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नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन और हिंसा

समीरात्मज मिश्र
१६ दिसम्बर २०१९

नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद पूर्वोत्तर से शुरु हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन पहले राजधानी दिल्ली तक पहुंचे और फिर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, लखनऊ के नदवा कॉलेज, पटना, मुंबई समेत कई अन्य जगहों पर भी.

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Studentenproteste in Aligarh
तस्वीर: DW/S. Mishra

नागरिकता संशोधन विधेयक संसद से पारित होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून की शक्ल भले ही ले चुका हो लेकिन इसके खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं. कई जगह प्रदर्शन हिंसक हो गए, खासकर रविवार को दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के बाद उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से लेकर विरोध प्रदर्शन की आग बेंगलुरु, मुंबई और केरल तक भड़क गई है. दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन ने रविवार को हिंसक रूप ले लिया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बसों और अन्य गाड़ियों में आग लगा दी जिससे हालात बिगड़ते चले गए. जामिया विश्वविद्यालय में रविवार रात प्रदर्शनकारियों ने 4 बसों समेत कुल 8 वाहन फूंक दिए थे. दिल्ली पुलिस ने भी जामिया कैंपस में घुसकर छात्रों पर जमकर लाठियां बरसाईं.

पुलिस के बल प्रयोग में सौ से ज्यादा छात्र जख्मी हुए हैं. पचास से ज़्यादा छात्रों को हिरासत में लिया गया था जिन्हें देशव्यापी विरोध के चलते बाद में रिहा कर दिया गया. हालांकि कई छात्रों का आरोप है कि उनके दर्जनों साथी अभी भी लापता हैं जिनके बारे में किसी को कोई सूचना नहीं है. जामिया में पुलिस कार्रवाई के विरोध में जामिया और जेएनयू के छात्रों ने दिल्ली में पुलिस हेडक्वार्टर का घेराव किया जिसके बाद सोमवार तड़के पुलिस ने सभी छात्रों को छोड़ दिया. हिंसा के मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं.

अलीगढ़ पहुंची जामिया की आग

जामिया में पुलिस कार्रवाई के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी एएमयू में भी रात को छात्रों का प्रदर्शन उग्र हो गया. हालांकि एएमयू में पिछले चार दिनों से छात्र प्रदर्शन कर रहे थे और परिसर के बाहर भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात थे लेकिन रविवार रात यहां भी माहौल हिंसक हो गया. पुलिस पर पत्थरबाजी के बाद छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ जिसमें दर्जनों छात्र जख्मी हो गए. परिसर के भीतर आगजनी और फायरिंग भी हुई. घायलों में पुलिस के कई अधिकारी और जवान भी शामिल हैं.

Sicherheitsbeamte an der Grenze zwischen Indien und Bangladesch
अलीगढ़ शहर में हर तरफ पुलिसकर्मी तैनात दिखे. एएमयू पर खास ध्यान. तस्वीर: DW/S. Mishra

पूरे अलीगढ़ शहर में रात दस बजे तक के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. इससे पहले शुक्रवार को भी इंटरनेट सेवाएं बंद थीं. राज्य के सभी जिलों में धारा 144 पिछले नौ नवंबर से ही लागू है. इस बीच, सहारनपुर में भी अगले आदेश तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. एएमयू और जामिया प्रशासन ने पांच जनवरी तक के लिए विश्वविद्यालय बंद कर दिया है. एएमयू के रजिस्ट्रार अब्दुल हमीद ने बताया कि छात्रों से रविवार देर रात हॉस्टल खाली कराए गए. हॉस्टल खाली करने वाले छात्रों को बस और ट्रेन से घर भेजने के इंतजाम किए गए हैं. जामिया के भी कई छात्र सोमवार को अपने घर रवाना हो गए.

आगरा जोन के एडीजी पुलिस अजय आनंद ने बताया, "अलीगढ़ में स्थिति नियंत्रण में है. शहर में हर तरफ पुलिसकर्मी तैनात हैं. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छह जिलों मेरठ, बुलंदशहर, कासगंज, बागपत, सहारनपुर और बरेली में एहतियातन धारा 144 लागू की गई है और उसका कड़ाई से पालन कराया जा रहा है.”

यूपी के और इलाकों में भी

जामिया परिसर में हिंसा के बाद लखनऊ के नदवा कॉलेज में भी छात्र सड़क पर उतर आए और देर रात प्रदर्शन करने लगे. नदवा कॉलेज के छात्रों का प्रदर्शन सोमवार सुबह भी शुरू हुआ. इसके अलावा लखनऊ विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय समेत तमाम अन्य जगहों पर छात्र और स्थानीय नागरिक प्रदर्शन कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.

वहीं जामिया परिसर में बिना विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के पुलिस के प्रवेश करने पर विश्वविद्यालय की कुलपति ने सख्त ऐतराज जताया है. जामिया विश्वविद्यालय की कुलपति नजमा अख्तर का कहना है, "बंद का आह्वान जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने नहीं, बल्कि पड़ोस की एक कॉलोनी के लोगों ने किया था. पुलिस जब यूनिवर्सिटी का गेट तोड़कर अंदर घुसी तो छात्रों के साथ उसकी साथ उसकी झड़प हुई. इस मामले में हम अपने छात्रों के साथ हैं और बिना अनुमति विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस के प्रवेश करने के मामले को उचित फोरम में उठाया जाएगा.”

नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में पुलिस ने दो केस दर्ज किए हैं. पहला केस न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में आगजनी, दंगा फैलाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का दर्ज हुआ है. दूसरा केस जामिया नगर थाने में दंगा फैलाने ,पथराव और सरकारी काम में बाधा करने का केस दर्ज हुआ है. अभी ये साफ नहीं कि ये केस किसके खिलाफ दर्ज हुए हैं. वहीं आरोप ये भी लग रहे हैं कि प्रदर्शन के दौरान डीटीसी की बसों में खुद दिल्ली पुलिस के लोगों ने ही आग लगाई है. हालांकि दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया है.

क्यों हो रहा है विरोध

नए नागरिकता कानून के तहत बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी और सिख शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलना आसान हो जाएगा. पूर्वोत्तर के कई राज्यों के लोग इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें आशंका है कि वहां पहले से ही बड़ी संख्या में रह रहे बाहरी लोगों को नागरिकता मिल जाएगी तो वो स्थाई हो जाएंगे और स्थानीय लोगों के लिए खतरा बन जाएंगे.

पूर्वोत्तर के संगठनों का कहना है कि अगर अधिकतर बाहरी लोगों को वहां की नागरिकता मिलती है, तो स्थानीय अस्मिता, भाषा, संस्कृति इत्यादि पर असर पड़ेगा इस कानून का सबसे ज्यादा विरोध असम में किया जा रहा है. पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों और राज्यों को जिन्हें केंद्र सरकार ने इनर लाइन परमिट में रखा है, वहां यह कानून लागू नहीं होगा. लेकिन समस्या यही है कि इनरलाइन परमिट में मणिपुर, अरुणाचल, मेघालय के ही कुछ क्षेत्र शामिल हैं. हालांकि संसद में गृहमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि इनरलाइन परमिट के दायरे में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है और कुछ अन्य राज्यों को इसके तहत लाया जा सकता है.

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