1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दलाई लामा से मिलेंगे ओबामा: व्हाइट हाउस

२ फ़रवरी २०१०

अमेरिका ने चीन को चिंताओं को ख़ारिज़ करते हुए कहा है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से मिलेंगे. व्हाइट हाउस ने कहा है कि चीन को पहले ही मुलाकात के बारे में बताया जा चुका है.

https://p.dw.com/p/Lq4o
तस्वीर: AP

ताइवान के बाद दलाई लामा के मुद्दे पर चीन की चेतावनी को नज़रअंदाज़ करते हुए मंगलवार को व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी किया. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता बिल बर्टन ने कहा, ''पिछले साल जब राष्ट्रपति चीन के दौरे पर गए थे, तभी उन्होंने चीनी नेताओं को बता दिया था कि वह दलाई लामा से मुलाकात करेंगे. राष्ट्रपति अपने फ़ैसले पर कायम हैं.''

हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि दलाई लामा और ओबामा की मुलाकात कब होगी. दोनों नेताओं के बीच फरवरी के अंत में या फिर मई में मुलाकात करने की बातचीत हुई है.

Deutschland Tibet Dalai Lama in Frankfurt
गूगल, ताइवान और अब दलाई लामातस्वीर: AP

इससे पहले सोमवार को चीन ने कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति अगर दलाई लामा से मिलेंगे तो दोनों देशों के संबंधों पर इसका असर पड़ेगा. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता जू वीएकुन ने कहा, ''हम ऐसे कदम उठाएंगे कि दूसरे देशों को उनकी ग़लती का एहसास हो.'' इससे पहले ताइवान को हथियार बेचने के मुद्दे पर भी चीन अमेरिका को तीखी चेतावनी दे चुका है. गूगल के मुद्दे पर भी नोंक झोंक चल ही रही है.

चीन के तल्ख़ बयानों पर व्हाइट हाऊस का कहना है, ''हमें लगता है कि चीन के साथ हमारे रिश्ते इतने परिपक्व है कि हम जलवायु परिवर्तन, वैश्विक अर्थव्यवस्था और परमाणु अप्रसार जैसे मुद्दों पर काम कर सकें. हम इन मुद्दों पर साफ़ साफ़ बात करेंगे और यह जानेंगे कि मतभेद कहां पर हैं.'' राष्ट्रपति कार्यालय का कहना है कि ओबामा चीन के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं लेकिन तिब्बतियों के साथ हो रहे व्यवहार और मानवाधिकारों के मुद्दे पर चिताएं बरकरार हैं.

चीन तिब्बत को अपना स्वायत्त हिस्सा बताता है, लेकिन दलाई लामा का कहना है कि उन्हें चीन की दिखावे वाली स्वायत्तता नहीं चाहिए. तिब्बती धर्मगुरु की मांग है कि चीन ल्हासा को सच्ची स्वायत्ता दे. पेईचिंग का कहना है कि तिब्बत पर चीन के अधिकार को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा.

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा 1959 के नाक़ाम विद्रोह के बाद से भारत में हैं. भारत में उन्हें राजकीय मेहमान का दर्जा दिया गया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: महेश झा