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चीन में क्यों बंद कर दिए गए इन महिलाओं के सोशल मीडिया अकाउंट

विलियम यांग
३० अप्रैल २०२१

चीन में हाल ही में कई महिला अधिकारवादियों के सोशल मीडिया चैनल निष्क्रिय कर दिए गए हैं. इससे वहां लोगों में गुस्सा है और डर भी कि कहीं महिला अधिकारों की बात करने वालों की ऑनलाइन मौजूदगी को धीरे-धीरे खत्म न कर दिया जाए.

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चीन की लोकप्रिय माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट वाइबो ने कई महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के अकाउंट बंद कर दिए हैं.तस्वीर: picture-alliance/dpa

चीन में महिला अधिकार आंदोलन को बंदिशों के एक दूसरे दौर का सामना करना पड़ रहा है. महिला अधिकारवादियों की ओर से संचालित तमाम सोशल मीडिया अकाउंट्स पिछले कुछ हफ्तों में तेजी से बंद किए गए हैं. इन अकाउंट्स को माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट वाइबो और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म डूबान से यह कहते हुए हटा दिया गया है कि इनमें "चरम और वैचारिक सामग्री” है.

यह सब इसी साल मार्च में तब शुरू हुआ जब चीन की प्रमुख महिला अधिकारवादी कार्यकर्ता जियो मीली ने वाइबो पर एक पोस्ट शेयर की. इस पोस्ट में जियो ने बताया था कि कैसे उन्होंने हॉटस्पॉट क्षेत्र में एक दुकान के अंदर एक व्यक्ति को धूम्रपान करने से रोका लेकिन वह व्यक्ति नाराज हो गया और उसने गर्म पानी का प्याला जियो और उनकी मित्रों पर फेंक दिया.

जियो ने इस घटना का जिक्र करते हुए वीडियो के साथ अपलोड कर दिया. उन्होंने जैसे ही उस व्यक्ति के साथ समझौता करना शुरू किया, उन्हें वाइबो पर धमकी भरे संदेश मिलने लगे जिनमें कई संदेश ऐसे भी थे जिनमें व्यक्तिगत तौर पर हमला किया गया था.

यहां तक कि उन पर "हॉन्ग कॉन्ग की स्वतंत्रता” का समर्थन करने तक का आरोप लगा दिया गया, जिसे वो सिरे से खारिज करती हैं. इन सबके बावजूद वाइबो ने उनके अकाउंट और ऑनलाइन चैनल को हटाने का फैसला कर लिया है.

कई फेमिनिस्ट लोगों के अकाउंट बंद कर दिए गए

जिओ के अकाउंट को बंद करने के बाद चीन के कई महिला अधिकारवादियों ने वाइबो पर जिओ का बचाव करना शुरू कर दिया. इन लोगों के अकाउंट्स भी जल्दी ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से हटा दिए गए.

13 अप्रैल को सामाजिक कार्यकर्ता लिआंग जिवेन ने एक सार्वजनिक बयान जारी किया कि कैसे उन्हें उन्हें वाइबो पर सैकड़ों संदेश मिल रहे थे जिनमें निजी तौर पर हमला किया गया और उन्हें "शातिर और महिला विरोधी” बताया गया.

लिआंग ने अपने बयान में लिखा था, "मैंने ऐसी कोई सामग्री पोस्ट नहीं की थी जो वाइबो की कम्युनिटी गाइडलाइंस का उल्लंघन करती हो, फिर भी दूसरे यूजर्स की शिकायतों की वजह से मेरा अकाउंट हटा दिया गया.”

लिआंग कहती हैं कि उन्होंने वाइबो के खिलाफ एक केस दायर किया है और मांग की है कि उनके अकाउंट को बहाल किया जाए. अपने बयान में उन्होंने लिखा है, "वाइबो ने तीस से ज्यादा महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के अकाउंट बंद कर दिए हैं और यह संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. डूबान ने भी कई फेमिनिस्ट लोगों के अकाउंट बंद कर दिए हैं. चीन की महिलाओं ने जिस ऑनलाइन स्पेस के लिए इतनी मेहनत की, उसने उनके अकाउंट को इतनी बेरहमी के साथ बंद कर दिया.”

वहीं वाइबो ने एक बयान में दावा किया है कि लिआंग और चीन की अन्य महिला अधिकारवादियों के अकाउंट इसलिए हटा दिए गए हैं क्योंकि दूसरे उपभोगर्ता लगातार शिकायत कर रहे थे कि इनकी पोस्ट्स "गैरकानूनी और नुकसानदायक जानकारियों” से भरपूर होती हैं.

वाइबो ने एक बार फिर दोहराया है कि यह एक खुला मंच है जो कि विभिन्न विचारधाराओं को सहन करता है. फिर भी, उसने जोर दिया है कि उपभोगकर्ताओं को विभिन्न समूहों के बीच बैर-भाव को बढ़ावा देने वाली पोस्ट्स से बचना चाहिए और बहिष्कार संस्कृति को बढ़ावा देने से बचना चाहिए.

