जसवंत लौटे तो उमा, गोविंदाचार्य क्यों नहीं
१९ जुलाई २०१०जसवंत सिंह ने जिन्ना पर किताब लिखी, लेकिन उनकी पार्टी ही उनके खिलाफ हो गई. भारतीय जनता पार्टी ने जिन्ना की तारीफ किए जाने पर जसवंत सिंह के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया. लेकिन नितिन गडकरी के नए अध्यक्ष चुने जाने के बाद जसवंत सिंह को पार्टी में वापस ले लिया गया. अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कहना है कि अगर जसवंत सिंह को पार्टी में वापस लाया जा सकता है तो अन्य नेता वापस क्यों नहीं आ सकते.
आरएसएस नेता एमजी वैद्य ने एक मराठी अखबार में लिखा है, "सिर्फ जसवंत सिंह को क्यों शामिल किया गया है. गोविंदाचार्य, उमा भारती और संजय जोशी को क्यों नहीं. इन तीन नेताओं से भी कुछ गलतियां जरूर हुई हैं लेकिन यह उतनी गंभीर नहीं थी. उन्होंने जिन्ना की तारीफ नहीं की थी."
वैद्य के मुताबिक अगर जसवंत सिंह पार्टी में न भी लौटते तो भारतीय जनता पार्टी को कोई नुकसान नहीं हुआ होता लेकिन उमा भारती, गोविंदाचार्य और संजय जोशी के लौटने से पार्टी निश्चित रूप से मजबूत होगी. वैसे वैद्य आडवाणी से भी जिन्ना की प्रशंसा के मामले में सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि इस तरह की बातों को कोई भी स्वीकार नहीं करेगा.
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन के छह साल सरकार चलाने पर आरएसएस नेता एमजी वैद्य का कहना है कि हिंदू भारतीय जनता पार्टी को वोट क्यों देंगे, अगर एनडीए सरकार राम मंदिर के मुद्दे पर बड़ा फैसला नहीं ले सकी. "1998 में बीजेपी ने 180 सीटें जीती लेकिन सरकार में आने की जल्दी में उसने अपना एजेंडा ही छोड़ दिया. सरकार सिर्फ 13 महीने चली. 1999 में पार्टी ने दो सीटें ज्यादा जीतीं. लेकिन उसकी सरकार सिविल मैरिज एंड डिवोर्स लॉ नहीं ला सकी. मैं समान आचार संहिता की बात नहीं कर रहा हूं. सिर्फ सिविल मैरिज एंड डिवोर्ड लॉ भी नहीं हो सका."
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: उभ