1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

तरक्की की खातिर हमें साथ रहना है: मनमोहन

१३ मई २०११

भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आतंकवाद और चरमपंथ की निंदा की है और कहा है कि इस तरह की विचारधाराओं से लोगों की समस्याएं हल नहीं होंगी. काबुल में मनमोहन बोले, चरमपंथियों को फिर सिर नहीं उठाने देना चाहिए.

https://p.dw.com/p/11FLA
epa02728483 Indian Prime Minister Manmohan Singh as he arrives at the Kabul International Airport in Afghanistan, on 12 May 2011. Indian Prime Minister Manmohan Singh arrived Thursday in Kabul to discuss security, terrorism and regional development with Afghan authorities, officials said. EPA/S. SABAWOON
तस्वीर: picture alliance / dpa

मनमोहन सिंह ने अफगान संसद में अपने भाषण में कहा कि जब तक शांति कायम नहीं होगी, क्षेत्र के लोगों की प्रगति और समृद्धि से जुड़ी उम्मीदों को पूरा नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि शांति आने के बाद ही लोग सम्मान और गरिमा के साथ काम कर पाएंगे. शुक्रवार को अपने दो दिवसीय दौरे के आखिरी दिन सिंह ने कहा, "इस क्षेत्र के लोग सदियों से एक साथ रह रहे हैं. यह हमारा क्षेत्र है. हमें एक साथ रहना है और प्रगति करनी है."

सभ्य समाज की खातिर

अफगान लोगों की तकलीफों की ओर इशारा करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारे लोग आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ हैं. इनसे सिर्फ मौतें और विनाश हो सकता है. इनसे गरीबी, निरक्षरता, भूख और बीमारियों जैसी समस्याएं हल नहीं होतीं." सिंह ने कहा कि इस तरह की विचारधाराओं के लिए सभ्य समाज में कोई जगह नहीं है. मनमोहन सिंह ने कहा, "आखिरकार शांति और सौहार्द के साथ मिल जुल कर रहने की सदियों पुरानी हमारी परंपरा की पथ भ्रष्ट करने वाली इन विचारधाराओं पर जीत होगी."

epa02728476 Indian Prime Minister Manmohan Singh receives flowers at the Kabul International Airport in Afghanistan, on 12 May 2011. Indian Prime Minister Manmohan Singh arrived on 12 May 2011 in Kabul to discuss security, terrorism and regional development with Afghan authorities, officials said. EPA/S. SABAWOON
तस्वीर: picture alliance/dpa

25 मिनट के अपने भाषण में मनमोहन ने जोर दे कर कहा, "हम चरमपंथियों को फिर से सिर उठाने की इजाजत नहीं दे सकते और न ऐसा होना चाहिए." 354 अफगान सांसदों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान ने कई क्षेत्रों में काफी कुछ हासिल किया है लेकिन अभी बहुत सी चुनौतियां सामने हैं.

भारत का डर

अफगानिस्तान से जल्द अमेरिका समेत नाटो फौजों की वापसी शुरू हो जाएगी. विदेशी सेनाओं का एक साथ हटना भारत के लिए चिंता का विषय है. उसे डर है कि वहां फिर से कहीं तालिबान का दबदबा कायम न हो जाए जिसका झुकाव भारत के प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान की तरफ है. 2001 में अमेरिकी हमले के बाद ही भारत ने अफगानिस्तान के साथ राजनयिक रिश्ते कायम कर लिए जो इससे पहले लगभग दो दशक तक टूटे रहे. तब से भारत ने अफगानिस्तान को लगभग 1.3 अरब डॉलर की मदद दी है जो सड़क से लेकर बिजली लाइनें बिछाने पर खर्च की गई. भारत ने नई अफगान संसद का भी निर्माण कराया है.

इससे पहले गुरुवार को मनमोहन सिंह ने निजी रूप से अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई से बात की. बाद में दोपहर को अपने सम्मान में दिए गए भोज में सिंह ने अफगान राष्ट्रपति और वरिष्ठ अधिकारियों के सामने भाषण भी दिया. इसमें उन्होंने तालिबान के साथ बातचीत की अफगान सरकार की कोशिशों का समर्थन किया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी