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नाइट शिफ्ट से निपटने के तरीके

१८ अगस्त २०१४

रात में काम करने के बाद जिन लोगों को सुबह सोने में दिक्कत होती है उन्हें किसी भी हालत में नींद की गोली नहीं लेनी चाहिए. जर्मन मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इससे गोली की लत लग जाती है.

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Symbolbild Schlaflosigkeit Schlafproblem
तस्वीर: Fotolia/Dan Race

मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक इस तरह की परेशानी से निपटने का तरीका आरामदेह दिनचर्या एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है. जर्मनी की मनोवैज्ञानिक हिल्ट्राउट पारिडॉन के मुताबिक, "चाहे एक प्याली चाय पीना पड़े, कुछ देर के लिए अखबार पढ़ना पड़े या फिर स्नान, लोगों को खुद ही इस बारे में पता करना होगा कि उनके लिए क्या बेहतर काम करता है."

साथ ही वह बताती हैं कि शांत वातावरण और गहरे रंग के पर्दे दिन की नींद के लिए महत्वपूर्ण हैं. लोग कई पेशों में नियमित रूप से रात की पारी में काम करते हैं जिनमें डॉक्टर, नर्स, पुलिस कर्मचारी, रेलवे कर्मचारी और उत्पादन उद्योग के कर्मचारी शामिल हैं. वे कहती हैं कि "कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारी भी चौबीसों घंटे काम करते हैं." रात की पारी का काम वास्तव में कभी भी स्वस्थ नहीं होता और हमारा शरीर रात को काम करने के लिए नहीं बना है.

कुछ लोग नाइट शिफ्ट का सामना बेहतर ढंग से कर लेते हैं. वे कहती हैं कि किसी को भी लंबी अवधि के लिए रात की पारी में काम नहीं करना चाहिए. शरीर का सिस्टम 24 में बंटा होता है. स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन मुख्य रूप से रात को रिलीज होता है. यह उस समय रिलीज होता है जब इंसान गहरी नींद में होता है यह रात के 2 से 4 बजे के बीच होता है और भोर के वक्त सतर्कता बढ़ने लगती है. पारिडॉन कहती हैं, "रात की पारी में काम करने वाले कई लोग नींद संबंधी विकार से पीड़ित होते हैं. उन्हें अपनी शिफ्ट के बाद नींद आने में परेशानी होती है या फिर वे नींद में नहीं रह पाते हैं."

वे कहती हैं कि नाइट शिफ्ट के काम के साथ कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां जुड़ जाती हैं, जिनमें हृदय रोग और पाचन समस्या शामिल हैं.

उनका कहना है कि दिन में काम करने वालों के मुकाबले आमतौर पर नाइट शिफ्ट में काम करने वाले कम स्वस्थ आहार लेते हैं, ज्यादा सिगरेट पीते हैं और कम कसरत करते हैं. वह सुझाव देती हैं कि ऐसे लोगों को घर का खाना दफ्तर लाना चाहिए जिससे चॉकलेट और मीठे पेय पदार्थ का सेवन कम हो सके और साथ ही अपने खाली समय में उन्हें नियमित रूप से कसरत करना चाहिए. मनोवैज्ञानिक फ्रीडहेल्म नाखराइनर बताते हैं कि रात को काम करने का हानिकारक प्रभाव शारीरिक ही नहीं है बल्कि सामाजिक भी होता है. रात को काम करने से सामाजिक अलगाव बढ़ जाता है क्योंकि जब आप बिस्तर पर जाते हैं तो बाकी लोग काम कर रहे होते हैं. मनोवैज्ञानिकों के मुताबाकि रात की पारी में काम करने वालों को एक नियमित समय सारणी रखने की कोशिश करनी चाहिए और नियमित रूप से दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलना चाहिए.

एए/एएम (डीपीए)