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पाम ऑयल बेच कर हथियार खरीदेगा मलेशिया

२६ अगस्त २०१९

दक्षिणपूर्वी एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अपने पुराने सैनिक साजो सामान को बदलना और अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाना चाहती है.

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WWF Living Planet Report Malaysia Palmöl
तस्वीर: WWF/J. Carlos Munoz

मलेशिया बीते कई सालों से अपने सैन्य उपकरणों को बदलने के लिए उपायों पर विचार कर रहा है. इस साल रक्षा बजट में कटौती के बाद नौसेना के लिए पुराने जहाजों को बदलने की योजना खटाई में पड़ गई है. इनमें से कुछ जहाजों को तो सेना में शामिल हुए 35 साल से ज्यादा बीत गए हैं. सैन्य उपकरणों की भारी कीमत इस मार्ग में एक बड़ी बाधा है. हालांकि अगर मलेशिया पाम ऑयल की इस काम में मदद लेता है तो यह उसकी सेना को बेहतर बनाने में बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है. यह मानना है मलेशिया के रक्षा मंत्री मोहम्मद साबू का.

रक्षामंत्री का कहना है कि मलेशिया ने चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, तुर्की और ईरान के साथ तेल के जरिए भुगतान पर बातचीत शुरू कर दी है. रक्षा मंत्री का कहना है, "अगर ये देश पाम ऑयल के जरिए कारोबार पर तैयार हो जाते हैं तो हम इस ओर बढ़ना चाहते हैं. हमारे पास बहुत ज्यादा पाम ऑयल है."

Borneo Regenwald Abholzung Palmöl Plantage
तस्वीर: picture-alliance/Mint Images/F. Lanting

मलेशिया और इंडोनेशिया दुनिया में सबसे ज्यादा पाम ऑयल पैदा करने वाले देश हैं. दुनिया में इस्तेमाल होने वाले पाम ऑयल का 85 फीसदी हिस्सा इन्हीं दोनों देशों से आता है. इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से खाने में होता है लेकिन इससे कॉस्मेटिक्स और साबुन जैसी चीजें भी बनाई जाती हैं. हालांकि इसे लेकर विवाद भी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पाम ऑयल पर्यावरण के लिए बेहद खराब है और उसे 1990 से 2008 के बीच दुनिया के 8 फीसदी जंगलों की कटाई का जिम्मेदार माना है. इसकी वजह यह है कि ताड़ के पेड़ लगाने के लिए जंगलों की कटाई की जाती है. इस मुद्दे पर यूरोपीय संघ और मलेशिया के बीच विवाद भी चल रहा है.

मोहम्मद साबू ने यह नहीं बताया कि मलेशिया कितना तेल बेच कर सैन्य उपकरण खरीदना चाहता है. नए जहाजों के अलावा मलेशिया लंबी दूरी के निगरानी वाले विमान, पायलट रहित विमान तेज अवरोधी नौकाएं खरीदना चाहता है. प्रस्तावित तेल का कारोबार अगले 10 साल की रक्षा नीति का हिस्सा है जिसे इसी साल संसद में पेश किया जाएगा. इसमें नौसेना की क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया है. खासतौर से दक्षिण चीन सागर मलेशिया की योजना के केंद्र में है.

चीन नक्शे में 9 डैश लाइन के जरिए इस सागर पर ऐतिहासिक रूप से दावा करता आया है, हालांकि चीन का यह दावा मलेशिया, चीन, वियतनाम, ब्रुनेई और फिलीपींस के दावों के पार चला जाता है. ताईवान भी इस सागर के ज्यादातर हिस्सों पर अपना अधिकार जताता है.

हाल ही में चीन ने विवादित सागर के इलाके में अपने नौसैनिकों को तैनात किया है. इस रास्ते से हर साल 34 खरब डॉलर के सामान की ढुलाई होती है. चीनी सैनिकों की तैनाती से वियतनाम और फिलीपींस के साथ चीन का तनाव बढ़ गया है. मलेशिया दक्षिण चीन सागर पर चीन की स्थिति को लेकर उसकी आलोचना करता रहा है हालांकि हाल फिलहाल में उसने ज्यादा कुछ नहीं कहा है, खासतौर से बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट में चीन के अरबों डॉलर खर्च करने के बाद.

मलेशिया नियमित रूप से चीन की नावों और तटरक्षक बलों की मलेशिया की जल सीमा में आने पर लगातार नजर रखता है. यह जानकारी रक्षा मंत्री ने दी. इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि चीन मलेशिया की इज्जत करता है और "अब तक उसने ऐसा कोई काम नहीं किया है जिससे हमें तकलीफ हो." मलेशियाई रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों को साथ मिल कर काम करना होगा ताकि अमेरिका और चीन की इस इलाके को नियंत्रित करने की होड़ में उनका अहित ना हो. मोहम्मद ने कहा, "हम इस इलाके को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष रखना चाहते हैं."

एनआर/आईबी(रॉयटर्स)

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