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पाकिस्तान ने चीन को सबसे अच्छा दोस्त बताया

१७ मई २०११

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने चीन को अपना सबसे अच्छा दोस्त घोषित कर अमेरिका को करारा झटका दिया है. ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद पाक-अमेरिकी तनाव के बीच गिलानी चीन दौरे पर रवाना हुए.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

पिछले दिनों पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में अमेरिकी सेना की एक कार्रवाई में अल कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन को मारा गया. पाकिस्तान ने इस एकतरफा कार्रवाई को अपनी संप्रभुता का हनन बता कर नाराजगी जताई. यह कार्रवाई चीन और पाकिस्तान को और करीब ला सकती है. गिलानी ने चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ से कहा, "हम इस बात की सराहना करते हैं कि इस मुश्किल वक्त में चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा है. इसीलिए हम चीन को सच्चा दोस्त कहते हैं जिसने हर वक्त हमारा साथ दिया है. हमें गर्व है कि हमारे पास चीन जैसा सबसे अच्छा और सबसे भरोसेमंद दोस्त है. पाकिस्तान भी हमेशा चीन के साथ खड़ा रहेगा."

सवालों में पाकिस्तान

China Pakistan Beziehungen
तस्वीर: AP

2 मई को लादेन की मौत के बाद से पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में आया तनाव गिलानी के बयान से और बढ़ सकता है. सोमवार को ही अमेरिकी सीनेटर जॉन कैरी ने मांग की कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कोशिशें बढ़ाए. पाकिस्तान के दौरे पर गए कैरी ने कहा कि पाकिस्तान को "सिर्फ वादे नहीं, कदम उठा कर" दिखाने होंगे.

संभवतः बिन लादेन का पाकिस्तान में बरसों तक रहना यह सवाल उठाता है कि देश के सुरक्षा प्रतिष्ठान को कैसे उसका पता नहीं चला. और अगर पता था तो फिर आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में उसकी भूमिका सवालों में घिरती है. इसी भूमिका की खातिर उसे अमेरिका से अरबों डॉलर की मदद मिली है.

एक तीर से दो निशाने

गिलानी मंगलवार को शंघाई पहुंच रहे हैं. पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक वह बुधवार को पूर्वी शहर शुचोऊ में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाषण देंगे. इसके बाद वह बीजिंग जाएंगे जहां उनकी मुलाकात चीनी राष्ट्रपति हू जिन्ताओ और प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ से होगी. दोनों देशों के बीच कई समझौते हो सकते हैं. मिल कर आतंकवाद से निपटने पर भी चर्चा हो सकती है.

चीन पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करने वाला मुख्य देश है. चीन उसे भारत को नियंत्रित करने के लिए भी अहम मानता है जो पाकिस्तान का चिरपरिचित प्रतिद्वंद्वी है. हाल के सालों में भारत और अमेरिका के संबंध खासे मजबूत हुए हैं जिन्हें लेकर चीन चिंतित है. बिन लादेन की मौत के बाद से ही चीन ने पाकिस्तान के समर्थन में आवाज बुलंद की है.

कैसा पाकिस्तान चाहिए

उधर कैरी ने जोर देकर कहा कि अमेरिकी सांसद पाकिस्तान को दी जाने वाली अरबों डॉलर की मदद पर फिर से विचार करने की मांग कर रहे हैं. सीनेट की विदेश मामलों की समिति के प्रमुख कैरी का कहना है, "आखिरकार पाकिस्तान के लोगों को ही तय करना है कि वे अपने देश को किस तरह का बनाना चाहते हैं. वे इसे आतंकवादियों की पनाहगाह बनाना चाहते हैं या फिर सहिष्णु लोकतंत्र जैसा कि इसके संस्थापक मोहम्मद अली जिन्नाह ने 64 साल पहले सोचा था."

एक टीवी संबोधन में कैरी ने कहा कि उन्हें भरोसे को बहाल करने का तरीका तलाशने के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा का भरपूर समर्थन प्राप्त है. अमेरिकी मदद रुकने की आशंका को देखते हुए पाकिस्तान चीन के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने की तरफ कदम बढ़ा रहा है. पाकिस्तान में पिछले हफ्ते ही 330 मेगावाट क्षमता वाला परमाणु बिजली प्लांट का उद्घाटन हुआ जो चीन की मदद से तैयार हुआ है. चीन पाकिस्तान में दो और परमाणु रिएक्टर बना रहा. अमेरिका दोनों देशों के इस सहयोग पर आपत्ति जताता रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एमजी

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