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पीजे थॉमस ने नहीं दिया इस्तीफा

४ मार्च २०११

सुप्रीम कोर्ट के फैसले और कड़ी फटकार के बाद भी भारत के केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पीजे थॉमस ने इस्तीफा देने से इनकार किया है. थॉमस का कहना है कि वह फैसले के खिलाफ पुर्नविचार याचिका दायर करने की सोच रहे हैं.

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सुप्रीम कोर्ट की फटकार का भी असर नहींतस्वीर: Wikipedia/LegalEagle

थॉमस के सलाहकार विल्स मैथ्यूज ने कहा कि पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पढ़ा जाएगा. इसके बाद ही ''इस्तीफा देने या पुर्नविचार याचिका दायर'' करने पर विचार किया जाएगा.

समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में मैथ्यूज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी अभी थॉमस को नहीं मिली है. मैथ्यूज ने कहा, ''मैंने उनसे बात की है. वह पहले ही इस्तीफा देने के लिए तैयार थे लेकिन कुछ लोगों की ऐसी कानूनी राय है कि उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए. इसीलिए उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया.''

केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम का हवाला देते हुए मैथ्यूज ने कहा कि सीवीसी या तो खुद इस्तीफा दे सकते हैं या उन्हें भारत का राष्ट्रपति ही हटा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी इनमें से कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है.

थॉमस को सितंबर 2010 में भारत का केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) बनाया गया. सीवीसी की नियुक्ति प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और नेता विपक्ष की उच्च स्तरीय कमेटी करती है. लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने पीजे थॉमस की नियुक्ति पर गहरी आपत्ति जताई थी. इसके बावजूद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृह मंत्री पी चिदंबरम ने थॉमस को सीवीसी बनाने का समर्थन किया और बना भी दिया.

थॉमस पर 1992 में मलेशिया से ऊंची कीमतों पर पामोलिन तेल खरीदने का केस चल रहा है. आरोप है कि उन्होंने जानबूझ बाजार दर से ऊंची कीमतों पर तेल खरीदने का सरकारी सौदा किया. इस संबंध में तिरुअंनतपुरम की अदालत में केस चल रहा है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक ऐसे व्यक्ति जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला चल रहा है उसे सीवीसी बनाना गैरकानूनी है. कोर्ट ने सरकार को भी कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उसने थॉमस का नाम सिर्फ बायोडाटा देखकर कैसे तय कर दिया. कोर्ट ने कहा कि थॉमस सीवीसी के पद के योग्य ही नहीं हैं.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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