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जर्मनी को मिली दो ट्रांसजेंडर महिला सांसद

२८ सितम्बर २०२१

जर्मनी की ग्रीन्स पार्टी की दो ट्रांसजेंडर महिलाओं ने हाल ही में हुए संसदीय चुनावों में जीत हासिल की है. वो दोनों देश के इतिहास में पहली ट्रांसजेंडर महिला सांसद होंगी.

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Bildkombo I Tessa Ganserer und Nyke Slawik

टेस्सा गैंसरर और नाइके स्लाविक दोनों ग्रीन्स पार्टी की सदस्य हैं. पार्टी ने चुनावों में तीसरा स्थान हासिल किया है और 2017 में हुए पिछले चुनावों में 8.9 प्रतिशत मतों के मुकाबले इस बार 14.8 प्रतिशत मत हासिल किए हैं.

पार्टी अब एक नई गठबंधन सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका अदा करने वाली है. 44 वर्षीय गैंसरर कहती हैं, "ये ग्रीन्स के लिए एक ऐतिहासिक जीत तो है ही, साथ ही ट्रांस लोगों के उद्धार से संबंधित आंदोलन और पूरे क्वीर समाज के लिए भी ऐतिहासिक जीत है."

अविश्वसनीय नतीजे

गैंसरर ने यह भी कहा कि ये नतीजे एक खुले और उदार समाज का प्रतीक भी हैं. वो इसके पहले 2013 में बवेरिया की प्रांतीय संसद की सदस्य भी रह चुकी हैं. बतौर सांसद उनकी प्राथमिकताओं की सूची में पहचान पत्रों पर लिंग के बदलाव को प्रमाणित करने की प्रक्रिया को सरल बनाना सबसे ऊपर है.

Deutschland | Kundgebung - Demo Berlin Pride 2020
2020 में बर्लिन में एलजीबीटी प्लस समुदाय के लोगों का विरोध प्रदर्शनतस्वीर: imago images/S. Zeitz

गैंसरर दो बेटों की मां भी हैं. वो कानून में ऐसे बदलाव भी चाहती हैं जिनकी मदद से समलैंगिक माताओं को बच्चे गोद लेने की अनुमति मिल सके. 27 साल की स्लाविक कहती हैं कि चुनावों के नतीजे अविश्वसनीय थे. उन्होंने नार्थ राइन-वेस्टफेलिया राज्य से संसदीय चुनाव जीता.

उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा,"मैडनेस! मैं अभी भी इस पर विश्वास नहीं कर पा रही हूं, लेकिन इस ऐतिहासिक चुनावी नतीजे के साथ मैं निश्चित ही बुंडेसटाग की सदस्य बन जाऊंगी."

बढ़ता होमोफोबिया

स्लाविक ने समलैंगिक और ट्रांस लोगों के विरोध के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी कार्य योजना, आत्म-निर्णय के अधिकार का एक कानून और भेदभाव की रोकथाम करने वाले केंद्रीय कानून में सुधार की मांग की है.

Deutschland CSD in Köln
अगस्त में कोलोन में गे प्राइड परेड का एक दृश्यतस्वीर: Thilo Schmuelgen/REUTERS

जर्मनी में समलैंगिकता को 1969 में ही अपराध माने जाने से मुक्त कर दिया गया था और समलैंगिक विवाह को 2017 में कानूनी मान्यता मिल गई थी. लेकिन पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक एलजीबीटी प्लस लोगों के लिए खिलाफ नफरत के अपराधों में पिछले साल 36 प्रतिशत उछाल आया.

ये जर्मन समाज के कुछ हिस्सों में होमोफोबिया के प्रचलन में हो रहे इजाफे को चिन्हांकित करता है.

सीके/एए (रॉयटर्स)

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