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नाटो शिखर सम्मेलन रूस का धैर्य परीक्षण

राम यादव२ अप्रैल २००८

रूमानिया की राजधानी बुख़ारेस्ट के संसद भवन में, जिसे संसार की दूसरी सबसे बड़ी इमारत माना जाता है, बुधवार से नाटो सैन्य संधि वाले 26 देशों का शिखर सम्मेलन शुरू हो गया. कोई 12 हज़ार पुलिसकर्मी अगले शुक्रवार तक इस सम्मेलन को सुरक्षा प्रदान करने में व्यस्त रहेंगे.

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नाटो शिखर सम्मेलन के अवसर पर मेसेडोनिया वालों का प्रदर्शन
नाटो शिखर सम्मेलन के अवसर पर मेसेडोनिया वालों का प्रदर्शनतस्वीर: picture-alliance/ dpa

साठ साल पहले केवल 12 देशों का सैनिक गुट नाटो इस बीच 26 देशों का रक्षा-गठबंधन बन गया है, किंतु अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के लिए यह अब भी बहुत कम है. शिखर सम्मेलन से ठीक पहले एक रक्षानीति सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति बुश ने नाटो के विस्तार के अपने सपने को इन शब्दों में व्यक्त कियाः

यहाँ बुख़ारेस्ट में हम आज़ादी का दायरा बाल्कान देशों को शामिल कर और बढ़ायेंगे... उनकी प्रगति की मान्यता के तौर पर हम कल बाल्कान देशों क्रोएशिया, अल्बानिया और मेसेडोनिया को नाटो में प्रवेश देने के बारे में ऐतिहासिक निर्णय करेंगे.

क्रोएशिया को हरी झंडी

प्रेक्षक मानते हैं कि क्रोएशिया को तो हरी झंडी मिल जायेगी, लेकिन मेसेडोनिया और अल्बानिया को शायद नहीं मिल पायेगी. नाटो सदस्य ग्रीस का कहना है कि क्योंकि उसके अपने एक प्रदेश का नाम भी मेसेडोनिया है, इसलिये भूतपूर्व युगोस्लाविया वाला मेसोडोनिया जब तक अपना नाम बदल नहीं लेता, उसे नाटो की सदस्यता न दी जाये. मेसेडोनिया के ही चक्कर में अल्बानिया की सदस्यता भी टल जायेगी. राष्ट्रपति बुश ने बोस्निया-हेर्त्सेगोवीना और मोंटेनेग्रो का भी नाम गिनाया और भविष्य में सर्बिया के साथ भी सहयोग की बात कही. लेकिन, जिन दो देशों के नाम सबसे विस्फोटक हैं और रूस को बौखला देते हैं, वे हैं:

बुख़ारेस्ट में हमें स्पष्ट कर देना है कि नाटो जॉर्जिया और यूक्रेन की सदस्यता-कामना का स्वागत करता है.

यूक्रेन, जॉर्जिया विस्फोटक नाम

दो दशक पूर्व तक भूतपूर्व सोवियत संघ का भूभाग रहे इन दोनो देशों को नाटो की सदस्यता देने की अमरीकी वकालत से न केवल रूसी ही भड़क जाते हैं, जर्मनी, फ्रांस, ईटली, स्पेन और नीदरलैंड जैसे देश भी बेचैनी महसूस करते हैं. इसीलिए शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के समय बोलते हुए जर्मन चांसलर अंगेला मेर्कल ने इस सुझाव का विरोध कियाः

मेरा मत है कि किसी देश को इसलिए नाटो की सदस्यता नहीं मिलनी चाहिये कि इस समय का राजनैतिक नेतृत्व ऐसा चाहता है, बल्कि ऐसा तब होना चाहिये, जब जनता के बीच भी इसके प्रति गुणात्मक महत्व वाला समर्थन मौजूद हो.

अमरीका से असहमत देशों का सोचना है कि यदि रूस को नाराज़ करते हुए य़ूक्रेन और जॉर्जिया को नाटो में शामिल किया गया, तो रूस बदले में कोसोवो के नमूने पर जॉर्जिया के अबख़ाज़िया और दक्षिणी ओसेतिया जैसे विद्रोही प्रदेशों को स्वतंत्र देशों के तौर पर मान्यता प्रदान कर सकता है. ईरान पर लक्षित रॉकेट-कवच, अफ़ग़ानिस्तान के लिए और अधिक सैनिक तथा आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष शिखर सम्मेलन के समक्ष अन्य प्रमुख विषय हैं.

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