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तालिबानी ने 50 पुलिकर्मी अगवा किए

२७ मार्च २०११

रविवार को तालिबानी आतंकियों ने उत्तर पूर्वी अफगानिस्तान से 50 पुलिकर्मियों को अगवा कर लिया है. तालिबान के क्षेत्रीय कमांडरों ने इसकी जानकारी दी है. सभी वेतन ले कर घर लौट रहे थे.

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तस्वीर: DW

अफगानिस्तान सरकार ने सात इलाके ऐसे चुने हैं जिनकी सुरक्षा का जिम्मा जुलाई से अफगानी पुलिस बल के हाथों में सौंपने की योजना है. अफगान सरकार की इस योजना के एलान के बाद तालिबान के हमले तेज हो गए हैं. उत्तर पूर्व के सुदूर प्रांत कुनार के छापा दारा जिले से इन पुलिकर्मियों को अगवा किया गया. ये पुलिसकर्मी पड़ोस के नूरीस्तान प्रांत से अपना वेतन लेने के बाद वापस लौट रहे थे. इसी दौरान तालिबानी आतंकियों ने इन पर घात लगा कर हमला किया.

नूरीस्तान प्रांत के गवर्नर जमालुद्दीन बद्र ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया,"पुलिस वाले सादे कपड़ों में थे और उनके पास हथियार भी नहीं था." नूरीस्तान के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोहम्मद फारूक ने पुलिसकर्मियों के अगवा होने की पुष्टि की है. मीडिया के ईमेल के जरिए भेजे संदेश में तालिबान के प्रवक्ता जबिहुल्ला मुजाहिद ने कहा है कि तालिबान ने 50 पुलिसकर्मियों को पकड़ा है और उनके भविष्य का फैसला इलाके की सैन्य परिषद करेगी.

Buddhastatuen in Bamiyan Flash-Galerie Taliban Krieger
तस्वीर: AP

कुनार और नूरीस्तान प्रांत पहाड़ी इलाके में हैं और इनकी सीमा पाकिस्तान से लगती है. ये इलाका तालिबानी आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बनी हुई है जहां से वो अफगानिस्तान में हमलों को अंजाम देते हैं. इस घटना ने नाटो और अमेरिकी सेनाओं के माथे पर भी चिंता की लकीरें खींच दी है क्योंकि सुरक्षा की जिम्मेदारी अफगान सैनिकों को देने की तैयारी चल रही है. जैसे जैसे अफगानी सेना जिम्मेदारी संभालती जाएगी अंतरराष्ट्रीय फौज के लिए वहां से निकलने का रास्ता बनता जाएगा. 10 साल पुरानी अफगानिस्तान की जंग पश्चिमी देशों के लिए बड़ी सिरदर्द बन चुकी है. तैयारी इस बात की है कि 2014 तक अंतरराष्ट्रीय सेना पूरी तरह से अफगानिस्तान को स्थानीय सेना के हवाले कर दे.

नाटो और अमेरिकी नेताओं ने इस योजना को मंजूरी दे दी है. 2001 से चली आ रही अफगान जंग में पिछले साल सबसे ज्यादा नागरिक और सैनिकों की मौत हुई इसके बाद ही ये फैसला किया गया. अफगानिस्तान की पुलिस सेना के मुकाबले काफी पिछड़ी हुई है. दूर दराज के इलाकों में सरकार की मौजूदगी सिर्फ पुलिस के रूप में ही है और ऐसे में उनका पूरी तरह से सक्षम न होना उन्हें बार बार आतंकवादियों का शिकार बनाता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः आभा एम

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