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नासा ने सौरमंडल के बाहर दो और ग्रह ढूंढे

२१ सितम्बर २०१८

हमारे सौरमंडल से बाहर ग्रह ढूंढने गई नासा की दूरबीन ने दो सुदूर ग्रहों का पता लगाया है. अमेरिका में फ्लोरिडा के केप कार्निवाल से पांच महीने पहले इस दूरबीन को लॉन्च किया गया था.

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Exoplanet
तस्वीर: Imago/ZUMA Press

नासा के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट जो टीईएसएस के नाम से मशहूर है, उसने "सुपर अर्थ" और "हॉट अर्थ" की खोज की है. ये दोनों ग्रह कम से कम 49 प्रकाश वर्ष दूर हैं. अप्रैल में लॉन्च होने के बाद इस सैटेलाइट की यह पहली खोज है. टीईएसएस दो साल के मिशन पर अंतरिक्ष में भेजा गया है. करीब 33.7 करोड़ डॉलर के खर्च वाले इस मिशन का लक्ष्य अब तक ज्ञात एक्सोप्लेनेट यानी बाहरी ग्रहों की सूची को और बड़ा करना है. 

Weltraumteleskop TESS
तस्वीर: MIT

जिन दो ग्रहों की खोज की गई है वे बेहद गर्म हैं और उन पर जीवन की उत्पत्ति नहीं हो सकती. टीईएसएस की डेपुटी साइंस डाइरेक्टर सारा सीगर इस तरह की और बहुत सी खोजों की उम्मीद कर रही हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में सारा ने कहा, "हमें थोड़ा इंतजार करना और यह देखना होगा कि टीईएसएस और क्या खोज करता है. हम जानते हैं कि बाहर ग्रह हैं, और रात को आकाश में बिखरे रहते हैं, उन्हें मिलने का इंतजार है."

टीईएसएस को अपने पूर्ववर्ती केपलर स्पेस टेलिस्कोप के काम करने के लिए बनाया गया है. केपलर ने बीते 20 सालों में 3700 से ज्यादा बाहरी ग्रहों की खोज की और अब उसका ईंधन खत्म हो गया है. नासा ऐसे हजारों बाहरी ग्रहों को खोजने की उम्मीद कर रहा है जिनके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है. इनमें सैकड़ों ऐसे हैं जो पृथ्वी या फिर "सुपर अर्थ" के आकार के हैं.

Illustration Supernova - aktuelle Berichterstattung
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Foto: Wayne Rosing

जिन ग्रहों की सतह चट्टानी होती है या जिन पर समंदर होते हैं उन्हें जीवन की उत्पत्ति के लिए सबसे आदर्श माना जाता है. वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि टीईएसएस ग्रहों की सूची में कम से कम 100 चट्टानी ग्रहों को जरूर जोड़ेगा जो भविष्य मे अंतरिक्ष से जुड़ी खोज के दायरे को और विस्तार देंगे. एमआईटी के रिसर्चरों ने बताया कि "सुपर अर्थ" ग्रह 60 प्रकाश वर्ष दूर है और सूरज की परिक्रमा 6.3 दिन में कर रहा है. दूसरा ग्रह जिसे हॉट अर्थ नाम दिया गया है, वह 49 प्रकाश वर्ष दूर है और 11 घंटे में सूरज की एक बार परिक्रमा कर लेता है. माना जा रहा है कि सुपरअर्थ की सतह ठोस है या फिर वहां पानी भी हो सकता है.

चार विशेष कैमरों की मदद से टीईएसएस ग्रहों की पहचान के एक खास तरीके का इस्तेमाल करता है जिसे ट्रांजिट फोटोमेट्री कहा जाता है. यह ग्रहों के सामने तारों की रोशनी में नियमित रूप से आने वाली कमी पर नजर रखता है. यह कमी तारों के सामने से ग्रहों के गुजरने के कारण होती है.

एनआर/एके (रॉयटर्स)

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