पाकिस्तान में एकजुट हुआ विपक्ष, निशाने पर इमरान खान और सेना
२१ सितम्बर २०२०रविवार को कई बड़ी विपक्षी पार्टियों ने राजधानी इस्लामाबाद में दिन भर बैठक की और प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अगले महीने से बड़े विरोध प्रदर्शनों की रूपरेखा तैयार की. उन्होंने इमरान खान का इस्तीफा मांगा है और इसी मकसद से देशव्यापी आंदोलन चलाने की घोषणा की. विपक्ष के इस नए गठबंधन को पाकिस्तान डेमोक्रैटिक मूवमेंट (पीडीएम) का नाम दिया गया है.
विपक्षी पार्टियां दरअसल पाकिस्तान की राजनीति में सेना के हस्तक्षेप का विरोध कर रही हैं और जवाबदेही का एक नया कानून बनाने की मांग कर रही हैं. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने ट्वीट कर कहा कि पीडीएम "लोकतांत्रिक पाकिस्तान की दिशा में एक अहम कदम" है.
वहीं पीडीएम में शामिल धार्मिक पार्टी जमीयत उलेमाए इस्लाम (एफ) के मुखिया मौलाना फजलुर्रहमान ने कहा, "हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री इमरान खान तुरंत इस्तीफा दें." इस बीच, विपक्षी सांसदों ने भी इस्तीफा देने की धमकी दी है ताकि देश में नए सिरे से चुनावों के लिए दबाव डाला जा सके.
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नवाज का निशाना
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल (एन) के नेता नवाज शरीफ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से जरिए इस बैठक को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि पहले "सेना देश के भीतर एक देश" थी लेकिन अब वह "देश से ऊपर हो गई" है. बताया जाता है कि जब शरीफ राजनीति और गबन में शामिल रहे सैन्य जनरलों के नाम बोल रहे थे तो टीवी चैनलों पर उनकी आवाज को म्यूट कर दिया गया. अलबत्ता उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि चुने हुए लोग ही देश को चलाएं, इसकी अर्थव्यवस्था को संभाले और इसकी विदेश नीति को तय करें." पूर्व प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सेना ने इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाने के लिए पिछले चुनावों में धांधली कराई.
नवाज शरीफ भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल की सजा काट रहे हैं, लेकिन अभी वह जमानत पर हैं और लंदन में रहकर इलाज करा रहे हैं. उन्होंने कहा, "हमारा संघर्ष उन लोगों के खिलाफ है जो इमरान खान को लेकर आए हैं और जिन्होंने उनके जैसे नकारे आदमी को सत्ता में बिठाने के लिए चुनावों में गड़बड़ी की, देश को तबाह किया."
नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे हैं, लेकिन वह अपना कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. सेना के साथ टकराव के कारण उन्हें हर बार अपना पद छोड़ना पड़ा. माना जाता है कि पाकिस्तान में आम तौर पर सेना ही तय करती है कि देश की सत्ता किसके हाथ में होगी. अब विपक्षी गठबंधन इसी के खिलाफ आवाज उठा रहा है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल ने भी साफ शब्दों में कहा कि राजनीति में सेना की भूमिका नहीं होनी चाहिए.
पाकिस्तान में विपक्षी पार्टियां ऐसे समय में सरकार के खिलाफ एकजुट हो रही है जब कुछ इलाकों में तालिबान के दोबारा मजबूत होने की खबरें आ रही हैं. रविवार को सेना ने कहा कि पश्चिमोत्तर पाकिस्तान में उग्रवादियों के साथ हुई गोलीबारी में दो सैनिक मारे गए हैं. इससे पहले इसी महीने पाकिस्तानी तालिबान ने देश के पश्चिमोत्तर हिस्से में ही सड़क किनारे हुए एक बम धमाके की जिम्मेदारी ली, जिसमें तीन सैनिक मारे गए थे.
एके/एमजे (डीपीए, एपी)
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