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जिस्र अल शगूर में सीरियाई सेना का कहर

१४ जून २०११

सीरिया के सीमावर्ती शहर जिस्र अल शगूर पर सरकारी सेनाओं का कब्जा होने के बाद वहां से बचकर भागे लोगों का कहना है कि सेनाओं ने गांव गांव में पहुंचकर सैकड़ों लोगों को घेर लिया है.

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तस्वीर: dapd

बचकर मारत अल नुमान के पास अहतम गांव पहुंचे एक चश्मदीद ने बताया कि सरकारी सेना और सैन्य वाहन जिस्र अल शगूर के दक्षिण पूर्व में मारत अल नुमान की ओर बढ़ रहे हैं. इस शहर में भी असद की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

जिस्र अल शगूर और उसके आस पास के इलाकों से लगभग सात हजार लोग घर छोड़कर तुर्की की ओर भाग गए है. लोगों के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं को कहना है कि ऐसे ही हजारों लोग अंदरूनी इलाकों में बुरी हालत में फंसे हुए हैं.

Syrische Flüchtlinge in Hatay Türkei
तस्वीर: picture-alliance/dpa

सच्चाई का पता नहीं

घंटों की बारिश और तूफान ने पहाड़ियों में छिपे लोगों के लिए हालात को और मुश्किल बना दिया है. ये लोग सीरियाई सेना के उनकी तरफ आने की सूरत में तुर्की की ओर भागने को तैयार बैठे हैं. सरकार का कहना है कि सत्ता विरोधी प्रदर्शन विदेशी ताकतों की एक हिंसक साजिश का हिस्सा है जो समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रही हैं. सीरिया ने ज्यादातर विदेशी पत्रकारों को रिपोर्टिंग से बैन कर दिया है. लिहाजा जमीनी सच्चाई बाहर आना और मुश्किल हो गया है.

जिस्र अल शगूर से भागे लोगों का कहना है कि राष्ट्रपति असद के निष्ठावान सैनिक, जिन्हें शबीहा नाम से जाना जाता है, वे शहर की दुकानों और घरों में घुस गए. शहर से सोमवार को भागे इब्राहिम नाम के एक किसान ने बताया, "तीन मस्जिदों पर गोलाबारी की गई. एक बुजुर्ग दंपती को कत्ल कर दिया गया और उनके घर को लूट लिया गया. सैनिक बेरहमी से मारकाट मचा रहे हैं. वे इस तरह व्यवहार कर रहे हैं जैसे उन्होंने किसी विदेशी शहर पर धावा बोला हो. वे अंधाधुंध गोलियां चला रहे हैं और जो चाहे लूट रहे हैं."

फसलें फूंक रहे हैं सैनिक

लोगों का कहना है कि जमीन को झुलसा देने की अपनी नीति पर काम करते हुए सैनिकों ने फसलों का आग लगा दी है और मवेशियों पर गोलियां चलाई हैं ताकि लोगों की हिम्मत तोड़ी जा सके. पहाड़ियों से घिरा जिस्र अल शगूर का इलाका रणनीतिक तौर पर काफी अहम माना जाता है.

27 साल के अहमद यासिन ने बताया कि सोमवार सुबह करीब काले कपड़े पहने 200 सैनिक कारों और सैन्य वाहनों में आए गेहूं की फसलों को आग लगाने लगे. यासिन अपना सात हजार वर्ग मीटर की जमीन छोड़कर भागे हैं. वह बताते हैं, "मैंने अपनी तीन गायों को बचाने की कोशिश की, लेकिन उसके लिए भी वक्त नहीं था. मैंने अपनी पत्नी और दो बच्चों को कार में बिठाया और फौरन सीमा की तरफ चल दिया."

कई और लोगों ने भी सैनिकों के फसलों को आग लगाने की बात कही है. लेकिन सरकारी समाचार एजेंसी का कहना हैकि हथियारबंद आतंकवादी संगठन फसलें फूंक रहे हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः आभा एम

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