1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पश्चिमी अफ्रीका में त्रासदी का अलार्म

१३ अक्टूबर २०१२

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि पश्चिम अफ्रीका तबाह हो सकता है. उनके मुताबिक साहेल का इलाका 'मानवीय आपातकाल' के मुहाने पर है. भूख और असुरक्षा की आड़ में मौत वहां घात लगाए बैठी है.

https://p.dw.com/p/16PbF
तस्वीर: dapd

आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के मुताबिक पश्चिमी अफ्रीका के साहेल इलाके में लाखों लोग त्रासदी का सामना कर रहे हैं. इलाके में भुखमरी फैलने का जोखिम है, स्थानीय स्तर पर असुरक्षा का माहौल है और सूखा है. दोनों संस्थानों की एक साझा समिति ने बयान जारी कर कहा है, "साहेल इलाके में हम घातक मानवीय आपातकाल से परेशान हैं. इलाके में अस्थिरता और भूख की वजह से 1.9 करोड़ लोगों की जान खतरे में है."

Bildergalerie Unbekannter Reichtum Tschad
तस्वीर: Albrecht Harder

"खाद्यान्न सुरक्षा और महंगाई की वजह से लगातार विकास के लिए खतरा बना हुआ है." जापान की राजधानी टोक्यो में विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अधिकारियों की वार्षिक बैठक में यह मुद्दा उठा. साहेल का बड़ा इलाका रेगिस्तान है. साहेल इलाके में बुर्किना फासो, कैमरून, चाड, गाम्बिया, माली, मौरितानिया, नाइजर, नाइजीरिया और सेनेगल जैसे देश हैं.

चेतावनी ऐसे वक्त में आई है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय माली में सैन्य हस्तक्षेप की तैयारी कर रहा है. उत्तरी माली में इस्लामी चरमपंथियों ने आतंक मचा रहा है. चरमपंथी विश्व प्रसिद्ध शहर टिम्बक्टू को उजाड़ चुके हैं. इसी साल की शुरूआत में चरमपंथियों ने विश्व धरोहर का दर्जा पा चुके टिम्बक्टू शहर को हमलों से जीर्ण कर दिया.

Afrika Lebensmittel - Preise steigen
तस्वीर: AP

मार्च में सैन्य तख्तापलट के बाद हालात बिगड़ते चले गए. कहा जा रहा है कि उत्तरी और पूर्वी माली के टुआरेग विद्रोही और उग्रवादी अल कायदा से मिल गए हैं.

सूखे और हिंसा की मार साहेल के आम लोगों पर पड़ रही है. करीब दो करोड़ लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं तो 11 लाख बच्चे घातक कुपोषण का शिकार हैं. संयुक्त राष्ट्र के समन्वय और मानवीय मामलों के विभाग के मुताबिक अकेले उत्तरी माली में ही अब तक चार लाख लोग घर बार छोड़ कर भाग चुके हैं. इनमें से ज्यादातर लोग पड़ोसी देशों में चले गए हैं. पश्चिमी अफ्रीका के ज्यादातर देश अत्यंत पिछड़े हैं. विस्थापितों की बड़ी तादाद के चलते अन्य देशों का ढांचा भी चरमरा रहा है.

ओएसजे/एमजे (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें