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जर्मन बोली में पंजाबी म्यूजिक का तड़का

१९ फ़रवरी २०११

जर्मनी के हैमबर्ग शहर में दो भाई जर्मन कल्चर में पंजाब की मस्ती घोल रहे हैं. लवली और मोंटी सिंह टैक्सी चलाते हैं. उनकी टैक्सी में बैठने वाले पंजाबी म्यूजिक और जर्मन गीतों के संगम का खूब लुत्फ उठाते हैं.

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शुरू में मोंटी को जर्मन गाने गाना थोड़ा अजीब लगातस्वीर: Singh

पंजाबी म्यूजिक किसी को भी थिरकने के लिए मजबूर कर देता है. लेकिन धुन अगर पंजाबी हो और गीत के बोल जर्मन में तो कैसा रहेगा? यही म्यूजिकल कॉकटेल लवली और मोंटी सिंह की खासियत है. दोनों भाई शुरू से ही म्यूजिक के शौकीन रहे हैं. रोजगार और बेहतर जिंदगी की तलाश उन्हें 1984 में जर्मनी ले आई. खाली वक्त में परिवार और दोस्तों के बीच गाना बजाना अकसर होता. यूं ही बातों बातों में उन गानों को सीडी की शक्ल भी दे दी.

Deutschland Indien Musik Lovely Singh und Monty Singh in Hamburg
दोनों भाइयों को जर्मन मीडिया में खासी कवरेज मिलीतस्वीर: Singh

लोगों की फरमाइश पर

जर्मन गीत और पंजाबी संगीत का यह मेल उन्होंने अपनी टैक्सी में बैठने वाले लोगों की फरमाइश पर किया. मोंटी बताते हैं, "जब हम टैक्सी में अपनी बनाई पंजाबी गानों की सीडी लगाते थे तो जर्मन लोग बोलते थे कि आपका म्यूजिक बहुत अच्छा है. गाना भी बहुत अच्छा है. लेकिन हम इसे समझ नहीं सकते, तो फिर भाई ने सोचा कि जर्मन में गाने लिखते हैं पंजाबी और इंडियन म्यूजिक पर."

वैसे शुरू में मोंटी को यह आइडिया ज्यादा जमा नहीं था. उनके भाई लवली सिंह बताते हैं, "मोंटी रिकॉर्डिंग करने भारत गया तो मैंने उसे एक जर्मन गाना दिया. पहले तो किसी ने सीरियस लिया ही नहीं. मोंटी बोला कि वीर जी ने मुझे यह पोएम सी दे दी है. उसके जर्मनी आने से एक दिन पहले मैंने पूछा कि जर्मन रिकॉर्ड हुआ या नहीं. उसने कहा, नहीं. मैंने कहा अगर गाना रिकॉर्ड नहीं करके लाए तो जर्मनी में तुम्हारा प्लेन लैंड नहीं होने दिया जाएगा."

हिट रही कॉकटेल

जब इस तरह के गानों को उन्होंने अपनी टैक्सी में बजाना शुरू किया तो लोगों को बहुत पसंद आया. यहां तक हैम्बर्ग के मीडिया में उनकी चर्चा होने लगी. कई बड़े टीवी चैनलों ने उन रिपोर्टें बनाईं तो अखबारों में भी उनकी चर्चा हुई. लेकिन पंजाबी संगीत और जर्मन गीत. पहली नजर में, यह थोड़ा अटपटा लगता है. तो शुरुआत कैसी रही, लवली बताते हैं, "मैंने नहीं सोचा था कि यह आइडिया इतना हिट होगा. दरअसल शुरू में तो मेरे बच्चे ही मुझे रोक रहे थे. उन्होंने कहा, डैडी यह क्या कर रहे हो आप. ऐसे भी कोई करता है क्या. लेकिन जब हमने इसे पेश किया तो मामला हिट हो गया." वैसे मोंटी को जर्मन गाना गाने में शुरू में दिक्कत हुई, लेकिन प्रैक्टिस से सब आसान हो गया.

Deutschland Indien Musik Lovely Singh und Monty Singh in Hamburg
इस म्यूजिकल कॉकटेल का सबसे पहले आइडिया लवली सिंह को आयातस्वीर: Singh

मोंटी और लवली के इस म्यूजिक को न सिर्फ जर्मनी में रहने वाले पंजाबी एंजॉय करते हैं, बल्कि आम जर्मन लोग भी शायद पंजाब और उसकी मस्ती को ठीक से समझ सकते हैं. दोनों भाई इस बात भी खास ख्याल रखते हैं कि गीत के बोल शालीन हो. खास कर जब बात दो संस्कृतियों के मेल की हो, कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है. इसीलिए मोंटी और लवली की अब तक की कोशिशों को काफी सराहा गया है. मोंटी कहते हैं, "हमारे गाने को ज्यादातर जर्मन ऑडियंस एन्जॉय करती है लेकिन सुन तो कोई भी सकता है."

ग्राहकों ने की मदद

दोनों भाइयों ने यह म्यूजिक कॉकटेल शौकिया तौर पर आजमाई. इसलिए शुरू में जो भी खर्चा आया, सब अपनी जेब से लगाना पड़ा. लवली कहते हैं, "अभी तक तो जी भी हमने किया, सब अपनी जेब से ही किया है. लेकिन कहते हैं न कि शौक का कोई मोल नहीं होता. वैसे मेरी टैक्सी में बैठने वाले लोगों ने बहुत मदद की. हमने जो वीडिया बनाया, उसमें हमें कोई एक्टर लेने की जरूरत नहीं पड़ी. सब मेरे कस्टमर था. जो डायरेक्टर था, वह भी मेरी टैक्सी में बैठता है. बहुत अच्छे ग्राफिक बने. कहने तो वीडियो बनाने में हजारों यूरो लगते हैं लेकिन मुझे कुछ नहीं देना पडा." हालांकि अब मोंटी और लवली को कुछ प्रायोजक मिल गए हैं.

Taxi am Hauptbahnhof Frankfurt
टैक्सी से शुरू हुआ संगीत का दिलचस्प सफरतस्वीर: AP

खैर, इस साल दोनों भाइयों की सीडी बाकायदा रिलीज होने जा रही है जिसमें कुल मिला कर नौ गाने हैं. हालांकि यूट्यूब वेबसाइट पर पहले ही दोनों काफी हिट हो चुके हैं. हजारों लोगों को उनका म्यूजिक और अंदाज पसंद आ रहा है.

भारत से नाता

पंजाबी गीत संगीत से भी दोनों भाइयों का नाता बराबर बना हुआ है. वक्त वक्त पर भारत जाते हैं. खास कर गीतों को लिखने और गाने का काम तो यहां हो जाता है, लेकिन संगीत भारत में ही तैयार होता है. मोंटी कहते हैं, "यहां जर्मनी में पंजाबी म्यूजिक बनाने वाला हमें कोई नहीं मिला है. जो म्यूजिक है, वह भारत में हमारा दोस्त बनाता है."

भारत में बनने वाले पंजाबी गानों पर भी लवली नजर रखते हैं. लेकिन उनमें कुछ नयापन नहीं पाते हैं. वह कहते हैं, "शब्दों में कोई मजा नहीं है. सारे लोग झांझर झनके के पीछे पड़े हैं. मैं तो नुसरत फतेह अली खान का फैन हूं. साथ ही गुरदास मान के गाने में जान होती है. बब्बू मान का भी मैं फैन हूं."

रिपोर्टः अशोक कुमार

संपादनः वी कुमार

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