जर्मन जमीन से अमेरिकी जासूसी
८ अगस्त २०१३गर्मी की छुट्टी पर जाने से पहले जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "जर्मन जमीन पर जर्मन कानून लागू होता है और जो भी यहां मौजूद है उसे इनका पालन करना होगा." उन्होंने जर्मनी में अमेरिकी खुफिया कार्रवाई के मद्देनजर यह बात कही. इसके बाद ब्रिटिश दैनिक गार्डियन ने अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनएसए के जासूसी सॉफ्टवेयर एक्स कीस्कोर के बारे में खबर छापी. आर्टिकल के ग्राफिक में देखा जा सकता था कि अमेरिका जर्मनी के सर्वरों से जासूसी कर रहा था.
अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि एनएसए और अन्य अमेरिकी खुफिया एजेंसियां जर्मनी में अमेरिकी सैन्य ठिकानों के जरिए यहां के इंटरनेट हब से जासूसी करती थीं. जर्मनी में अभी भी 50,000 अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं जो बेल्जियम की पूरी सेना से भी ज्यादा है. पूरी दुनिया में अमेरिकी सेना के कई ठिकाने हैं.
बर्लिन की फ्री यूनिवर्सिटी में आईटी विशेषज्ञ सांद्रो गायकेन संभावना जताते हैं कि अमेरिकी अपने सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल केबल की छानबीन करने के लिए कर रहे हो सकते हैं. "जहां से आप जानकारी इकट्ठा करना चाहते हैं, उस डेटा हब के पास होना फायदेमंद होता है." लेकिन क्या अमेरिकी खुफिया एजेंसी जर्मन सरकार की जानकारी के बिना ऐसा कर सकती है? गायकेन कहते हैं ये संभव तो है, लेकिन ऐसा वे करेंगे नहीं. "अगर सर्वर सहयोगी देशों में है तो संभव है कि कोई खास समझौता हो जिससे आपको सीधे सिस्टम की छानबीन की अनुमति मिली हो."
कानूनी आधार
जर्मनी में अमेरिकी सैन्य ठिकानों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले कानून हैं. 1968 में जी10 कानून पास किया गया था जिसमें जर्मन खुफिया एजेंसियों के पोस्ट और टेलीकॉम संवादों पर नजर रखने को नियंत्रित किया गया. इस कानून में एक प्रशासनिक समझौता भी किया गया जिसमें जर्मनी में गठबंधन सेना को वायरटेपिंग और निगरानी की अनुमति दी गई ताकि सेना की सुरक्षा की जा सके. जर्मनी के विदेश मंत्री ने कहा, अमेरिका और ब्रिटेन के साथ "जी10 कानून के तहत हुआ 1968/69 का प्रशासनिक समझौता आपसी सहमति से निलंबित कर दिया गया था."
अटकलें जारी हैं
इस घोषणा से हालांकि कुछ बदला नहीं. सरकार के प्रवक्ता ने आठ जुलाई को कहा कि यह समझौता 1990 में जर्मन र्एकीकरण के बाद से कार्यान्वित नहीं किया गया. इसलिए जर्मनी में एनएसए की गतिविधियों के बारे में अटकलें जारी हैं. यह साफ है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियां जर्मनी में अमेरिकी सैन्य ठिकानों के जरिए काम कर रही हैं.
जर्मन रक्षा मंत्रालय ने एक सूची जारी की जिसमें ऐसी कंपनियों के नाम हैं जिन्हें अमेरिकी सेना से मिले काम में डिस्काउंट मिला. इसमें 207 कंपनियों के नाम हैं जिन्हें "विश्लेषण के काम" के लिए डिस्काउंट मिला था. सीनियर इंटेलिजेंस सिस्टम एनेलिस्ट या सिगनल इंटेलिजेंस एनेलिस्ट- इस पर काम करने वाले अधिकारियों को इस नाम से नियुक्त किए जाने की बात थी.
जिस कंपनी बूज एलेन हेमिल्टन में एनएसए का खुलासा करने वाले एडवर्ड स्नोडेन काम करते थे, उसे जर्मनी में "इंटेलिजेंस ऑपरेशन्स" के लिए लाइसेंस मिला था. डार्मश्टाड शहर के पास ग्रीसहाइम के डागर कॉम्प्लेक्स में एनएसए के लिए ऐसी कुछ कंपनियां काम कर रही हैं. यहां अंडरग्राउंड कॉम्प्लेक्स में करीब हजार अमेरिकी खुफिया एजेंट काम करते हैं. खुफिया मामलों के विशेषज्ञ एरिष श्मिड एनबूम कहते हैं, "जर्मनी को अमेरिका से मांग करनी चाहिए कि वह ग्रीसहाइम जैसी फैसिलिटी बंद कर दें. अगर जर्मन मानता है कि अमेरिका उसके नागरिक अधिकारों का हनन कर रहे हैं तो. लेकिन क्या इसका मतलब जर्मन एजेंसी बीएनडी को एनएसए से भिड़ना होगा और जर्मन एजेंसी इसे नहीं झेल सकती क्योंकि वह अमेरिकी एजेंसी की तुलना में बहुत छोटी है.
रिपोर्टः मार्कुस लुटिके/एएम
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन