तुर्की में बसा सीरिया
सीरिया से लाखों कुर्दी लोग अपने देश की सरहद पार कर तुर्की में शरण ले चुके हैं. इस्लामिक स्टेट के समर्थकों की ज्यादतियों से बचने के लिए अपना घर बार छोड़ने को मजबूर हुए इन लोगों ने यहां बसा ली है अपनी एक छोटी सी दुनिया..
जमा लिया कारोबार
छोटा सा कमरा और शेवर चलाने के लिए बिजली का सॉकेट, 13 साल के अहमद को बाल कटवाने के लिए भला और क्या चाहिए. सीरिया की तुर्की से लगी सरहद पर रेहानली में पनाह लेकर रह रहे सीरियाई शरणार्थियों में से अहमद भी एक हैं. कई शरणार्थी अपनी रोजी रोटी के लिए छोटे मोटे काम कर रहे हैं.
पेट भरने के लिए
अनस अब्दुल जवाद पुश्तैनी बेकरी का काम संभालने के साथ ही सीरियाई फौज के खिलाफ लड़ाई में भी हिस्सा लेते रहे. लेकिन जब सरकार समर्थकों ने बेकरी का काम खुद लेने की मांग की तो सब कुछ बदल गया. जवाद को तुर्की का सहारा है, यहां वो अपने परिवार का पेट भर पा रहे हैं.
आगे बढ़ता जीवन
रेहानली में बस रहे इस छोटे सीरिया में नए दुकानदार पुरानों को खटक रहे हैं. अहमद अब्दो जकरिया ने सड़क के किनारे यह छोटी सी दुकान खोल ली है. सीरिया में अपनी दुकान के बदले अपने परिवार को बचाने के लिए उन्हें जो कीमत चुकानी पड़ी इस दुकान का किराया उसके सामने बहुत मामूली सालूम होता है. इडलिब में उनकी मुर्गी की दुकान को फौज ने उजाड़ दिया.
बचपन की याद
जकरिया की दुकान में वह सब कुछ मिलता है जो वह इडलिब में बेचा करते थे. दो तरह का चिकन, साथ में आलू के फ्रेंच फ्राइ, सलाद और लहसुन की चटनी. अहमद के भाई अब्दुल गनी ने बताया कि यहां का खाना लोगों को दादी मां के हाथ के खाने की याद दिलाता है जब रेहानली फ्रांसीसी सीरिया के कब्जे में था.
लाए तुर्की का जायका
रेहानली के पुराने दुकानदार नए निवासियों को तुर्की जायका चखा रहे हैं. यासीन सकीन ने इस छोटे सीरिया में दफ्ते ततली नाम से मिठाई की दुकान खोली है. उनकी दुकान में सीरियाई लोग भी काम करते हैं जो उन्हें अरबी खाना बनाने में भी मदद करते हैं.
कारोबार का फैलाव
रेहानली के ही अहमद कबोगा का अलग नजरिया है. तुर्की सूप और नाश्ते की दुकान खोलने के बाद उन्हें लगता है अगर सीरियाई शरणार्थियों को उनके स्वादानुसार खाने का मौका दिया जाए तो इससे कारोबार बढ़ेगा. इडलिब से आए दो शरणार्थियों के साथ साझे में उन्होंने अब अपनी दुकान में सीरियाई व्यंजन भी शामिल कर लिए हैं.
वापसी की ललक
भविष्य के लिए निवेश अब्दुल्ला बितार को सही नहीं लगता. बितार फिलहाल कारोबार अपने परिवार का पेट भरने के लिए ही करना चाहते हैं. फिर वह कैसा भी कारोबार हो. बितार घर वापस लौटना चाहते हैं जहां उनकी फर्नीचर की दुकान और अपनी एक छोटी सी दुनिया है.
नई शुरुआत
इस शरणार्थी इलाके से थोड़ा आगे है महमूद की फलाफेल सैंडविच की दुकान. वह अब वापस सीरिया नहीं जाना चाहते. 10 साल काम करके पैसे बचाने के बाद महमूद ने इडलिब में अपनी मंगेतर से शादी कर घर बसाया, लेकिन हिंसा की आग सब कुछ निगल गई. उनके पास जो कुछ भी था सब खत्म हो गया.
आजादी की कीमत
रेहनली में जाहिदी कांडी की महिलाओं के कपड़ों की दुकान है. उन्होंने बताया सीरिया के दुकानदारों को सस्ते किराए पर दुकान मिलना बहुत मुश्किल है. उनके पड़ोस वाली दुकान का किराया इतना ज्यादा था कि दुकानकार को दुकान बंद करनी पड़ी और इसी जगह उसने अपने परिवार के रहने का इंतेजाम कर लिया. एक साथ दो जगह का किराया देना उसके लिए नामुमकिन हो गया था. इस एक कमरे में अलग से कोई खाना बनाने की जगह घर भी नहीं है.
पुराने गुर, नया कारोबार
अली अतीक गाड़ियों के डीलर थे. अपने दुकानदारी के गुर वह अब रेहानली में आजमा रहे हैं. तुर्की से मुर्गी का मांस, रसोई गैस और दवाएं वह सीरिया में बेच रहे हैं. आमदनी से परिवार चलाने के अलावा वह इडलिब में शरणार्थी शिविरों में रहने वाले लोगों की मदद भी कर रहे है.
एक दूसरे का साथ
इडलिब और रेहनली के इलाकों में इतिहास ने लोगों को कई बार जोड़ा और तोड़ा है. सीरिया में चल रही हिंसा क्षेत्रीय लोगों और शरणार्थियों के भाईचारे के लिए नई चुनौती है. जरूरत है एक सामंजस्य की जो हर व्यक्ति को खुद बनाना होगा.