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पीएम लोकपाल बिल के दायरे में हों: दिग्विजय

१३ जून २०११

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को लोकपाल बिल के दायरे में लाने का समर्थन किया. हालांकि दिग्विजय सिंह ने इसे अपनी निजी राय बताया है. सरकार पीएम को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने के हक में है.

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तस्वीर: AP

अपने गृहनगर राघोगढ़ में दिग्विजय सिंह ने कहा, "मेरी राय में प्रधानमंत्री, न्यायपालिका, गैर सरकारी संगठनों और औद्योगिक घरानों को लोकपाल के दायरे में आना चाहिए. इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि लोकपाल अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल नहीं कर पाए. जब मैं मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री था, मैं मुख्यमंत्री पद को लोकायुक्त के दायरे में लाया था."

दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया है कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है और इस पर पार्टी ने कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है. ड्राफ्टिंग समिति ही बिल की मुख्य बातों को अंतिम रुप देगी. वैसे दिग्विजय सिंह का यह बयान कांग्रेस के रुख के विपरीत है. केंद्र सरकार और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं में प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के मुद्दे पर मतभेद हैं.

अन्ना हजारे जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर इशारा करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि कुछ लोग सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं और लोकतंत्र के लिए यह अच्छी बात नहीं है. "अन्ना हजारे को सरकार के खिलाफ बयान देने के बजाए लोकपाल बिल की संयुक्त ड्राफ्टिंग समिति की बैठकों में हिस्सा लेना चाहिए."

दिग्विजय सिंह के मुताबिक अन्ना हजारे और स्वामी रामदेव के विरोध प्रदर्शनों में कोई अंतर नहीं है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदु आतंकवाद से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए दोनों की मदद कर रहा है.

जन लोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे अनशन पर बैठ चुके हैं जिसके बाद बिल का मसौदा तैयार करने के लिए संयुक्त समिति का गठन किया गया है. नागरिक अधिकार कार्यकर्ता प्रधानमंत्री, न्यायपालिका और सांसदों को जन लोकपाल बिल के दायरे में लाना चाहते हैं लेकिन सरकार फिलहाल इससे इनकार कर रही है जिससे गतिरोध की स्थिति बनी हुई है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: महेश झा

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