह घनी आबादी वाली जगहों पर हो रहा है. यह एयरपोर्ट जैसी उच्च प्राथमिकता और संवेदनशीलता वाले इलाकों में भी हो रहा है."

1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे. पाबंदियों की आलोचना करते हुए तेहरान ने हर मामले में आत्मनिर्भर बनने का एलान किया. खेतों को पर्याप्त पानी देने के लिए जमीन से खूब पानी खींचा गया. विशेषज्ञों के मुताबिक आज भी ईरान का 90 फीसदी पानी कृषि पर खर्च होता है.

लेकिन अब जमीन भी सूख चुकी है और उस पर निर्भर इंसानों के व्यवहार पर इसका असर देखा जा रहा है. 2018 में ईरान में काफी अशांति भी हुई. उसके लिए सूखे को जिम्मेदार ठहराया जाता है. परमाणु कार्यक्रम के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंध ईरान के हालात और खराब करेंगे.

ईरान और इस्राएल की दुश्मनी भी जगजाहिर है. जून 2018 में इस्राएली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का एक वीडियो सामने आया. इस्राएल की वॉटर टेक्नोलॉजी का हवाला देते हुए इस वीडियो में नेतन्याहू कह रहे थे, "ईरान की सत्ता चिल्लाती है, इस्राएल की मौत." लेकिन इसके जवाब में "इस्राएल जोर से कहता है, ईरान के लोगों को जीवन."

ईरान के अधिकारियों ने नेतन्याहू की पेशकश को खारिज कर दिया, लेकिन धंसती जमीन के ऊपर टिके उनके दफ्तर पानी की किल्लत दूर करने का कोई तरीका नहीं खोज सके हैं.

(आने वाले खतरे की निशानी हैं ईरान की ये तस्वीरें)

ओएसजे/एमजे (एपी)