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नए रिकॉर्ड के साथ लाइपजिग पुस्तक मेला संपन्न

२१ मार्च २०११

चार दिनों तक चलने के बाद लाइपजिग पुस्तक मेला संपन्न हो गया है. फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेला अगर पुस्तक व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण है, तो लाइपजिग मेला साहित्य जगत व पाठकों के लिए अपनी खास जगह बना चुका है.

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तस्वीर: dapd

लाइपजिग पुस्तक मेला पूर्वी यूरोप के देशों के साथ प्रकाशन जगत के संबंधों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है. मेले के प्रबंधक मार्टिन बूल वागनर ने कहा कि अब सारे देश में इस पुस्तक मेले की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. साथ ही, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड जैसे जर्मनभाषी देश भी इस मेले में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. उनका कहना था कि मार्केटिंग के प्लैटफॉर्म के रूप में भी अब लाइपजिग पुस्तक मेला प्रकाशकों के लिए महत्वपूर्ण हो चुका है.

Deutschland Buchmesse Leipzig 2011 Flash-Galerie
तस्वीर: dapd

लाइपजिग पुस्तक मेले के दौरान महत्वपूर्ण साहित्य पुरस्कार दिए जाते हैं. इस वर्ष ऑस्ट्रिया के क्लेमेंस जेत्ज को उनके उपन्यास मालश्टाट के बच्चे के दौर में प्यार के लिए मौलिक रचना का पुरस्कार दिया गया. आलोचना का पुरस्कार हेनिंग रिट्टर को दिया गया, जबकि लेव तोल्स्तोय के अमर उपन्यास युद्ध और शांति के जर्मन अनुवाद के लिए बारबारा कोनराड को पुरस्कृत किया गया.

इस वर्ष मेले की थीम के रूप में सर्बिया के साहित्य को चुना गया था. सर्बिया की ओर से साहित्य का एक व्यापक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. सर्बियाई संस्कृति मंत्रालय व यूरोपीयन लिटरेचर नेटवर्क की ओर से सर्बियाई साहित्य के जर्मन अनुवाद के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तैयार किया गया है. इस वर्ष लाइपजिग पुस्तक मेले में सर्बिया के मशहूर व नए लेखकों की 30 पुस्तकों का विमोचन किया गया. मेले के प्रांगण में सर्बियाई लेखकों के अनेक साहित्य पाठ भी आयोजित किए गए.

Deutschland Buchmesse Leipzig 2011 Flash-Galerie
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मेले के दौरान सारे नगर में साहित्य पाठों के आयोजन की एक परंपरा बन चुकी है. इस बार भी सारा शहर चार दिनों तक साहित्य के माहौल में डूबा रहा. मेले में भी पिछले साल के मुकाबले कहीं अधिक, कुल मिलाकर एक लाख 63 हजार दर्शक आए. 36 देशों से 2150 प्रकाशक और पुस्तक विक्रेता इस साल मेले में आए हुए थे. 90 फीसदी प्रदर्शकों का कहना था कि वे मेले में हुए व्यापार से बेहद खुश हैं. 93 फीसदी ने कहा कि वे अगले साल फिर आना चाहते हैं. मेले के दर्शकों की राय भी ऐसी ही थी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: वी कुमार

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