जाड़ों का डर
गिरते तापमानों के बावजूद शरणार्थियों का यूरोप आना रुका नहीं है. अब जल्दबाजी में शरणार्थियों को ठंड से बचाने के लिए रहने की जगह बनाई जा रही है. जल्द ही 100,000 अस्थायी जगहों का इंतजाम होना है.
कड़कड़ाती रातें
जर्मनी में अभी तक जाड़े आए नहीं हैं, लेकिन अच्छी खासी ठंड होने लगी है. बहुत से शरणार्थी बालकन के लंबे रास्ते से मौसम की मार झेल कर आए हैं. दिन में तापमान 10 डिग्री से ज्यादा रहता है लेकिन रात को तापमान गिरकर शून्य के करीब पहुंच जाता है.
आपात सुरक्षा
पास के जंगल से चुनकर लाई गई लकड़ी के सहारे शरणार्थी ठंड का मुकाबला कर रहे हैं. ऑस्ट्रिया में शरण मांगने वाले 60,000 लोगों से अलग ये जर्मनी पहुंचना चाहते हैं. इस तरह की परिस्थितियों से बचने के लिए बालकन रूट पर 100,000 लोगों के लिए रहने की व्यवस्था की जा रही है.
सीमा पर शिविर
जर्मनी और ऑस्ट्रिया की सीमा पर शुक्रवार से हर घंटे सिर्फ 50 शरणार्थियों को आने दिया जा रहा है. मकसद है कि उनका सही तरीके से रजिस्ट्रेशन हो सके. इंतजार के दौरान ठंड से बचाने के लिए ऑस्ट्रिया के कोलरश्लाग में शरणार्थियों के लिए तंबू लगाया गया है.
सीमा पर इंतजार
इसमें संदेह है कि यह नियम लंबे समय तक जारी रखा जा सकेगा. सीमा पर लगाए गए सारे तंबू बुरी तरह भरे हैं. कुश्टाइन और कोलरश्लाग में 1000 से ज्यादा शरणार्थी इंतजार कर रहे हैं. उधर अधिकारी शिकायत कर रहे हैं कि बहुत से शरणार्थी रजिस्ट्रेशन कराए बिना ही चले जा रहे हैं.
बालकन में मुश्किल मौसम
बालकन के रास्ते पर स्थित दूसरे देशों को सर्दियों के लायक रिहायशी जगह बनाने में और मुश्किल हो रही है. स्लोवेनिया के रिगोंसे में बहुत से शरणार्थियों को ठंड और बरसात में रात गुजारनी पड़ी. ज्यादातर जगहें सर्दियों के लायक नहीं हैं. दूसरे बालकन देशों में भी हालात बेहतर नहीं हैं.
खतरनाक पलायन
ग्रीक द्वीप लेसबोस बहुत से शरणार्थियों के लिए पहला मुकाम होता है. वहां का तापमान ठंडा होकर 20 डिग्री सेल्सियस हो गया है. साल के अंत तक वह 17 डिग्री हो जाएगा. जब मौसम खराब हो जाता है तो मानव तस्कर अपनी कीमत गिरा देते हैं. फिर ज्यादा शरणार्थियों के आने की संभावना है.
लोवर सेक्सनी में गर्म तंबू
जर्मनी ने तंबुओं में शरणार्थियों को ठहराने की व्यवस्था को अस्थायी समाधान बताया था. यह गर्मियों की बात है. लेकिन इस बीच साफ हो गया है कि बहुत से शरणार्थियों को जर्मनी की सर्दियां तंबुओं में ही बितानी होगी. यहां की तरह सभी तंबुओं को गर्म करना मुमकिन नहीं है.
जानलेवा सर्दी
सिर्फ यूरोप आए शरणार्थी ही सर्दियों की चिंता नहीं कर रहे हैं. लेबनान में करीब 200,000 लोग बेका पहाड़ों की तलचटी में प्लास्टिक के अस्थायी तंबुओं में रह रहे हैं. पिछले साल भी लोगों को बर्फबारी का सामना करना पड़ा था. यहां जमीन के मालिक नहीं चाहते कि शरणार्थी यहां स्थायी रूप से रहें.