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चीन में कोई भी फेमिनिस्ट फ्रेंडली सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं

लू पिन, चीन की एक नामी महिला अधिकारवादी कार्यकर्ता हैं. हाल के दिनों की बंदिशों का उन्हें भी शिकार बनना पड़ा है. वो कहती हैं कि ये कहना थोड़ा कठिन है कि उन लोगों के अकाउंट्स चीन की सरकार के आदेश से बंद किए गए हैं लेकिन यह सच है कि चीन में कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं है जो महिला अधिकारवादियों को सहयोग करता हो.

डीडब्ल्यू से बातचीत में लू कहती हैं, "इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बड़ी संख्या में महिलाएं इस्तेमाल करती हैं और उनसे राजस्व भी मिलता है लेकिन इसके बावजूद महिला अधिकारों पर यहां बहस करना या फिर उनके मुद्दा उठाना इन्हें बर्दाश्त नहीं है. इन सब बंदिशों के बावजूद फेमिनिस्ट कहीं जाएंगे नहीं और मेरा मानना है कि महिला अधिकारवादियों को ऑनलाइन इकट्ठा करने का इस अभियान का लक्ष्य और कठिन हो जाएगा.”

लू इस बात को स्वीकार करती हैं कि इस समय महिलाओं का अपने अधिकारों को लेकर इकट्ठा होना और अपनी आवाज उठाना बड़ा मुश्किल है, जब इस तरह की बंदिशें लग रही हों और उनके साथ अन्याय हो रहा हो. वह कहती हैं, "यह सोशल मीडिया पर फेमिनिस्ट अकाउंट्स को बंद करने के सबसे खतरनाक पहलुओं में से एक है. हालांकि तमाम फेमिनिस्ट यह जानती हैं कि इंटरनेट का इस्तेमाल उन्हें कैसे करना है लेकिन इस तरह की कार्रवाई चीन में महिला अधिकार आंदोलन को कमजोर करेगी.”

चीन में ह्यूमन राइट्स वॉच के शोधकर्ता वांग याकू इस बात की ओर ध्यान दिलाते हैं कि पिछले कुछ दिनों से चीन में महिला अधिकारवादियों पर हमला यह दिखाता है कि चीन में नागरिक समाज की सक्रियता के लिए कोई जगह नहीं है. डीडब्ल्यू से बातचीत में वांग कहते हैं, "हाल-फिलहाल तक चीन में महिला अधिकार जैसे मुद्दों पर आप ऑनलाइन गर्मागर्म बहसों को देख सकते हैं. अब ये सब नदारद हैं.”

लू पिन कहती हैं कि चीन में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ये मानते हैं कि चीन की सरकार यह चाहती है कि महिला अधिकारवादियों के अकाउंट्स को हटाना जरूरी है. वो कहती हैं, "वे ऐसा इसलिए कर रही हैं कि क्योंकि उन्हें चीन में बने रहने के लिए ऐसा करना पड़ रहा है और वो इसकी कीमत पर कोई अन्य कदम नहीं उठा सकतीं.”

'फेमिनिस्ट आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है'

लू पिन कहती हैं कि पिछली कार्रवाइयों के विपरीत, इसका सबसे डरावना पहलू यह है कि महिला अधिकारवादियों को अब राजनैतिक रूप से बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.

वो कहती हैं, "यदि हम अकाउंट दोबारा भी बना लेते हैं तो भी हम बहुत दिनों तक उसे इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि हमें राजनीतिक रूप से बदनाम किया जा रहा है. चीन में महिला अधिकारवादी समुदाय के लिए एक सुरक्षित ऑनलाइन मंच बनाना चाह रहे हैं लेकिन चीन में इस तरह का कोई मंच दिख नहीं रहा है.”

चीन में इंटरनेट उपभोक्ताओं के लिए निगरानी और पाबंदी बहुत सामान्य बात है, फिर भी फेमिनिस्ट अपने लिए एक नए मंच की तलाश कर रहे हैं. लू कहती हैं, "वाइबो ने हमारे अकाउंट्स बंद कर दिए हैं लेकिन वीचैट ने अभी ऐसा नहीं किया है. तो हम लोग इस मंच पर अपनी बातों को साझा करते रहेंगे. यदि वीचैट भी हमारे अकाउंट्स को बंद करना शुरू कर देगा, तो हम कोई दूसरा प्लेटफॉर्म ढूंढ़ लेंगे.”

लू कहती हैं कि जब चीन में महिला अधिकारवादी राजनीतिक रूप से बदनाम किए जा रहे हैं, आम लोग भी उनसे दूरी बनाए रखते हैं. इसका और विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. वह कहती हैं, "यदि हमारे पास एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म नहीं होगा तो महिला अधिकारवादियों का एक दूसरे के संपर्क में रहना मुश्किल हो जाएगा और आज यही वास्तविकता बन गई है.”

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