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निहत्थे बिन लादेन पर हमला करने पर उठे सवाल

४ मई २०११

एबटाबाद में जब नेवी सील्स ने ओसामा बिन लादेन पर कार्रवाई की, तब उसके पास कोई हथियार नहीं थे. अमेरिका के इस खुलासा के बाद अब बहस शुरू हो गई है कि क्या निहत्थे बिन लादेन को मारने का अमेरिका का निर्णय सही था.

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This frame grab from video obtained exclusively by ABC News, on Monday, May 2, 2011, shows a section of a room in the interior of the compound where it is believed al-Qaida leader Osama bin Laden lived in Abbottabad, Pakistan. Bin Laden, the face of global terrorism and mastermind of the Sept. 11, 2001, attacks, was tracked down and shot to death in Pakistan, Monday, May 2, 2011, by an elite team of U.S. forces, ending an unrelenting manhunt that spanned a frustrating decade. (AP Photo/ABC News)
तस्वीर: dapd/ABC News

व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बिन लादेन ने "पकड़े जाने पर प्रतिरोध किया", लेकिन यह प्रतिरोध किस तरह का था, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रवक्ता जे कार्ने ने कहा, "हमें उम्मीद थी कि बिन लादेन पकड़े जाने पर कड़ा प्रतिरोध करेगा और हमें उसके कड़े प्रतिरोध का सामना करना भी पड़ा. वहां और कई लोग थे जिन के पास हथियार थे."

अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन

पूर्व पश्चिम जर्मनी के चांसलर रह चुके हेल्मुट श्मिट ने जर्मन टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा कि बिन लादेन पर अमेरिका का हमला ऐसे वक्त में हुआ है जब अरब देशों में पहले से ही अशांति फैली है. श्मिट ने कहा कि अरब देशों में इस कार्रवाई के कितने बुरे परिणाम हो सकते हैं, इसका अभी अनुमान लगाना मुश्किल है. श्मिट ने बिन लादेन को जान से मारने के अमेरिकी कदम को गलत बताते हुए कहा, "यह साफ साफ अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है."

In this May 3, 2011, photo, media and local residents gather outside the house where al-Qaida leader Osama bin Laden was caught and killed, in Abbottabad, Pakistan. The nail-biting, 40-minute clandestine operation that resulted in Osama bin Laden’s death could have been a calamitous political and military failure; a bloodbath in Pakistan that left U.S. forces and scores of civilians dead or captured by America’s most ferocious enemy. (Foto:Anjum Naveed/AP/dapd)
तस्वीर: dapd

क्यों नहीं चला मुकदमा

ऑस्ट्रेलिया के जाने माने मानवाधिकार प्रतिनिधि जेओफ्री रॉबर्टसन की भी यही राय है. वह कहते हैं, "यह न्याय नहीं है. न्याय तब होता है जब आप किसी को अदालत ले कर जाते हैं, सबूतों को मद्देनजर उसे दोषी पाते हैं और फिर सजा निर्धारित करते हैं. व्हाइट हाउस से आ रही आधी अधूरी रिपोर्टों से तो अब ऐसा लग रहा है कि शायद यह निर्दयी रूप से की गई हत्या है." रॉबर्टसन ने कहा कि बिन लादेन पर वैसे ही मुकदमा चलना चाहिए था जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नाजियों पर चला या जैसे युगोस्लाविया के पूर्व राष्ट्रपति स्लोबादान मिलोसेविच पर युद्ध अपराधों के लिए चला. लेकिन अमेरिका ने इसके विपरीत कदम उठाया, "बिन लादेन कभी नहीं चाहता था कि वह पकड़ा जाए और उस पर मुकदमा चले या फिर वह अपने जीवन की आखरी सांसें न्यूयॉर्क की जेल में ले. वह जो चाहता था, उसे वही मिलाः वह जिहाद के दौरान शहीद हो जाए और उसे जन्नत नसीब हो, और अमेरिका ने उसकी ख्वाहिश पूरी कर दी."

Pakistani soldiers and policemen, as well as reporters are seen on the site of Bilal town, Abbottabad, Pakistan, on May 3rd, 2011, a day after the U.S. commando operation that killed Osama Bin Laden, Al Qaida founder who was living and hiding there. Photo by Balkis Press/ABACAPRESS.COM
तस्वीर: picture alliance/abaca

अमेरिका का जंगल राज

नई दिल्ली में जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि अमेरिका अगर चाहता तो बिन लादेन को जिंदा भी पकड़ सकता था. उन्होंने कहा, "अमेरिका हर जगह जंगल राज लागू करना चाहता है, चाहे वह अफगानिस्तान हो, इराक, पाकिस्तान या लीबिया. अब तक लोग खामोश रहे, लेकिन अब तो हद ही पार हो गई है."

रिपोर्ट: रॉयटर्स/ईशा भाटिया

संपादन: ए कुमार

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