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जर्मन सीखें

परिवारों को फेल कर रहे हैं जर्मन भाषा के टेस्ट

२६ अप्रैल २०१९

हर तीन में से एक विदेशी जर्मन भाषा के टेस्ट में फेल होने के कारण जर्मनी में अपने पति या पत्नी के साथ नहीं रह पा रहा है. क्या शुरु से विदेशी भाषा ना जानने के कारण लोगों को उनके परिवार से दूर रखना जरूरी है?

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Symbolbild: Integration von Flüchtlingskindern
तस्वीर: picture-alliance/P. Pleul

विदेशी लोगों को जर्मनी में अपने पति या पत्नी के पास आकर रहने के लिए वीजा पाने के लिए पहले अपने देश में ही जर्मन भाषा का एक बेसिक टेस्ट पास करना होता है. इसका सर्टिफिकेट जमा करने पर ही वीजा की प्रक्रिया आगे बढ़ती है. ऐसे कई विदेशी लोग हैं जो इस भाषा टेस्ट में फेल होने के कारण अपने परिवार से दूर रहने को मजबूर हैं.

यह शर्त यूरोपीय संघ के देशों से जर्मनी आने वालों पर लागू नहीं होती. और ना ही अमेरिकी, इस्राएली और उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों और मान्यता प्राप्त शरणार्थियों के पति या पत्नी के लिए अनिवार्य है.

ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2018 में जर्मन भाषा का 'डॉयच-1' टेस्ट देने वाले कुल 48,130 लोगों में से 16,200 इसमें फेल हो गए. इनमें से ज्यादातर लोग तुर्की, रूस, मैसेडोनिया, कोसोवो, थाईलैंड, वियतनाम और इराक से थे. फेल होने वालों की दर इराकी आवेदकों में सबसे ज्यादा थी. हर दो में से एक इराकी टेस्ट पास नहीं कर सका.

जर्मन सरकार के आप्रवासन और शरणार्थी ऑफिस (बीएएमएफ) ने "मूलभूत भाषा कौशल" की परिभाषा में कहा है, "कोई व्यक्ति इस लायक हो कि सरल वाक्य समझ सके, अपना परिचय दे सके, बाजार में सामान खरीद सके और जरूरत पड़ने पर रास्ते का पता पूछ सके." इसके अलावा उस व्यक्ति को फॉर्म वगैरह भरना भी आना चाहिए.

जर्मनी में विपक्ष की लेफ्ट पार्टी किसी विदेशी के लिए अपनी पति या पत्नी के साथ आकर रहने में भाषा की ऐसी शर्तें लगाने को "बिल्कुल अव्यावहारिक" बताते हुए इसकी निंदा करती है. लेफ्ट पार्टी की एक सांसद ग्योके अकबुलुत ने कहा कि भाषा वाले टेस्ट "परिवारों को सालों साल एक दूसरे से अलग रखते हैं." उनका मानना है कि जर्मनी आकर भाषा सीखना कहीं ज्यादा आसान और सस्ता पड़ेगा और लोगों पर इसका बोझ भी कम होगा.

हालांकि जर्मन सरकार में एकीकरण आयुक्त, सीडीयू पार्टी की अनेटे विडमन-माउत्स ऐसी शर्तों का समर्थन करती हैं. उनका कहना है कि विदेशी लोगों को सामान्य भाषा ज्ञान के साथ ही आना चाहिए ताकि जब वे जर्मनी पहुंचें "तो शुरु से अपना रास्ता पकड़ लें और समाज में अपनी जगह बना सकें."

आरपी/आईबी (एएफपी, केएनए)

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