जर्मनी में एक गांव को बचाने का संघर्ष
पश्चिमी जर्मनी का गांव लुत्सेराथ पर्यावरण कार्यकर्ताओं और भूरे कोयले के समर्थकों के बीच विवाद का प्रतीक बन गया है. पर्यावरण कार्यकर्ता लुत्सेराथ को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं तो पुलिस आंदोलनकारियों को हटा रही है.
हार-थक कर खाली कर दिया गांव
लुत्सेराथ गांव के निवासियों ने सरकार और ऊर्जा कंपनी के सामने घुटने टेक दिए और बहुत पहले गांव को खाली कर दिया. गांव के नीचे पड़े कोयले का भंडार पाने के लिए बिजली कंपनी आरडब्ल्यूई ने गांव वालों को कहीं और बसाया.
कार्यकर्ताओं ने नहीं मानी हार
लेकिन स्थानीय और देश के दूसरे इलाकों के कार्यकर्ताओं ने हार नहीं मानी. उन्होंने ग्रामीणों के जाने के बाद गांव पर कब्जा कर लिया और कोयला खनन के विरोध में आंदोलन करने लगे. लुत्सेराथ खराब किस्म के लिग्नाइट कोयले के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बन गया.
यूक्रेन युद्ध का असर
यूक्रेन पर रूस के हमले ने जर्मनी में ऊर्जा आपूर्ति की हालत खराब कर दी है. तेल, बिजली और गैस की कीमत बहुत बढ़ गई है. ऊर्जा सुरक्षा के लिए बंद किए जाने का फैसला हो जाने के बावजूद कुछ परमाणु और कोयला बिजली घरों को चलाने का फैसला लिया गया है.
लुत्सेराथ बना इसका शिकार
इस स्थिति का शिकार लुत्सेराथ भी बना है. वहां नीचे पड़े कोयले को निकालने के लिए गांव को खाली कराने का फैसला लिया गया. पुलिस के दस्ते लुत्सेराथ पहुंचे, लेकिन उन्हें पर्यावरण कार्यकर्ताओं के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
आंदोलनकारियों ने की नाकेबंदी
आंदोलन में शामिल लोगों ने गांव की नाकेबंदी कर रखी है, जिसकी वजह से पुलिस का आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है. नाकेबंदी को हटाने और गांव को खाली कराने के लिए पुलिस ने आस-पड़ोस के प्रांतों से अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को बुला लिया है.
पुलिस कार्रवाई का कड़ा प्रतिरोध
पर्यावरण कार्यकर्ता गांव को खाली कराए जाने के प्रयासों का कड़ा प्रतिरोध कर रहे हैं. अब तक आंदोलन आम तौर पर शांतिपूर्ण रहा है. प्रदर्शनकारी विरोध के दौरान गीत संगीत का आयोजन कर रहे हैं. लेकिन पुलिस को हिंसा होने की आशंका है.
कड़ाके की ठंड में आंदोलन
जर्मनी में इस समय कड़ाके की सर्दी है और बरसात भी हो रही है. ठंडे मौसम के बावजूद आंदोलनकारी इलाका छोड़ने को तैयार नहीं हैं. एक पुराने फार्म पर बैनर लगा है, 1.5 डिग्री सेल्सियस का मतलब: लुत्सेराथ रहेगा.
पेरिस के पर्यावरण लक्ष्यों की दुहाई
आंदोलनकारियों का कहना है कि अगर लुत्सेराथ खत्म हो जाता है तो जर्मनी, पेरिस के पर्यावरण लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाएगा. सरकार का कहना है कि जब तक यूक्रेन युद्ध चलता रहता है, जर्मनी को लुत्सेराथ के कोयले की जरूरत है.
गांव को खाली कराने की शुरुआत
पुलिस ने 10 जनवरी से गांव को खाली कराने की शुरुआत कर दी. नाकेबंदियों को हटाया गया और प्रदर्शनकारियों को धरने की जगह से बाहर लाना शुरू हुआ. कुछ आंदोलनकारियों ने तो खुद को जमीन में गाड़ लिया है, ताकि पुलिस उन्हें हटा न पाए.
सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात
आंदोलनकारियों को हटाने के लिए लुत्सेराथ में सैकड़ों पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. पुलिस बाड़ों को हटाते हुए आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है और आंदोलनकारी बार- बार पुलिस की राह में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं.
ग्रेटा थुनबर्ग का समर्थन
प्रसिद्ध पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग ने आंदोलनकारियों के लिए अपना समर्थन जताया है. वे 14 जनवरी को आंदोलनकारियों के समर्थन के लिए लुत्सेराथ पहुंचेंगी और प्रदर्शन में हिस्सा लेंगी. वे पहले भी लुत्सेराथ जा चुकी हैं और 2021 में संसदीय चुनाव से पहले प्रदर्शन में भाग ले चुकी हैं.