ताइवान से सैन्य डील, और बढ़ेगा अमेरिकी-चीन तनाव
२५ सितम्बर २०१८अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने ताइवान को 33 करोड़ डॉलर का सैन्य साजो सामान बेचे जाने को मंजूरी दे दी है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि इस बिक्री के तहत ताइवान के कई सैन्य विमानों के लिए कल पुर्जे मुहैया कराए जाएंगे. इनमें एफ-16 लड़ाकू विमान और सी-130 कार्गो प्लेन शामिल हैं.
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने ताइवान को सैन्य साजो सामान दिए जाने का बचाव किया है. पेंटागन का कहना है कि ताइवान की "रक्षा क्षमताएं मजबूत करने से अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा में मदद मिलेगी."
इस रक्षा डील पर कोई आपत्ति उठाने के लिए अमेरिकी कांग्रेस के पास 30 दिन का समय होगा. इस डील को मंजूरी मिल जाने की संभावना है क्योंकि पेंटागन समझता है कि ताइवान इस क्षेत्र में "राजनीतिक स्थिरता, सैन्य संतुलन और आर्थिक प्रगति के लिए एक अहम सहयोगी है".
ये देश चीन नहीं, ताइवान के साथ हैं
ताइवान की सेना के पास ज्यादातर अमेरिकी सैन्य साजो सामान ही है लेकिन ताइवान अमेरिका से मांग कर रहा है कि उसे नए लड़ाकू विमान सहित और अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराए जाएं. ताइवान को सैन्य उपकरण बेचने के अमेरिकी फैसले पर चीन नाराज होगा. कारोबार को लेकर उझल रहे अमेरिका और चीन के बीच इससे तनाव और बढ़ सकता है.
ताइवान की अपनी एक स्वतंत्र सरकार है, लेकिन चीन 'वन चाइना' पॉलिसी के तहत उसे अपना एक हिस्सा मानता है. इसीलिए ताइवान के साथ किसी भी देश का सहयोग चीन को चुभता है. ताइवान के साथ अमेरिका के आधिकारिक राजनयिक रिश्ते नहीं हैं, लेकिन वह एक अमेरिकी कानून से बंधा है जिसमें ताइवान को अपनी रक्षा के लिए सक्षम बनाने की बात शामिल है.
ताइवान को सैन्य उपकरण बेचने की घोषणा उसी दिन की गई जब चीनी उत्पादों पर ट्रंप प्रसाशन की तरफ से लगाया गया शुल्क लागू किया गया है. इसके तहत अमेरिका को चीन से निर्यात होने वाले लगभग 250 अरब डॉलर के सामान पर नए दर से शुल्क लगेगा. ट्रंप प्रशासन ने हाल में चीनी सेना की एक शाखा पर प्रतिबंध भी लगाए है, जिसकी वजह रूस से सैन्य उपकरण खरीदने को बताया जा रहा है.
एके/एनआर (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)