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नाइजीरिया: पुलिस हिरासत में मौत पर उठे सवाल

३१ जुलाई २००९

गुरुवार शाम पुलिस ने कट्टरपंथी इस्लामी नेता मोहम्मद यूसूफ़ की गिरफ़्तारी की घोषणा की. उसके कुछ ही घंटे बाद वह सुरक्षा बलों द्वारा भागने की कोशिश करता मारा गया. पुलिस हिरासत में इस मौत ने उठाये कई सवाल.

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पुलिस कार्रवाई में हुई मौततस्वीर: AP

और ये सवाल सिर्फ़ मानवाधिकार संगठन ही नहीं उठा रहे हैं, जो पहले भी नाइजीरिया के सुरक्षा बलों पर अनावश्यक बल प्रयोग का आरोप लगाते रहे हैं. सूचना मंत्री डोरा आकुंइली मौत की परिस्थितियों की जांच करवाने की घोषणा की है. मोहम्मद यूसूफ़ की मौत पश्चिम अफ़्रीकी देश में सुरक्षा बलों और युसूफ के नेतृत्व वाले संप्रदाय बोको हराम के बीच हो रहे ख़ूनी संघर्ष का एक अंतरिम मुकाम है. पूर्वोत्तर नाइजीरिया के बाउची में एक पुलिस चौकी पर यूसूफ़ समर्थकों के हमले के साथ हिंसा शुरू हुई थी. उसके बाद देश के मुस्लिम बहुल और पांच प्रांतों में ऐसे हमले हुए. सोमवार से इस संप्रदाय के मुख्यालय को सुरक्षाबलों ने घेर लिया था. वहाँ यूसूफ़ के 1000 समर्थक जमा थे. राष्ट्रपति ऊमारू यारादुआ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिये. राष्ट्रपति यारादुआ ने कहा, "ये लोग शांतिभंग करने और अपने विचारों को नाइजीरिया के बाकी लोगों पर लादने के लिये संगठित हो रहे हैं, हमारे समाज में घुस रहे हैं, हथियार ख़रीद रहे हैं, विस्फ़ोटक बनाना सीख रहे हैं."

सरकारी समाचारों के अनुसार एक सप्ताह की लड़ाई में 300 लोग मारे गये हैं. कुछेक मीडिया रिपोर्टों में 600 की बात की जा रही है. ये साफ़ नहीं है कि कितने लोग सेना से बचकर भाग गये हैं और संभवतः अपने नेता की मौत बदला लेने की कोशिश कर सकते हैं. नाइजीरिया की सरकार और सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि इस्लामी कट्टरपंथी गुटों का ख़तरा अभी समाप्त नहीं हुआ है. राजनीतिशास्त्री हारूना यारीमा की सुरक्षा बलों से शिक़ायत है, "उन्होंने अपनी ज़िम्मेदारी पूरी नहीं की है, इन दलों को बिना किसी निगरानी के बढ़ने दिया है और अब हमें उसका परिणाम भुगतना है."

राष्ट्रपति यारादुआ ब्राज़ील के दौरे पर हैं और वहां से उन्होंने सभी प्रांतों के गवर्नरों से बात की है और कट्टरपंथियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है. साथ ही प्रशासन धार्मिक नेताओं से संपर्क स्थापित कर रहा है ताकि लोगों को जुम्मे की नमाज के दौरान कट्टरपंथियों के ख़िलाफ़ एकजुटता दिखाने से रोका जा सके.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: आभा मोंढ़े