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'दुनिया में धर्म पर बंदिशें बढ़ीं'

९ अगस्त २०११

भले ही दुनिया में हर धर्म फल फूल रहा हो लेकिन धर्म और रीति रिवाजों पर पाबंदियां लग रही हैं और धार्मिक हिंसा के मामले सामने आ रहे है. अमेरिका की एक संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ी.

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तस्वीर: Silvia Becker

दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी उन देशों में रहती है जहां धर्म का पालन खुले तौर पर करना कठिन होता जा रहा है. अमेरिका के एक निजी शोध समूह की रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है. धर्म और सार्वजनिक जीवन पर अमेरिका की रिसर्च सेंटर प्यू के मुताबिक 2006 और 2009 के बीच सरकारी प्रतिबंध और सार्वजनिक विद्वेष सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों में बढ़ा है. "धर्म पर बढ़ता प्रतिबंध" नामक रिपोर्ट के मुताबिक, "शोध की तीन वर्ष की अवधि में धर्म से संबंधित हिंसा और दुर्व्यवहार की घटनाएं कम होने के बजाए ज्यादा देशों में बढ़ी हैं.

Flash-Galerie Ramadan China
तस्वीर: AP

रिपोर्ट कहती है कि 2006 से 2009 में एक फीसदी दुनिया की आबादी ही धार्मिक सहनशीलता वाले देशों में थी. प्यू सेंटर ने 198 देशों में हुए ताजा शोध में पाया कि पिछले सर्वे में जिन देशों में धार्मिक आजादी कम पाई गई थी वहां लगातार धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है. इसके विपरीत धार्मिक सहनशीलता वाले देशों में सहिष्णुता के कम होने के संकेत मिल रहे हैं. शोध में पाया गया कि चीन, नाइजीरिया, थाइलैंड और विएतनाम में धार्मिक समूहों के खिलाफ सार्वजनिक विद्वेष में वृद्धि हुई है. जबकि मिस्त्र और फ्रांस में धर्म पर सरकारी पाबंदियां बढ़ी हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

प्यू सेंटर ने उन कानूनों और सरकारी नीतियों की समीक्षा की जिनके जरिए धार्मिक रीति रिवाजों पर पर प्रतिबंध लगाए जाने, उपदेश की सीमा तय करने, विशेष धर्म को वरीयता देने और धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने की कोशिशें हो रही हैं. विद्वेष को मापने के लिए प्यू सेंटर ने सांप्रदायिक हिंसा, धार्मिक पोशाक पहनने पर उत्पीड़न सहित कई अन्य मुद्दों पर शोध किया.

प्यू सेंटर के मुताबिक जिन देशों में धर्म के प्रति सबसे ज्यादा असहिष्णुता देखी गई है उनमें भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, मिस्र, ईरान, चीन, म्यांमार, रूस, तुर्की, विएतनाम, नाइजीरिया और बांग्लादेश शामिल हैं. हालांकि इनमें से अधिकतर देशों में पिछले सर्वे की तुलना में धर्म के नजरिए में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है.

रिपोर्ट के मुताबिक 2009 के मध्य में खत्म हुए साल में 100 से ज्यादा देशों की सरकारों ने धार्मिक कारणों से लोगों की हत्या करवाई, उनके साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया, उन्हें हिरासत में लिया गया, जेल में डाला गया, घरों को नुकसान पहुंचाया गया और कई मामलों में तो लोगों को उनके घर से बेदखल कर दिया गया. इससे पहले ऐसी घटनाएं 91 देशों में हुई थी. तीन साल में इस तरह की घटनाएं ज्यादा देशों में बढ़ी हैं. 2009 के मध्य तक धर्म को लेकर उन्मादी हिंसा 52 देशों में हुई है. जबकि एक साल पहले तक 38 देशों में ऐसी हिंसा हुई थी.

Jüdische Gemeinde zu Berlin
तस्वीर: picture-alliance/dpa

प्यू सेंटर कहता है, "धर्म से जुड़े आतंकी समूह 74 देशों में सक्रिय दिखे और इसके आधे देशों में हिंसा हुई." दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समूह ईसाइयों और मुसलमानों का अधिकांश देशों में उत्पीड़न हुआ. अन्य धर्मों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ाय. दुनिया की एक फीसदी आबादी से भी कम यहूदियों पर 75 देशों में प्रतिबंध लगे या वे उत्पीड़न का शिकार हुए. यूरोप के पांच देश ब्रिटेन, डेनमार्क, रूस, स्वीडन और बुलगेरिया में धार्मिक तनाव मुसलमानों की बढ़ती आबादी पर केंद्रित है लेकिन ईसाइयों के खास अल्पसंख्यक संप्रदाय के खिलाफ भी भावनाएं पनप रही हैं.

रिपोर्ट: रॉयटर्स/ आमिर अंसारी

संपादन: एस गौड़

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