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दिल्ली की सड़कों पर अकेले निकलने में लड़कियों को कैसा डर

६ दिसम्बर २०१९

भारत की सड़कों पर लड़कियों को अपना हक क्यों नहीं महसूस होता. इसका जवाब पाना है तो जरा ये सोच कर देखिए कि क्या वो घर से अकेले बाहर निकल सकती हैं, और अगर वो सड़कों पर अकेले नहीं निकल सकतीं तो फिर अधिकार कैसे जताएंगी.

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Indien Protest gegen der Vergewaltigung einer Studentin in New Delhi
तस्वीर: Reuters/A. Fadnavis

दिल्ली में लड़कियों के दिल से घर से बाहर निकलने का डर खत्म कराने के मकसद से कराए एक कार्यक्रम के आयोजक हैरान रह गए जब उन्होंने देखा कि कार्यक्रम में लड़कियों से ज्यादा पुरुष मौजूद थे. उसकी वजह यह थी कि ज्यादातर औरतें और लड़कियां अपने साथ किसी ना किसी पुरुष को लेकर आईं थीं.

नगर प्रशासन की तरफ से आयोजित कार्यक्रम 'स्टेप आउट एट नाइट' में मौजूद पुलिस इंस्पेक्टर किरण ने कहा, "ऐसा लगता है कि ज्यादातर औरतें अपने परिवार, पुरुष दोस्त या फिर पार्टनर के साथ यहां आईं हैं." यह कार्यक्रम लड़कियों में सड़क पर निकलने का डर खत्म करने के लिए आयोजित किया जाता है. तेलंगाना और देश के कई दूसरे हिस्सों में हाल में हुई बलात्कार की घटनाओं के बाद गुरुवार की रात एक बार फिर इसका आयोजन हुआ तो ये नजारा देखने को मिला. किरण ने कहा, "हमें उम्मीद थी कि महिलाएं निडर हो कर सड़कों पर निकलेंगी लेकिन शायद ऐसे कार्यक्रम ज्यादा करने की जरूरत है ताकि महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराया जा सके."

Symbolbild Protest gegen Vergewaltigungen in Indien
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Saurabh Das

भारत में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2017 में औसतन हर दिन बलात्कार के 90 मामले सामने आए. गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम ऐसे वक्त में हुआ जब तेलंगाना की 27 साल की पशु चिकित्सक के बलात्कार और हत्या के बाद पूरे देश में गुस्सा नजर आ रहा था. भारत ने महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामले में कानून को 2012 के दिल्ली बलात्कार कांड के बाद ही बेहद सख्त बना दिया था. हालांकि आलोचक कहते हैं कि कानूनों का पालन कराने में सरकार अब भी लचर है. गुरुवार को ही उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक बलात्कार पीड़िता को कुछ लोगों ने कोर्ट जाने के दौरान जला कर मारने की कोशिश की. शुक्रवार को तेलंगाना बलात्कार कांड के संदिग्ध आरोपियों की पुलिस इनकाउंटर में मौत की खबर भी आई. इन घटनाओं से यह साफ संकेत मिलता है कि अपराधियों के मन में कानून का डर नहीं है और दूसरी तरफ आम लोगों का न्याय तंत्र पर भरोसा कमजोर हुआ है.

Indien Neu Delhi
तस्वीर: AFP/STR

दिल्ली में यौन हिंसा की घटनाओं को देखते हुए सैकड़ों महिलां ने स्टेप आउट एट नाइट कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में नाच और गाने के कई कार्यक्रम हुए और लैंगिक समानता को थीम बना कर कई खेलों का भी आयोजन हुआ. एक महिला ने इस कार्यक्रम की फोटो ट्वीट की है जिसमें स्ट्रीट फूड का मजा लेती हुई कुछ महिलाओं को देखा जा सकता है लेकिन उनके पीछे बड़ी संख्या में पुरुष खड़े हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा निष्ठा गुप्ता 22 साल की हैं. वह भी कार्यक्रम में अपने भाई को लेकर आई थीं. निष्ठा ने इसकी वजह बताई, "क्योंकि मेरे मां बाप सकून से रहेंगे जब उन्हें पता होगा कि मेरा भाई मेरे साथ है. फेस्टिवल का विचार तो अच्छा है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर नजर आएं लेकिन यह बदलाव रातोंरात नहीं हो जाएगा."

महिलाओं को सुरक्षा संबंधी जानकारी देने वाले एक मोबाइल ऐप की संस्थापक कल्पना विश्वनाथ का कहना है कि यह फेस्टिवल सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं के अधिकार जताने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.

एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)

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