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नाटो मंत्रियों की अहम बैठक

१९ फ़रवरी २००९

अफ़ग़ानिस्तान को लेकर नाटो और अमेरिका में एक सामरिक खिंचाव के हालात बन रहे हैं. असल में अमेरिका ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने का एलान किया है. और अब यही दबाव नाटो देशो पर भी है.

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अफ़ग़ानिस्तान में तैनात नाटो की फ़ौजतस्वीर: AP

पोलैंड के क्राकोव में नाटो रक्षा मंत्रियों की बैठक हो रही है जिसमें कुछ इसी तरह की सामरिक उलझनों पर बात होगी. अमेरिका के सैनिकों की संख्या ताज़ा एलान के बाद 55,000 हो जाएगी जबकि नाटो देशों के करीब 30,000 सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में हैं.

Logo der NATO, North Atlantic Treaty Organisation
नाटो में शामिल 26 देश

अफ़ग़ानिस्तान में भूमिका बढ़ाने को लेकर अमेरिका पहले से सामरिक दबाव नैटो देशों पर बनाता आया है और अब अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने का फ़ैसला कर उसने इन देशों पर नैतिक दबाव भी बना दिया है. नाटो देशों के रक्षा मंत्री आज पोलैंड के क्राकोव में मिल रहे हैं. दो दिन की इस बैठक के शुरू होने से पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कह दिया कि अफ़ग़ानिस्तान में बिगड़ते हालात को सुधारने के लिए सैनिकों को भेजना ज़रूरी है. पिछले दिनों जर्मनी के म्युनिख शहर में हुए अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन में अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिका की विदेश नीति का एक तात्कालिक खाका पेश किया था.

बाइडेन का कहना है कि उसकी अपने सहयोगी देशों से बड़ी अपेक्षाएं हैं और उसे उम्मीद है कि ये देश उसकी अपेक्षाओं को नज़रअंदाज़ तो नहीं करेंगे. अफ़गानिस्तान में तालिबान का तख्ता पलटे सात साल से ज़्यादा हुए लेकिन तब से वहां तैनात अमेरिका की अगुवाई वाली फ़ौज को निर्णायक सफलता नहीं मिल पायी है. फौज की कमी के अमेरिका रोने पर नाटो और यूरोपीय देश बहुत तवज्जो नहीं दे रहे है और इसके लिए भी उनके पास अपनी वजह हैं. जर्मनी जैसे देश सीधी लड़ाई से परहेज़ करते हुए अफ़गानिस्तान के पुनर्निर्माण के काम तक ही ख़ुद को बांधे रखना चाहते हैं.

Afghanistan Soldat bei Sonnenaufgang
अफ़ग़ानिस्तान की राह आसान नहींतस्वीर: AP

जर्मनी के रक्षा मंत्री फ्रांत्स योसेफ युंग का कहना है कि सुरक्षा के बिना कोई विकास नही हो सकता लेकिन विकास के बिना भी आप सुरक्षित महसूस नहीं रह सकते. सिर्फ़ सैन्य रूप से हम सफल नहीं हो सकते. कुछ इसी रवैये को भांप कर ही अमेरिका कह रहा है कि नाटो रक्षा मंत्रियों की ताज़ा बैठक से उसे कोई ख़ास उम्मीद नहीं है. लेकिन जैसा कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ज्यॉफ़ मौरेल का कहना है कि नागरिक सुविधाओं की बहाली में ही सही सैन्य कर्मियों की संख्या बढ़ाने के लिए यूरोपीय देश तैयार तो हों.