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समाज

जर्मनी: पुरुष हेल्पलाइन में मदद मांगने वालों की संख्या बढ़ी

२३ अप्रैल २०२१

जर्मनी में पुरुषों के खिलाफ होने वाली हिंसक घटनाओं से निपटने के लिए एक साल पहले हेल्पलाइन की शुरुआत की गई थी. इस पर अब तक 1800 से ज्यादा कॉल आ चुके हैं. अधिकारी हेल्पलाइन में कॉल करने के समय को बढ़ा रहे हैं.

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Bonn Gewalt gegen Maenner
तस्वीर: Ute Grabowsky/photothek/imago images

अधिकारियों ने बताया कि जर्मनी में "पुरुषों के खिलाफ हिंसा” हेल्पलाइन को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया के जरिए अभियान चलाने की तैयारी की जा रही है. पुरुषों को सहायता पहुंचाने की इस तरह की सेवा देश में पहली बार शुरू की गई है. जर्मनी के दो राज्यों बावेरिया और नार्थ राइन-वेस्टफेलिया (एनआरडब्ल्यू) में एक साल पहले 'पुरुषों के खिलाफ हिंसा' हेल्पलाइन की शुरुआत की गई थी. इस हेल्पलाइन नंबर पर पूरे देश से लोग फोन करके मदद मांग रहे हैं. मदद मांगने वालों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए, इसे शुरू करने वालों को दूसरे राज्यों से भी मदद मिल रही है.

बाडेन वुर्टेमबर्ग राज्य के सामाजिक मामलों के मंत्री माने लुखा कहते हैं कि किसी भी तरह की हिंसा को 'सार्वजनिक तौर पर दिखाना चाहिए.' वह कहते हैं, "अभी भी लोग पुरुषों के खिलाफ होने वाली हिंसा को लेकर बात नहीं करते. लोगों को इस विषय पर बात करने में लज्जा और शर्म आती है."

अधिकारियों का कहना है कि यह सेवा देश की सहायता पहुंचाने की प्रणाली के फर्क को समाप्त करती है. एनआरडब्ल्यू में समान अवसर मामलों की मंत्री ईना शारेनबाख कहती हैं, "हिंसा से प्रभावित होने वाले पुरुषों की मदद के लिए शुरू की गई इस सेवा को बहुत जल्दी स्वीकार कर लिया गया है. यह उन आशंकाओं और पूर्वाग्रहों के विपरीत है जिनमें कहा जाता है कि पुरुषों को मदद की ज़रूरत नहीं होती है."

शारेनबाख ने ट्विटर पर पोस्ट करके पुरुषों के खिलाफ होने वाली हिंसा पर बातचीत करने का आह्वान किया और पीड़ित लोगों को प्रोत्साहित करने की मांग की. उन्होंने कहा कि हिंसा के खिलाफ लड़ना लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने का एक हिस्सा है. साथ ही, लोगों से, "पुरुषों के खिलाफ हिंसा पर महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा की तरह" खुलकर बात करने की अपील की.

हेल्पलाइन की शुरुआत के बाद से एक साल के भीतर 1825 कॉल आ चुके हैं. यहां 6 से 9 कॉल हर दिन आते हैं. इनमें से कुल कॉल का 35 प्रतिशत एनआरडब्ल्यू राज्य से आया है. जनसंख्या के हिसाब से यह जर्मनी का सबसे बड़ा राज्य है. कॉल करने वाले 18 प्रतिशत लोग बावेरिया राज्य के थे. वहीं, अन्य कॉल देश के अलग-अलग राज्यों के लोगों ने किये.

खास बात यह है कि कॉल करने वालों में से तीन-चौथाई की उम्र 51 वर्ष से कम थी. लगभग 53 प्रतिशल लोगों के साथ शारीरिक या यौन दुर्व्यवहार किया गया था. 85 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे मानसिक यातना से पीड़ित हैं. कॉल करने वाले 70 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे बेहद हिंसक परिस्थिति में हैं.

इस दौरान यह बात भी सामने आई कि जो लोग इन पुरुषों के साथ हिंसा कर रहे थे उनमें से दो-तिहाई के साथ पीड़ितों ने खुद संपर्क बनाए थे, 10  में से एक संपर्क सामाजिक वातावरण की वजह से बना था, और बाकी संपर्क काम के दौरान बने थे.

डाटा दिखाता है कि पुरुषों के साथ उनकी मौजूदा पार्टनर या पूर्व पार्टनर ने दुर्व्यवहार किया. बावेरिया की सामाजिक मामलों की मंत्री कैरोलिना ट्राउटनर कहती हैं कि एक साल के दौरान मिले इन आंकड़ों से साबित होता है कि ‘इसकी जरूरत तो है.'

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, हेल्पलाइन की शुरुआत करने वालों ने घोषणा की कि अब सेवा को बढ़ाया जा रहा है, ज्यादा कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है, और काम के घंटे भी बढ़ाए जा रहे हैं. कॉल करने वाले अब सुबह आठ बजे से ही मदद पा सकते हैं. इसके अलावा, इस साल की गर्मियों में ऑनलाइन सलाह देने के लिए चैट की सुविधा भी शुरू की जाएगी. इस सेवा का संचालन बिएलेफेल्ड में मैन-ओ-मैन मेन्स काउंसलिंग सेंटर और ऑग्सबुर्ग में एडब्ल्यूए करता है. इससे जुड़े तमाम खर्च का वहन बावेरिया की सरकार करती है.

आरआर/वीके (डीपीए, ईपीडी)

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