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पोलैंड के विपक्षी नेताओं के फोन किसने हैक किए

यासेक लेपियार्ज
६ जनवरी २०२२

पोलैंड में विपक्षी सांसदों और एक संघीय अभियोजक का फोन पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर हैक किया गया. देश की सरकार हालांकि दोषियों का पता लगाने में कोई खास दिलचस्पी नहीं ले रही है.

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Illustration | Website der NSO Gruppe - Pegasus Software
तस्वीर: JOEL SAGET/AFP/Getty Images

जुलाई 2021 में पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम ने गहराई से छानबीन करने के बाद यह जानकारी दी कि निरंकुश शासक इस्रायली पेगासस स्पाइवेयर की मदद से राजनेताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी कर रहे हैं. इनमें अजरबाइजान, सऊदी अरब, रवांडा और मोरक्को जैस देश शामिल हैं. इनमें यूरोप से केवल हंगरी का नाम सामने आया.

अब करीब छह महीने बाद ऐसे ब्यौरे सामने आए हैं जिनसे पता चलता है कि पोलैंड की सरकार ने भी पेगासस की मदद ली. देश में फिलहाल लॉ एंड जस्टिस पार्टी के नेतृत्व में बने गठबंधन की सरकार है. विपक्षी दल सिविक प्लेटफॉर्म के प्रमुख सांसद क्रिस्टोफ ब्रेजा ने दिसंबर 2021 में कहा कि उनका स्मार्टफोन अप्रैल 2019 से अक्टूबर 2019 के बीच 33 बार हैक हुआ.

इस दौरान ब्रेजा अपनी पार्टी के चुनावी दल को 13 अक्टूबर 2019 को हुए चुनावों के लिए दिशा निर्देश दे रहे थे. इसी दौर में पोलैंड के सरकारी प्रसारक टीवीपी ने ब्रेजा पर अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बेहद कठोर अभियान चलाने का आरोप लगाया. दावे की पुष्टि में कुछ फेक इमेल का हवाला दिया गया. ब्रेजा का कहना है कि उसी समय इन आरोपों का सामने आना महज "इत्तफाक नहीं" था.  38 साल के ब्रेजा ने कहा है कि उनके स्मार्टफोन से ईमेल डाउनलोड किए गए और जिन्हें तोड़ मरोड़ कर उनकी छवि बिगाड़ने में इस्तेमाल किया गया.

Krzysztof Brejza
तस्वीर: Rafa³ Guz/PAP//picture alliance

ब्रेजा पोलैंड के ऐसे अकेले राजनेता नहीं हैं जिनकी निगरानी की गई. प्रमुख विपक्षी वकील रोमान गीयरटिष का भी कहना है कि उनका फोन 18 बार हैक हुआ. गीयरटिष देश के गृहमंत्री भी रह चुके हैं. पोलैंड की अभियोजक एवा व्रोसेक का फोन भी 2021 में जून से अगस्त के बीच छह बार हैक किया गया. उन्होंने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए पोस्टल वोटिंग शुरु करने की विवादित योजना की आलोचना की थी. वो विपक्षी स्वतंत्र अभियोजकों के संगठन लेग्स सुपर ओमनिया के लिए भी काम करती हैं.

पेगासस है क्या?

पेगासस स्पाइवेयर को इस्रायली कंपनी एनएसओ ने विकसित किया है. यह दुनिया भर के देशों को बेचा जाता है ताकि आतंकवाद और संगठित अपराध से लड़ाई में उनकी मदद की जा सके. पेगासस आइफोन और एंड्रॉयड वाले स्मार्टफोन की रियल टाइम में जासूसी करने में सक्षम है. यह बातचीत रिकॉर्ड कर सकता है, लोकेशन डाटा की जानकारी ले सकता है और गुप्त रूप से कैमरा भी चालू कर सकता है.

ब्रेजा को एसोसिएटेड प्रेस की न्यूज रिपोर्ट से अपने फोन के हैक होने का पता चला. टोरंटो यूनिवर्सिटी की सिटिजन लैब ने इसकी पुष्टि भी की है. पोलैंड के विपक्षी नेता इसे "पोलिश वाटरगेट" कह रहे है और उन्होंने इसकी संसदीय जांच की मांग की है. उन्हें अंदेशा है कि इससे पहले हुए चुनाव में भी गड़बड़ी की गई होगी.

