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पहला 'मेड इन चाइना' विमानवाहक युद्धपोत चीनी सेना में शामिल

१८ दिसम्बर २०१९

चीन ने अपने देश में बने पहले विमानवाहक युद्धपोत को नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया है. मंगलवार को विवादित दक्षिण चीन सागर में इस युद्धपोत को सेना में शामिल किया गया.

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China erster selbstgebauter Flugzeugträger in Dienst gestellt
तस्वीर: Imago-Images/VCG

यह युद्धपोत चीन की सेना के आधुनिकीकरण के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के तहत चीन में बनाया गया है. चीन के विमानवाहक युद्धपोत कार्यक्रम के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है. आधिकारिक तौर पर इसे बेहद गोपनीय रखा गया है. हालांकि सरकार का कहना है कि नए युद्धपोत का डिजाइन चीन के पहले विमानवाहक युद्धपोत 'लियाओनिंग' के अनुभव के आधार पर तैयार किया गया है. लियाओनिंग यूक्रेन का पुराना युद्धपोत था जिसे चीन ने 1998 में खरीद कर अपने देश में हथियार और दूसरे साजोसामान से दोबारा लैस किया था.

राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश की सेना के आधुनिकीकरण पर खुद नजर रख रहे हैं और इसके लिए एक लंबी चौड़ी योजना बनाई गई है. इसमें युद्धक विमानों से लेकर, उपग्रह रोधी मिसाइलें तक विकसित करने का विचार है. दरअसल चीन दक्षिण चीन सागर और स्वशासित ताइवान के चारों ओर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है.

China erster selbstgebauter Flugzeugträger in Dienst gestellt
तस्वीर: Imago-Images/VCG

नया युद्धपोत देश का दूसरा विमानवाहक युद्धपोत है पिछले साल शानडोंग प्रांत के सैनिक अड्डे से इसने अपना परीक्षण शुरू किया था. इसका निर्माण भी यहीं हुआ और अब सेना में इसे शामिल करने के बाद आधिकारिक नाम भी शानडोंग ही मिला है. सरकारी मीडिया ने इस बात की जानकारी दी है.

दक्षिणी द्वीपीय प्रांत हेनान में सान्या नौसैनिक अड्डे पर इसे नौसेना में शामिल करने का समारोह हुआ. खुद शी जिनपिंग इसमें शामिल हुए और चीन के अपने देश में विमानवाहक युद्धपोत बनाने की क्षमता की पुष्टि की. शी जिनपिंग इस दौरान युद्धपोत पर सवार हुए और उसके चालक दल के सदस्यों से बातचीत भी की. इस दौरान शी जिनपिंग के साथ उनके प्रमुख राजनीतिक सहयोगी भी मौजूद थे इसमें उप प्रधानमंत्री लियु हे और केंद्रीय सैन्य आयोग के वाइस चेयरमैन झांग यूक्सिया भी शामिल हैं.

पिछले महीने इस युद्धपोत ने ताइवान की खाड़ी को पार किया था जिसे चीन ने नियमित अभ्यास का हिस्सा बताया. ताइवान में अगले साल जनवरी में चुनाव होने हैं और इसकी तैयारी चल रही है. ताइवान ने चीन के इस कदम का विरोध किया और कहा कि चीन उसे डराना चाहता है. चीन लियाओनिंग को मुख्य रूप से प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल करता है. नौसेना यहां और दूसरे युद्धपोतों पर समंदर से लड़ाकू विमानों को उड़ाने की क्षमता को पुख्ता कर रही है.

अमेरिकी नौसेना के लंबी दूरी की परमाणु ऊर्जा वाले विमानवाहक युद्धपोतों से उलट चीन के युद्धपोत सोवियत तकनीक पर आधारित हैं. इन युद्धपोतों पर लंबी दूरी तक दौड़ लगाने के बाद ही विमान उड़ान भरते हैं जबकि अमेरिकी युद्धपोतों में उन्हें ताकत के साथ झटके से फेंकने की सुविधा मौजूद है. विशेषज्ञों की राय के आधार पर चीन के सरकारी मीडिया का कहना है कि देश को कम से कम छह विमानवाहक युद्धपोतों की जरूरत है. अमेरिका फिलहाल 10 विमानवाहक युद्धपोतों का इस्तेमाल कर रहा है और दो का निर्माण चल रहा है.

China erster selbstgebauter Flugzeugträger in Dienst gestellt
तस्वीर: Imago-Images/VCG

ज्यादार विशेषज्ञ यह मानते हैं कि इस तरह की सेना के विकास में चीन को अभी दशक भर का समय लगेगा. हालांकि घरेलू स्तर पर विमानवाहक युद्धपोत बना लेना चीन के लिए सम्मान की बात है. बहुत से लोग मान रहे हैं कि इससे आखिरकार इलाके में अमेरिकी सेना के प्रभुत्व का खात्मा होगा. चीन की उपग्रह से ली गई तस्वीरों में एक नए और बड़े युद्धपोत के निर्माण को देखा जा सकता है. इसके साथ ही बुनियादी ढांचे का विस्तार किया जा रहा है. इससे अंदाजा लग रहा है कि आने वाले दिनों में इसी तर्ज पर यहां कई और युद्धपोत बनाने की तैयारी है.

शंघाई के बाहर जियांगनान शिपयार्ड की तस्वीरें सितंबर में सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिया. ये तस्वीरें पिछले साल अप्रैल से सितंबर के बीच ली गईं. चीन की सेना ने तीसरे युद्धपोत के बनाए जाने का आधिकारिक एलान नहीं किया है लेकिन सरकारी मीडिया का कहना है कि यह बनाया जा रहा है.

माना जा रहा है कि यह चीन का पहला विमानवाहक युद्धपोत होगा जिसका डेक चपटा होगा और जिसमें विमानों को उड़ाने के लिए ताकत के साथ फेंकने की व्यवस्था (कैटपुल्ट लॉन्च सिस्टम) होगी. इसकी मदद से ज्यादा तरह के विमानों के लिए इसे इस्तेमाल किया जा सकेगा जिसमें भारी हथियारों से लैस लड़ाकू विमान भी होंगे.

चीन के पहले दो विमानवाहक युद्धपोत तुलनात्मक रूप से छोटे हैं. इनके डेक पर बने रैम्प से केवल 25 विमान ही उड़ान भर सकते हैं. आमतौर पर अमेरिकी विमानवाहक युद्धपोतों से इसके मुकाबले चार गुना ज्यादा विमान उड़ान भरते हैं.

एनआर/आरपी (रॉयटर्स)

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