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जॉर्जिया-रूस विवाद पर नाटो की बैठक

१९ अगस्त २००८

फ्रांस की मध्यस्थता से हुए समझौते के बावजूद यह अभी साफ़ नहीं हो पा रहा है कि रूस जॉर्जिया से अपने सैनिक हटा रहा है या नहीं. इस विवाद पर नाटो विदेश मंत्रियों की अहम बैठक हो रही है.

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नाटो-रूस संबंधों पर विचारतस्वीर: AP GraphicsBank/DW

जॉर्जिया और पश्चिमी देशों की मांग के मुताबिक रूसी सैनिक इस क्षेत्र से हटेंगे या नहीं यह कहना मुश्किल हो है. इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं कि दिमित्री मेद्वेदेव की घोषणा के अनुसार और समझौते के मुताबिक सैनिक वापस नहीं जाएंगे.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गोरी शहर में अब भी रूसी सेना मौजूद है. जॉर्जिया के अन्य शहरों में भी रूसी टैंकर देखे गए हैं. मिसाल के तौर पर 30 टैंकों और मिलिटरी गाड़ियों ने पोती शहर की ओर जाने वाली सड़क रोक रखी है. रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव ने एक भाषण में रूस के दुश्मनों को चेतावनी देते हुए कहा-"अगर कोई हमारी जनता और शांति सैनिकों की हत्या की योजना बना रहा है तो उसे कड़ा जवाब दिया जाएगा. ऐसा करने के लिए हमारे पास राजनीतिक, आर्थिक और सैनिक ताक़त मौजूद है."

Russische Truppen in Georgien
जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी के पास एक टैंक पर रूसी सैनिकतस्वीर: AP

यह अस्पष्ट है कि रूसी सेना राष्ट्रपति के आदेश का पालन करेगी या नहीं या मेद्वेदेव अपनी सेना की कार्वाई से सहमत हैं या नहीं. इतिहास इस बात का गवाह है कि रूसी सेना अपने राष्ट्रपति का कहा टाल भी सकती है. चेचनिया-युद्ध के दौरान उस समय के राष्ट्रपति बॉरिस येल्तसिन ने कई बार शस्त्रविराम की घोषणा की थी लेकिन सेना ने इस पर अमल नहीं किया था.

नाटो विदेशमंत्रियों की बैठक

अंतररराष्ट्रीय संबंधों के स्तर पर भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. मंगलवार को ब्रसल्स में नाटो के 26 देशों के विदेश मंत्रियों की आपात बैठक हो रही है जिसमें रूस के साथ भावी संबंधों पर सोच-विचार भी किया जाएगा. एक बात पर सभी देश राज़ी हैं कि रूस के खिलाफ कोई सैनिक कार्रवाई नहीं की जाएगी. अब रास्ता केवल राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव का बचता है. नाटो महासचिव ज़ाप दे हूप शेफर ने पिछले हफ्ते कहा था कि इस मामले में रूस को साथ ले कर चलना होगा और "शत्रुता की हर भावना तुरंत समाप्त करनी होगी. "

नाटो के प्रति रूस का रवैया

नाटो में रूस के राजदूत दिमित्री रोगोज़ीन ने दो-टूक कह दिया है कि अगर स्थिति बिगड़ती है तो रूस को नाटो के साथ रिश्ते खत्म करने में कोई दिक्कत नहीं होगी. उन्होंने सावधानी से कहा कि रूस और नाटो के संबंधों के बारे में फिर से सोचना होगा. रूस नाटो परिषद की बैठक भी रद्द कर दी गई है. इसके अलावा अमेरिका की पोलैंड और चेक गणराज्य में मिसाइल कवच प्रणाली लगाने का मामला भी रिश्तों में तनाव बढ़ा रहा है.

Deutschland Außenminister Frank-Walter Steinmeier zu Georgien und Russland
जर्मन विदेश मंत्री श्टाइनमायर रूस पर दबाव डालने के पक्ष में नहीं हैंतस्वीर: AP

नाटो के भीतर मतभेद

अमेरिका, ब्रिटेन और कुछ पूर्वी यूरोपीय देश रूस पर दबाव डालने के पैरोकार हैं जबकि जर्मनी, फ्रांस और बाकी के देश सकुचा रहे हैं. जॉर्जिया का समर्थक अमेरिका अपने पक्ष को सही मानने लगा है कि जॉर्जिया और यूकरेन को नाटो में जल्द से जल्द शामिल किया जाना चाहिये था. उसके अनुसार अगर ऐसा पहला हुआ होता तो रूस कभी जॉर्जिया के क्षेत्र में हमला करने की नहीं सोचता. अब बात नाटो औरर यूरोपीय संघ के अंतरराष्ट्रीय सैनिक पर्यवेक्षकों को जॉर्जिया भेजने की हो रही है जो शस्त्रविराम और शांति समझौतों की निगरानी करेंगे. लेकिन संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत रूसी "शांति सैनिक" पहले से ही वहां मौजूद हैं.

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