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तालिबान से बेखौफ रिक्शा सर्कस

१७ जुलाई २०१२

तालिबान के खतरों की परवाह छोड़ पाकिस्तान से एक रिक्शा सर्कस निकल पड़ा है जो अफगानिस्तान से होता हुआ तुर्की तक पहुंचेगा. यात्रा के हर पड़ाव में बच्चों को सर्कस के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

कनाडा के अदनान खान अपनी जर्मन दोस्त अनीका श्मेडिंग के साथ पाकिस्तान, अफगानिस्तान ईरान और तुर्की में रिक्शा सर्कस ले जा रहे हैं. 8,000 किलोमीटर लंबे इस रास्ते पर दोनों के साथ पुलिस भी रहेगी ताकि सुरक्षा का ख्याल रखा जा सके.

खान पिछले कई महीनों से इस सफर की तैयारी में लगे हुए थे. पीले, हरे और सफेद रंगों से सजे इस रिक्शे पर किसी का ध्यान न जाए, ऐसा तो हो नहीं सकता और वह भी ऐसे इलाकों में जहां रंग बिरंगी चीजें दूर दूर तक नहीं दिखती. पेशावर से इस्तांबुल तक के सफर के लिए अफगानिस्तान का जो रास्ता खान ने चुना है वहां सालों से विदेशी पर्यटक नहीं गए हैं. तालिबान की मौजूदगी के कारण यह रास्ता खतरों से भरा है. खान जानते हैं कि उनका रिक्शा वाला सर्कस सिर्फ आम लोगों और बच्चों का ही नहीं, बल्कि तालिबानियों का ध्यान भी खींचेगा. राह में अपहरण और घातक हमले कोई नई बात नहीं हैं.

खान के इस सफर का मकसद है पैसा इकठ्ठा करना. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में सर्कस दिखा कर वह अफगानिस्तान में सर्कस में काम करने वाले बच्चों के लिए पैसा जमा करेंगे. अफगान मोबाइल मिनी सर्कस फॉर चिल्ड्रन (एमएमसीसी) को हाल ही में हैरत शहर में एक स्कूल बंद करना पड़ा क्योंकि करतब सिखाने वाले ट्रेनरों को देने के लिए पैसा नहीं था. यहां बच्चों को सर्कस के लिए करतब सिखाये जाते थे. यदि यह 'रिक्शा ट्रिप' सफल रहा तो स्कूल दोबारा से खोला जा सकेगा. इसके अलावा वह जमा पैसे से शरणार्थियों और अनाथ बच्चों की भी मदद करना चाहते हैं.

Afghanistan Rickshaw Circus
तस्वीर: picture-alliance/dpa

अदनान ने रिक्शा यात्रा की शुरूआत अफगानिस्तान में की. समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में उन्होंने कहा, "आखिरकार मैं रिक्शा पाकिस्तान की तरफ ला सका. इसमें घंटों लग गए. यह काफी मजेदार भी रहा. एक पुलिस वाले ने मुझे बताया कि उसने सालों से सीमा पार करने के लिए इस्तेमाल होने वाले ये दस्तावेज नहीं देखे."

पाकिस्तान में वह पेशावर और फिर इस्लामाबाद जाएंगे. मंगलवार को वह पहली बार सड़कों पर होंगे. उन्होंने बताया, "स्थानीय पुलिस मेरे साथ ही रहेगी." यह सफर दो महीने तक चलेगा और हर रोज वह छह घंटों में तीन सौ किलोमीटर का रास्ता तय करना चाहते हैं. कुछ जगहों पर जहां रिक्शा को ले जाना आसान नहीं है, वहां इसे ले जाने के लिए ट्रक का इंतेजाम भी किया गया है. एमएमसीसी के बारे में उन्होंने कहा, "हमने देखा कि एमएमसीसी काफी अच्छे कार्यक्रम चलाता है, लेकिन वह अपना ठीक तरह से प्रचार नहीं कर पाता. इसलिए हम लोगों को यह बताना चाहते हैं कि अफगानिस्तान में पिछले दस साल से ऐसा सर्कस चल रहा है."

पाकिस्तान और ईरान में यह रिक्शा सर्कस हर तीन दिन बाद एक शहर में रुकेगा जहां वह अनाथालयों, अस्पतालों और शरणार्थी शिविरों में जा कर बच्चों में सर्कस को लेकर जागरूकता फैलाएगा.

आईबी/ओएसजे (एएफपी)

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