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नहीं बन पाई मैर्केल और कैमरन में एकराय

१८ नवम्बर २०११

यूरोजोन का देश जर्मनी और गैर यूरो मुद्रा वाला ब्रिटेन यूरो संकट का हल तलाशने के लिए एकराय बनाने में नाकाम रहे हैं. दोनों देशों के नेताओं ने बर्लिन में मुलाकात के बाद अलग अलग तरह की बातें कहीं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

मुलाकात के बाद तुरंत ही दोनों नेताओं ने माना कि वे मतभेद दूर करने में नाकाम रहे. शुक्रवार को बर्लिन में जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की मुलाकात हुई. जर्मनी और ब्रिटेन की सरकारों के बीच यूरोजोन संकट को लेकर कुछ मतभेद हैं. जर्मनी वित्तीय लेनदेन पर टैक्स लगाने और यूरोपीय संधियों में बदलाव की मांग करता है जिस पर ब्रिटेन को ऐतराज है. बर्लिन में इन्हीं मुद्दों पर बातचीत हुई. मुलाकात के बाद दोनों ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की. मैर्केल ने कहा, "हम मिलकर काम करेंगे और 9 दिसंबर के सम्मेलन से पहले मिलकर एक हल तलाश लेंगे."

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने इस बात को माना कि हर देश के हित होते हैं वह उन्हीं के हिसाब से सोचता है. उन्होंने कहा, "जर्मनी के अपने हित हैं और हमारे अपने. लेकिन हम लोगों ने यूरोपीय काउंसिल तक मिलकर काम करने पर सहमति जताई है."

ब्रिटेन यूरो जोन का सदस्य नहीं है. कैमरन के आने से पहले जर्मनी के विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने फाइनैंशल टाइम्स से कहा था, "यूरोपीय सेंट्रल बैंक के जरिए ज्यादा यूरो करंसी छापना बहुत बड़ी गलती होगी." उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ की मौजूदा संधियों में बदलाव अवश्यंभावी हो गया है.

वेस्टरवेले ने कहा, "अगर हम चीजों को उलटना चाहते हैं तो हम संधियों में सुधार से इनकार नहीं कर सकते." उन्होंने लिखा कि यह काम कितना ही मुश्किल और थकाऊ क्यों न हो, यूरोजोन और गैर यूरो मुद्रा वाले यूरोपीय संघ के देशों के बीच संपर्क बनाए रखने के लिए यह बेहद जरूरी है.

Belgien Brüssel EU-Gipfel Oktober 2011
तस्वीर: dapd

ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि कैमरन मैर्केल पर दबाव बनाएंगे कि यूरोपीय केंद्रीय बैंक की भूमिका बढ़ाई जाए ताकि वह कर्ज में डूबे सभी देशों को राहत पैकेज दे सके.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि एक मुद्रा वाले देशों को अपने इर्दगिर्द बचाव घेरा बनाना चाहिए और सभी संस्थाओं को मिलकर संकट से लड़ना चाहिए. लेकिन जर्मन चांसलर मैर्केल ने इस बारे में एक एक कदम उठाकर धीरे धीरे आगे बढ़ने की जरूरत पर जोर दिया.

मैर्केल ने बताया, "ब्रिटेन की यह मांग तो ठीक है कि हम लोगों का भरोसा जीतने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय करें. लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि हम उस ताकत के भरोसे न रह जाएं जो हमारे पास है ही नहीं. क्योंकि ऐसा हुआ तो बाजारों को फौरन पता चल जाएगा. और तब यह युक्ति काम नहीं करेगी."

वित्तीय लेन देन पर लगाए जाने वाले टैक्स के बारे में पूछे जाने पर मैर्केल ने कहा, "दोनों देशों ने फिलहाल इस पर कोई प्रगति नहीं हो पाई है"

रिपोर्टः डीपीए/रॉयटर्स/वी कुमार

संपादनः ओ सिंह

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