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ताकतवर लोकायुक्त से घबराई दिल्ली सरकार

२९ जनवरी २०१२

दिल्ली की कांग्रेस सरकार नहीं चाहती लोकायुक्त ताकतवर हो, उसे ज्यादा अधिकार दिए जाएं. शीला दीक्षित सरकार ने लोकायुक्त की प्रमुख मांग को खारिज कर दिया है. लोकायुक्त ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधा.

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तस्वीर: AP

दिल्ली के सरकारी कर्मचारी लोकायुक्त की निगरानी से बचे रहेंगे. दिल्ली के लोकायुक्त जस्टिस मनमोहन सरीन की मांग थी कि उन्हें ज्यादा अधिकार दिए जाएं ताकि असरदार ढंग से सरकारी कर्मचारियों को लोकायुक्त के दायरे में लाया जा सके. मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अगुवाई वाली सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया.

लोकायुक्त ने तलाशी की अनुमति, सीज करने का अधिकार और आरोपी सरकारी कर्मचारी के अधिकारों में रोक लगाने की मांग की. कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार के आरोपों में रहने वाली दिल्ली सरकार ने इन मांगों को भी नकार दिया.

जस्टिस सरीन के मुताबिक मध्यप्रदेश और कर्नाटक में लोकायुक्त को इस तरह के अधिकार दिए गए हैं. इसी को आधार बनाकर दिल्ली सरकार से कुछ अधिकार मांगे गए थे. रिपोर्ट में जस्टिस सरीन ने कहा, "इन अधिकारों की वजह से इन राज्यों में लोकायुक्त कामकाज में ज्यादा प्रभावशाली हैं."

दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली लोकायुक्त और यूपीए लोकायुक्त एक्ट प्रावधान के मुताबिक लोकपाल दूसरी सरकारी जांच एजेंसियों की मदद ले सकता है. लोकायुक्त फिलहाल निजी जांचकर्ताओं की मदद ले रहे हैं. ऐसी संस्थाओं की भी मदद ली जा रही है जिनके पास जांच शाखा नहीं है.

लोकायुक्त ने सरकारी कर्मचारियों को लोकायुक्त के दायरे में लाए जाने की मांग के साथ नेताओं पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि चुने गए जनप्रतिनिधियों की गलत कामों और भ्रष्टाचार के मामले में नौकरशाह भी सामान्य रूप से जटिलता के साथ शामिल रहते हैं.

लोकायुक्त की मांगों को खारिज करने से दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की आलोचना भी हो रही है. शीला दीक्षित समेत दिल्ली सरकार के कई नेताओं पर पहले ही कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान घोटाला करने के आरोप लगे हैं. विपक्षी पार्टी बीजेपी कहती है कि केंद्र सरकार की वजह से दिल्ली के नेता सीबीआई के चंगुल से बचे हुए हैं. घोटाले के आरोप में मुकदमा झेल रहे सुरेश कलमाड़ी भी शीला दीक्षित के खिलाफ काफी कुछ कह चुके हैं.

रिपोर्टः पीटीआई/ओ सिंह

संपादनः एन रंजन

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