1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
कारोबार

जर्मनी के बूचड़खानों में क्यों बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले

१८ जून २०२०

बूचड़खानों में काम करने वालों की स्थिति खराब होने को जर्मनी में एक के बाद एक कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों के बढ़ने का कारण माना जा रहा है. हाल ही में एक कसाईघर के 600 से भी ज्यादा कर्मचारी संक्रमित पाए गए हैं.

https://p.dw.com/p/3e00s
तस्वीर: Imago Images/Westend61

संक्रामक बीमारियों के एक विशेषज्ञ ने एक बार में एक ही जगह से कोविड-19 के सैकड़ों मामले सामने आने का दोष वहां "जीने और काम करने की बेकार परिस्थितियों" पर डाला है. स्विट्जरलैंड के जेनेवा में स्थित सेंटर फॉर इमर्जिंग वायरस डीजीजेज की प्रमुख इसाबेला एकेर्ले ने कहा, "जब ऐसे माहौल में रहने वाला कोई व्यक्ति या एक छोटा सा समूह संक्रमित होता है तो उसके माध्यम से बहुत सारे लोगों को संक्रमण फैलने का खतरा होता है." केवल इसी हफ्ते में जर्मनी के मांस उद्योग में मशहूर टोएनीज ग्रुप के एक कसाईखाने में काम करने वाले कम से कम 657 लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं.

यह कसाईखाना गूटरस्लोह शहर में स्थित है और यहां के करीब 7,000 लोगों को इस समय क्वारंटीन पर डाला गया है. इनमें इस कसाईघर में काम करने वाले सभी कर्मचारी शामिल हैं. जर्मनी के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य नॉर्थराइन वेस्टफेलिया में स्थित इस केंद्र पर न केवल उत्पादन रोकना पड़ा बल्कि इस जिले के सभी स्कूल और डे केयर सेंटरों को भी बंद कर दिया गया. कंपनी के एक अधिकारी ने इस घटना का जिम्मा उन कर्मचारियों पर डाला है जो इसी वीकेंड पूर्वी यूरोप में स्थित अपने देशों से लौटे थे. 

लेकिन संक्रामक रोगों की विशेषज्ञ एकेर्ले इसे वजह मानने को तैयार नहीं. उनका कहना है, "इन्क्यूबेशन पीरियड भी औसतन पांच दिन का होता है. इसलिए किसी वीकेंड की यात्रा से इतने सारे लोगों का संक्रमित होना नहीं समझ आता. उनका अनुमान है कि वहां काम करने वालों के बहुत कड़े परिश्रम करने के कारण उनके शरीर से, सामान्य की तुलना में कहीं ज्यादा कोरोना वायरस कण बाहर निकल रहे होंगे. इसके अलावा उनका संदेह वहां गीले कपड़ों और गीले हाथों के कारण उस माध्यम में होने वाले तेज संक्रमण पर भी है. एकेर्ले ने कहा, "इस बात की सफाई देना ज्यादा जरूरी है कि असल में वहां काम के दौरान कर्मचारी मास्क का कितना इस्तेमाल कर रहे थे और क्या वहां एक दूसरे से दूरी बना कर रखना और हाथ धोने के नियमों का पालन करना संभव था."

इसके एक महीने पहले भी जर्मनी के एक अन्य राज्य लोअर सैक्सनी के एक स्लॉटरहाउस में भी एक साथ दर्जनों लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे. उसके बाद जर्मन सरकार की "कोरोना वायरस  कैबिनेट" ने कार्यस्थल पर सुरक्षा, विशेषकर कसाईखानों को ध्यान में रखते हुए विशेष दिशा निर्दश दिए थे. इनमें काम करने वाले पूर्वी यूरोपीय देशों के कर्मचारियों के रहने और काम के बुरे हालातों पर चिंता तो काफी समय से जताई जाती रही है लेकिन उनमें खास सुधार नहीं लाया गया है. सस्ते में काम करने के लिए उपलब्ध होने के कारण बहुत बड़ी संख्या में अस्थाई कामगार मीट उद्योग में रखे जाते हैं. जर्मन कंपनियां इन्हें ठेके पर रखती हैं इसलिए इनकी जिम्मेदारी उन ठेकेदार कंपनियों पर होती हैं जो इन्हें काम कर रखती हैं. यही कारण है कि इन पर खर्च कम से कम रखने की कोशिश में कई कॉन्ट्रैक्टर और सबकॉन्ट्रैक्टर कर्मचारियों की सुविधाओं पर ध्यान ज्यादा नहीं देते. कोरोना महामारी के काल में इसका नतीजा ऐसे कई संक्रमण विस्फोटों के रूप में सामने आ रहा है.

आरपी/एमजे (डीपीए, एपी)

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore