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'जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए बड़े परिवर्तन ज़रूरी'

२४ सितम्बर २००९

न्यू यॉर्क में जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि कोई भी देश जलवायु परिवर्तन के असर से नहीं बच सकता. चीन ने मौसमी बदलाव से मुक़ाबले के लिए नए क़दम उठाने का संकेत दिया है.

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तस्वीर: AP

चीन ने कहा है कि ऊर्जा क्षमता बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन को बढ़ने से रोकने के प्रयास किए जाएंगे. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में राष्ट्रपति हू जिनताओ ने इस संबंध में अपनी योजना के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं दी है.

ओबामा ने कहा कि अमेरिका जलवायु परिवर्तन की गंभीरता और भावी पीढी के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह समझता है. उन्होंने बताया कि पिछले आठ महीनों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए अमेरिका ने कई क़दम उठाए हैं. उनके मुताबिक़ आर्थिक मंदी के दौरान कई देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं की फिर से पटरी पर लाने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन जलवायु के बारे में व्यापक और आवश्यक परिवर्तन लाने के प्रयास बहुत ज़रूरी हैं.

Ban Ki Moon auf Klimakonferenz bei den UN
तस्वीर: AP

जलवायु परिवर्तन वार्ताओं में गतिरोध का कारण विकसित और विकासशील देशों के बीच कार्बन उत्सर्जन स्तर को लेकर पैदा हुआ विवाद है. राष्ट्रपति ओबामा ने माना कि पिछली सदी में अमेरिका सहित विकसित देशों ने भूमंडल को अधिक नुकसान पहुंचाया है और इस समस्या का हल पाने की मुहिम में अगुवाई करने की ज़िम्मेदारी उनकी है.

ओबामा का कहना था, "अगर हम लचीला रुख अपनाएंगे और लगातार परिश्रम करेंगे तो हम एक साझा लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे. हम एक ऐसा विश्व बना सकते हैं जो अधिक सुरक्षित हो, साफ़ सुथरा हो, और जिसमे बच्चों का भविष्य बेहतर हो."

सम्मलेन का उदघाटन करते हुए महासचिव बान की मून ने वार्ताओं में तेज़ी लाने की अपील की. उनका कहना था कि ग़रीब देशों को आर्थिक व तकनीकी मदद दी जानी चाहिए ताकि उनके विकास में बाधा न हो और वे कार्बन उत्सर्जन भी कम कर सकें.

महासचिव के अनुसार दिसम्बर में कोपनहेगन शिखर वार्ता में सफलता का वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा. यह समय खोने का नहीं है. लोगों की आजीविका, भावी पीढी का भविष्य, और पृथ्वी का अस्तित्व आज की गई कार्यवाही पर निर्भर करता है.

रिपोर्ट- न्यू यॉर्क, अंबालिका मिश्रा

संपादन- एम गोपालकृष्णन