Israel Sapir | Logo der NSO Gruppe
तस्वीर: Sebastian Scheiner/AP/picture alliance

सरकार का इनकार

इस बीच सरकार ने कहा है कि उसे किसी गलत कार्रवाई के बारे में कोई जानकारी नहीं है. 2021 के आखिर में पत्रकारों से बातचीत में उप न्याय मंत्री मिषाल वोस ने कहा, "मुझे नहीं पता कि आप किस सिस्टम के बारे में बात कर रहे हैं. मुझे नहीं पता कि यह सिस्टम क्या है. वोस इसके साथ ही यह भी कहा कि न्याय मंत्री और महाभियोजक सबिनियो जोब्रो भी ऐसे किसी गैरकानूनी निगरानी तंत्र को नहीं जानते.

अभियोजन विभाग ने इस मामले में बहुत दिलचस्पी नहीं ली है. विपक्षी सांसद ब्रेजा के वकील ने याचिका दायर किया है लेकिन अब तक कोई कार्यवाही शुरू नहीं हुई है. व्रोसेक ने भी कानूनी कार्रवाई की मांग की लेकिन उनका मुकदमा यह कह कर खारिज कर दिया कि इसके लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.

जनवरी में वोस ने इस मामले को ट्विटर पर डाला. उन्होंने एक प्लेस्टेशन गेमिंग कॉन्सोल की तस्वीर डाल कर लिखा यह पेगासस है जिसे मैंने 90 के दशक में खरीदा था. पोलैंड के प्रधानमंत्री मातेयूस मोराविकी ने इस बीच कहा है कि फोन हैकिंग का काम विदेशी खुफिया एजेंसियों का हो सकता है, "जो दुनिया भर में कई हैं."

Ungarn I Viktor Orban
हंगरी यूरोप में अकेला देश था जिसने पेगासस का इस्तेमाल किया थातस्वीर: Laszlo Balogh/AP/picture alliance

ऊंचे स्तर पर करार

हाल ही में ऐसे कई दस्तावेज सामने आए हैं जिनसे स्पाइवेयर के मामले में कुछ बातें पता चली हैं. 3 दिसंबर को पोलैंड के वामपंथी उदारवादी अखबार गजेटा विबोर्चा ने बताया कि जुलाई 2017 में हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान, पोलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री बीटा सिडलो और पूर्व इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू की मुलाकात हुई थी. अखबार ने खबर दी है कि इसी मुलाकात में पेगासस स्पाइवेयर को खरीदने का करार हुआ.

पेगासस जासूसी कांड पर सिद्धार्थ वरदराजन से बातचीत

अखबार ने यह भी दावा किया है कि पोलैंड की सरकार ने तकीबन 55 लाख यूरो की इस खरीदारी को छिपाने के लिए पैसा अपराध पीड़ितों के लिए बने फंड से लिया. इस फंड की निगरानी सेंट्रल एंटी करप्शन ब्यूरो की बजाय न्याय मंत्रालय के हाथ में है. इसे संभव करने के लिए पोलैंड की संसद को फंड का स्टेटस बदलना पड़ा. अखबार का दावा है कि वोस ने इसके लिए फाइनेंस कमेटी के पास अनुरोध भेजा. हालांकि सांसदों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई कि यह फंड स्पाइवेयर खरीदने के लिए है.

विकल्प और भी हैं

इस्राएल ने कथित रूप से पेगासस के इस्तेमाल का लाइसेंस लेने वाले देशों की संख्या 100 से घटा कर 37 कर दी है. हंगरी और पोलैंड भी उन देशों में शामिल हैं जिनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. पोलैंड के विपक्षी दलों ने संदेह जताया है कि इससे निगरानी कार्यक्रम बंद नहीं हो जाएगा. गृह और विदेश विभाग के मंत्री रह चुके जेगोस सेतीना का कहना है, "आने वाले दिनों में हमें निगरानी के शिकार कई और नामों और फोन नंबरों का पता चलेगा."

सुरक्षा विशेषज्ञ पिओत्र निमेचिक ने इस बीच ध्यान दिलाया है कि स्पाइवेयर के दूसरे विकल्प पहले ही बाजार में पहुंच चुके हैं. नॉर्थ मैसेडोनिया में मौजूद इस्राएली साइबर सिक्योरिटी कंपनी साइट्रॉक्स ने प्रीडेटर बनाया है जो पेगासस जैसा ही है.

बीते 27 दिसंबर को लॉ एंड जस्टिस पार्टी के नेता और देश के उप प्रधानमंत्री यारोस्ला काचिंस्की ने लोगों को शांत करते हुए कहा, "जब मैं आपसे मेरे जैसा फोन इस्तेमाल करने के लिए कहता हूं तो यह आधा मजाक होता है. मेरा फोन पुराना है और वीडियो रिकॉर्ड कर सकता है बशर्ते आप जानते हों कि कौन सा बटन दबाना है." काचिंस्की आधुनिक तकनीक को संदेह की नजर से देखते हैं और यह पहले से ही जगजाहिर है.

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