1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

तालिबान अल कायदा को बांटने की कोशिश

१४ जून २०११

अमेरिका चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने तालिबान और अल कायदा पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उन्हें दो हिस्सों में बांट दिया जाए. इस कवायद का मकसद दोनों संगठनों को अलग करके तालिबान को बातचीत के लिए तैयार करना है.

https://p.dw.com/p/11Zev
तस्वीर: dapd

अमेरिका अगले महीने से अफगानिस्तान से अपने सैनिक वापस बुलाना शुरू कर देगा. उसका 2014 तक अफगानिस्तान की सुरक्षा का जिम्मा स्थानीय सुरक्षाबलों को सौंपने का है. इस तरह वह धीरे धीरे अपने 97 हजार सैनिक वापस बुलाना चाहता है.

वोटिंग शुक्रवार को

अमेरिकी विदेश मंत्री रॉबर्ट गेट्स ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि साल के आखिर तक तालिबान के साथ राजनैतिक बातचीत हो सकती है. लेकिन उन्होंने शर्त यह जोड़ी थी कि नाटो सेनाएं तालिबान को पीछे धकेलती रहें और उन पर दबाव बनाने में कामयाब हों.

Afghanistan Chinook Hubschrauber abgeschossen
तस्वीर: AP

राजनयिकों का कहना है कि अमेरिका ने 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद के सामने दो प्रस्ताव रखे हैं. इसमें से एक प्रतिबंधों की सूची को बांटने के बारे में है और दूसरा कुछ तालिबानियों का नाम हटाने को लेकर. प्रतिबंधों में यात्रा करने पर पाबंदी और संपत्ति को सील करने जैसे प्रावधान हैं.

आठ विशेषज्ञों की एक टीम है जो प्रतिबंधों की सूची को तैयार करने में सुरक्षा परिषद की मदद करती है. शुक्रवार को इस टीम के सुझावों पर प्रतिबंधों के नवीनीकरण पर वोटिंग होनी है. पश्चिमी अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि तब तक प्रतिबंधों की सूची तैयार हो जाएगी.

तालिबान को जोड़ने की कोशिश

एक राजनयिक ने बताया, "तालिबान और अल कायदा के लिए अलग अलग सूची बनाने का मकसद तालिबान को यह संदेश भेजना है कि अब अल कायदा से अलग होकर अफगानिस्तान की आधिकारिक प्रक्रिया का हिस्सा बनने का वक्त आ गया है."

Taliban Anschlag in Pakistan
तस्वीर: picture alliance/landov

संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के दूत जाहिर तानिन का कहना है कि अगर परिषद इस प्रस्ताव को पारित करती है तो इससे उन्हें फैसलों में लचीलापन मिलेगा और वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शांति प्रक्रिया का हिस्सा बना सकेंगे.

तानिन ने कहा कि इसका मतलब तालिबान को प्रतिबंधों से मुक्त करना नहीं होगा, लेकिन अल कायदा से उन्हें अलग करना एक मनोवैज्ञानिक कदम होगा जो उन्हें हथियारबंद संघर्ष छोड़ने के लिए तैयार कर सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः आभा एम

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी